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    राममंदिर के लिए कानून बना सकती है मोदी सरकार

    न्यायमूर्ति चेलमेश्वर


    राष्ट्रिय/समाचार 
    नईदिली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर ने शुक्रवार को मुंबई में कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है. उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं.

    न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढ़ती जा रही है. बता दें कि शुक्रवार को भी संघ के नेता भैयाजी जोशी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब और देर नहीं करना चाहिए.

    भैयाजी जोशी ने कहा था कि राम सभी के हृदय में रहते हैं पर वो प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा, हम चाहते हैं कि मंदिर बने, काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिंदू भावनाओं को समझ कर निर्णय देगा.
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    बता दें कि जस्टिस चेलमेश्वर ने जब यह टिप्पणी कर रहे थे उस वक्त वो कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) की ओर से आयोजित एक परिचर्चा सत्र में शिरकत कर रहे थे.

    गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर समेत सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर न्यायधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे. शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है.

    रिटायर्ड जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, "यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं). दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं). मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था."


    चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण भी दिया. उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, "देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था....यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका." 

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