चारा घोटाला आखिरी मामला, लालू यादव को मिली 5 साल की सजा, 60 लाख जुर्माना, जानिए चारा घोटाले का पूरा सच
आइये जानते है की ये चारा घोटाला क्या है और कैसे इस चक्रव्यूह में फंसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव
रांची: डोरंडा ट्रेजरी से जुड़े चारा घोटाला के आखरी केस में लालू यादव को पांच साल की सजा और 60 लाख जुर्मना ये सजा झारखंड रांची CBI के विशेष जज एसके शशि ने सुनाया लालू यादव को फिलहाल रांची के रिम्स में भर्ती किया गया हैं। उन्हें बल्ड प्रेशर और शुगर है। हालांकि लालू यादव को हाईकोर्ट से जमानत मिल जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें 2-3 सप्ताह तक जेल में रहना होगा। यानी की उन्हें जेल जाना पड़ेगा।
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आइये जानते है की ये चारा घोटाला क्या है और कैसे इस चक्रव्यूह में फंसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव
लालू यादव पर चारा घोटाला वो दाग है जिसे वो सालों से नहीं धो पा रहे हैं। 1995 तब झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था और बिहार झारखंड के कई ट्रेजरी से गलत ढंग से जनावरों चारा के नाम पर 950 करोड़ रुपये निकासी किया गया । और फर्जी बिल बनाए गए । जब ये घोटाला उजागर हुआ तो केस सीबीआई को सौप दी गई। सीबीआई ने 55 से ज्यादा मामले दर्ज किए, जिसमें से 6 में लालू यादव को भी आरोपी बनाया गया।
पहला मामला चाईबासा ट्रेजरी से 37.7 करोड़ निकालने का था। इस मामले में लालू दोषी करार दिए गए और उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई।
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दूसरा मामला देवघर ट्रेजरी का है। लालू यादव पर आरोप था कि उन्होंने अवैध रुप से 84.53 लाख रुपये निकाले। इस केस में 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था। लालू यादव को इस केस में साढ़े तीन साल की सजा हुई।
तीसरा मामला चाईबासा ट्रेजरी का है। आरोप था कि लालू यादव और उनके सहयोगियों ने अवैध निकासी की। पैसा था 33.67 करोड़। इस मामले में उन्हें 5 साल की सजा हुई।
चौथा केस दुमका ट्रेजरी का है। यहां से 3.13 करोड़ पैसे निकालने का मामला है। लालू यादव को 2018 में दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई।
पांचवां मामला डोरंडा ट्रेजरी का है। जिसमें आज लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई गई। डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। सीबीआई ने जांच की और पाया कि नेताओं ने अफसरों के साथ मिलकर बढ़ा फर्जीवाड़ा किया है। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है। देश ये जानकर हैरान रह गया था कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें।
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