क्या आने वाले 12 तारीख के बाद दिल्ली के तोनो MCD एक हो जाएगी ? BJP क्यों एक करना चाहती है MCD को
We News 24» रिपोर्टिंग / काजल कुमारी
नई दिल्ली : दिल्ली नगर निगम चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि 12 मार्च के बाद चुनाव आयोग कभी भी नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। पिछले नगर निगम के लिए 23 अप्रैल 2017 को चुनाव हुए थे, इसलिए चुनाव आयोग 23 अप्रैल के पूर्व चुनावी प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश करेगा। हालांकि, इसी बीच दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक किए जाने की चर्चा तेज हो गई है।
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बताया जा रहा है कि दिल्ली भाजपा के ज्यादातर नेता इसके पक्ष में हैं कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया जाए। इस पर 12 मार्च को अमित शाह के दिल्ली भाजपा नेताओं के साथ होने वाली बैठक के बाद निर्णय लिया जा सकता है। इसके पक्ष में विभिन्न तर्क भी दिए जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इसके जरिए भाजपा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बराबर एक नया किरदार खड़ा करना चाहती है।
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दरअसल, अमित शाह की टीम अपनी पूरी मेहनत करने के बाद भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को शिकस्त देने में नाकाम रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगातार दो बार केजरीवाल के हाथों भारी पराजय का सामना करना पड़ा। दिल्ली भाजपा के नेताओं का मानना है कि यदि तीनों नगर निगमों का एकीकरण नहीं किया गया, तो इस बार नगर निगम की सत्ता में भी पार्टी का वापस आना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा लगातार तीन बार से निगम की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ आई है, लेकिन इस बार उसके लिए हालात काफी कठिन हो गए हैं।
दिल्ली भाजपा नेताओं का मानना है कि नगर निगम को चलाने में दिल्ली सरकार की तरफ से कई बाधाएं खड़ी की गईं। समय से फंड जारी नहीं किया गया तो कई योजनाओं की स्वीकृति देने में भी देरी की गई। समय से फंड जारी न करने से अध्यापकों, सफाई कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया। प्रशासनिक बारीकियों से अनजान जनता के बीच इससे भाजपा के प्रति अविश्वसनीयता बढ़ी। लेकिन यदि तीनों नगर निगमों का एकीकरण कर दिया जाता है तो इस प्रकार की समस्या नहीं आएगी। केवल एक कमिश्नर होने के कारण योजनाओं और फाइलों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा जिससे विकास को गति मिलेगी और पार्टी को लाभ होगा।
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भाजपा नेताओं का मानना है कि इससे आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली के स्तर पर एक बेहतर विकल्प खड़ा किया जा सकेगा और बेहतर कामकाज करके जनता के बीच पार्टी की साख बेहतर किया जा सकेगा, लेकिन दिल्ली सरकार की अड़ंगेबाजी के कारण अभी यह कार्य नहीं हो पा रहा है।
वित्तीय संकट खत्म होगा
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के एक पूर्व चेयरमैन ने अमर उजाला से कहा कि जब तक तीनों नगर निगम एक थे, पूरे नगर निगम का कार्य सुचारू रूप से चलता था। किसी भी कार्य को करने में फंड की कमी नहीं आती थी, लेकिन जब से नगर निगम का तीन हिस्सों में विभाजन किया गया है, फाइलें अटकने लगी हैं। विशेषकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कार्य बाधित हो गए हैं क्योंकि इस निगम के पास आय के साधन बहुत कम हैं, जबकि बड़ी आबादी होने के कारण इसे बड़ा कार्य करना पड़ता है।
हालांकि, क्या केंद्र तीनों नगर निगमों को एक करने का निर्णय लेने जा रहा है, इस पर भाजपा नेता ने कोई जवाब नहीं दिया। माना जा रहा है कि पूरी भाजपा इसके पक्ष में है और सभी परिस्थितियों पर विचार-विमर्श करने के बाद इस पर अंतिम फैसला जल्द ले लिया जाएगा। इस दृष्टि से 12 मार्च को अमित शाह की बैठक और उसके बाद का एक सप्ताह का समय बहुत महत्त्वपूर्ण है।
राजनीतिक कारणों से किया था फैसला
स्टैंडिंग कमेटी के एक पूर्व चेयरमैन के मुताबिक, शीला दीक्षित सरकार ने राजनीतिक कारणों से दिल्ली नगर निगम का तीन हिस्सों में विभाजन किया था। कांग्रेस को अनुमान था कि इससे वह तीनों में से कुछ नगर निगम में अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उलटे, कांग्रेस को और अधिक सियासी नुकसान उठाना पड़ा। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए अलग-अलग अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है जिससे कार्य प्रभावित होते हैं।
एमसीडी चुनाव 2017
पिछली बार दिल्ली एमसीडी के लिए 23 अप्रैल 2017 को चुनाव हुए थे। 26 अप्रैल को आए चुनाव परिणाम में भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने 181 सीटों पर जीत हासिल किया था जबकि आम आदमी पार्टी को 49 सीटों पर सफलता मिली थी। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार शून्य पर रहने वाली कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव में 31 सीटें हासिल की थी। कुल 53.58% वोटर टर्न आउट में भाजपा को 36.08%, आम आदमी पार्टी को 26.23% और कांग्रेस को 21.09% वोट हासिल हुए थे।
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