Mythology:- क्या आप जानते हैं कि गौ माता के किस किस अंग में कौन से देवी देवता वास करते हैं
नई दिल्ली :- दोस्तों आज मै गौमाता की अगली लेख लेकर आया हूँ .हमारा मकसद है की हम सनातनी अपना धर्म और संस्कार समझे जो आज के समय में ज्यादा तर हिन्दू भूल कर विदेशी धर्म त्यौहार को अपना लिए है .आज हम आपको गौ माता के विशेष महत्तव के बारे में बताने जा रहा हूँ .
कहते हैं जो मनुष्य प्राप्त स्नान करके गौमाता को स्पर्श कर लेता है। वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है । संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद और वेदों में भी गाय की महत्वता और उसके अंग प्रत्यंग में दिव्य शक्तियां होने का वर्णन मिलता है। गाय के गोबर मे लक्ष्मी गोमूत्र में भवानी चरणों के अग्रभाग में आकाशचारी देवता ,गाय के रंभाने की आवाज में प्रजापिता दूध के थनों में क्षीरसागर यानी समुंद्र विराजमान है। मान्यता है कि गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से सभी तीर्थ स्थान का पुण्य मिलता है । यानी सनातन धर्म में गौ को दूध देने वाली एक नीरा पशु न मानकर सदा से ही उसे देवी देवताओं की प्रतिनिधि माना गया है।
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पदम द्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेद का वास है। उसके दोनो सिंग में भगवान शंकर और विष्णु , गाय के उधर में कार्तिकेय मस्तक में ब्रह्मा ललाट में रुद्र सिंग के ऊपरी अगर भाग में इंद्र दोनों कानों में अश्विनी कुमार नेत्रों में सूर्य और चंद्र दांतों में गरुड़ जिव्हा में सरस्वती अपान ( गुदा) में सारे तीर्थ , मूत्र स्थान में गंगा जी रोम कूपों में ऋषि गन पृष्ठ भाग में यमराज ,सीने के दाहिने भाग में वरुण एवं कुबेर सीने के बायां भाग में महाबली यक्ष मुख के भीतर गंधर्व, नाक के अगले भाग में सर्प खुरो के पिछले भाग में अप्सराएं का वास होता हैं। भविष्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्मांड पुराण ,महाभारत में भी गांव के अंग प्रत्यंग में देवी दवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन किया गया है।
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गायों का समूह जहां बैठकर आराम से सांस लेता है उस स्थान की न केवल शोभा बढ़ती है । बल्कि वहां का सारा पाप नष्ट हो जाता है ।तीर्थों में स्नान दान करने से ब्राह्मणों को भोजन कराने से व्रत उपवास और जब तक और हवन यज्ञ करने से जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य आपको गौमाता को चारा या हरी घास खिलाने से प्राप्त हो जाता है। गौ सेवा से दुख दुर्भाग्य दूर होता है। और घर में सुख समृद्धि आती है। जो मनुष्य गौ कि कि श्रद्धा पूर्वक पूजा सेवा करते हैं। देवता उस पर सदैव प्रसन्न रहते हैं। जिस घर में भोजन करने से पूर्व गौ ग्रास निकाला जाता है ।उस परिवार में अन्न धन की कभी कमी नहीं रहती।
लेकिन आज के इस दौर में हम अपने सबसे जीवन का अहम हिस्सा अपनी गौ माता को अपने दिनचर्या से दूर कर कर दिया .हम दूर दराज पहाड़ो में देवी देवता को खोज करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर जाते है .परन्तु जो हमारे पास है उसकी कद्र नहीं है .आज हमारे हिन्दू बहुल देश भारत कही न कही से गौ माता पर हो रहे अत्याचारकी खबर सुनने को मिलता है
गौ माता पर अत्याचार बंद हो इसके लिए उत्तराखंड के पांचवे धाम चौपड़धाम के तपलीन गोपाल मणि महाराज ने एक संकल्प लिया की अपने देश भारत में गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिला कर रहना है उसके लिए गोपाल मणि महाराज पुरे भारत वर्ष में घूमकर सनातनी हिन्दू को गौ माता की विशेषता धेनु मानष की कथा के माध्यम से जिसे उन्हने स्वयं लिखा है .लोगो को जगा रहे है की गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा मिले .
उनके इस संकल्प में कदम से कदम मिलाकर चल रही है . दिल्ली छतरपुर बाबा बालक नाथ मंदिर की गुरु माँ राजेश्वरी देवा गुरु माँ राजेश्वरी देवा भी गोपाल मणि जी से कम सन्घर्ष नहीं कर रही है .वो भी लोगो के विच घूम-घूम कर गौ माता को राष्ट्र माता बनाने की सन्देश दे रही है .आने वाली 20 नवंबर गोपाष्टमी के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में गौ माता को राष्ट्रमाता बनाने को लेकर एक बहुत बड़ा जन आंदोलन होने वाला है .आप भी अपने धर्म संस्कार बचाने के लिए इस आंदोलन का हिस्सा बने फिर कल मिलेंगे गौ माता की अगली लेख में ,आप सभी को एडिटर एंड चीफ दीपक कुमार का प्यार भरा नमस्कार ,धन्यवाद
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