दिल्ली बाढ़ का जिम्मेदार कौन? कैसे डूब गई आधी दिल्ली, क्या दिल्ली को डुबाने के लिए सिर्फ हथिनी कुंड है या ये हैं 4 बड़े कारण?
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली :- उत्तर भारत में पिछले दिनों से हो रही बारिश के चलते दिल्ली में हाहाकार मच गया है लोगबाग अपने धरो से बेधर हो गए है . दिल्ली-एनसीआर के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग यमुना के जलस्तर में वृद्धि से डरे और सहमे है हालत ये है की राजघाट से लेकर लालकिला आईटीओ तक जलमगन हो चूका है .बता दें इससे पहले दिल्ली में 1924, 1977, 1978, 1995, 2010 और 2013 में भीषण बाढ़ आई थी। .
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वहीं, शनिवार शाम को हुई बारिश ने एक बार फिर लोगों को एक बार फिर परेशान किया है. जहां एक ओर दिल्ली के लोग बाढ़ जैसी हालात से जूझ रहे हैं तो दूसरी और वहीं दिल्ली सरकार और अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा कर अपना-अपना पल्ला झार रहे है दिल्ली सरकार के मंत्री बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली को जानबूझकर डुबाया जा रहा है . इस संकट के घड़ी में भी ये राजनीती वालो लोग अपनी गन्दी राजनीती करने से बाझ नहीं आते .
यमुना के जलस्तर बढने से बाढ़ जैसी स्थिति हैं. राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में 18 से ज्यादा NDRF की टीमें काम कर रही हैं. अब तक 4000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है. ऐसे में एक सवाल सामने आता है कि क्या दिल्ली में ऐसे हालात के पीछे एक हथिनी कुंड ही जिम्मेदार है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
दिल्ली को डुबाने के 4 बड़े कारण
बाढ़ क्षेत्र का अतिक्रमण- विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में बाढ़ संकट के मुख्य कारण बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण करना है. अतिक्रमण से बाढ़ के मैदान पर ठोस कचरे का इकट्ठा होना प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करता है. नदी के मैदानी इलाकों में अतिक्रमण से शहरी इलाके भी प्रभावित होते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अतिक्रमण से हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी को दिल्ली तक पहुंचने में कम समय लगा. पहले नदियों में 5 से 10 किमी चौड़े बाढ़ के मैदान होते थे, जिसमें पानी दूर तक फैल जाता था.
वेटलैंड की कमी- दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने के पीछे की मुख्य वजह जंगल, ग्रासलैंड और वेटलैंड की कमी बताया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेंटर फॉर एनवायरमेंट मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम्स (CMIDE) के निदेशक सीआर बीबू बताते हैं कि पहले पानी रोकने के लिए ग्रासलैंड और वेटलैंड खूब होते थे. ऊपरी इलाकों में पानी को रोकने की क्षमता कम हो गई है. ऐसे में निचले इलाकों में पानी तेजी से फैलता है. नदियों के किनारे फ्लाईओवर, बस स्टॉप और कबाड़खाने सामने आए हैं.
यमुना किनारे 25 पुलों की मौजूदगी- साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के भीम सिंह रावत यमुना में बाढ़ की बड़ी वजह पुलों के निर्माण को बताते हैं. रावत ने कहा कि दिल्ली में यमुना के 22 किमी के विस्तार में 25 पुल हैं. यह वजीरबाज बैराज से ओखला बैराज तक फैला है. पुल के निर्माण को लेकर नदियों को रोका भी जाता है.
मेंटेनेंस नहीं होना- बाढ़ की बड़ी वजह बांध का मेंटेनेंस ना होना भी है. हाल ही में एक खबर सामने आई थी कि पांच राज्यों को पानी सप्लाई करने वाला हथिनी कुंड बैराज सुरक्षित नहीं है. इसका रिवर बेड लगातार नीचे जा रहा है. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी हरियाणा सरकार पर हथिनी कुंड के मेंटेनेंस को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
सौरभ भारद्वार ने बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के इस हालात के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली को जानबूझकर डुबाया जा रहा है. हथिनी कुंड बैराज का पानी सिर्फ दिल्ली के लिए छोड़ा गया है. पश्चिमी नहर के लिए पानी नहीं छोड़ा गया. दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों में पानी भरने के बावजुद भी मंत्रीयों और अधिकारियों का कहना है कि हमारी तरफ से कोई दिक्कत नहीं है.
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि हरियाणा सरकार पर हथिनी कुंड के मेंटेनेंस ना करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा है कि अगर आपसे मेंटेनेंस नहीं होता है तो इसका काम दिल्ली सरकार को दिलवा दो हम कर लिया करेंगे. हालांकि, इन आरोपों के बाद अब तक हरियाणा सरकार की तरफ से कोई सफाई नहीं दी गई है.
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