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    Delhi Flood:-यमुना बहा के ले गयी पकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थी के सपने और संघर्ष ,हर तरफ है बर्बादी का मंजर


    Delhi Flood:-यमुना बहा के ले गयी पकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थी के सपने और संघर्ष ,हर तरफ है बर्बादी का मंजर




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    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार 

    नई दिल्ली :- यमुना का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम हो रहा इस बार यमुना मैया दिल्ली पर नाराज दिखी यमुना मैया की नराजगी ने सरकार के विधि व्यवस्था के सारे पोल पट्टी खोल के रख दिया देश की राजधानी दिल्ली हर तरफ पानी -पानी हो गया लोगो के आशियाना तक उजड़ गया मेहनत के गाढ़ी कमाई के एक-एक पैसे जोड़ कर खरीदे हुए घर के जरुरत के सामान बर्वाद हो गए दिल्ली के निचली इलाके के लोग लाचार और बेबस हो गए लोगो का कहना था की सरकार ने कोई मदद नहीं की  .अगर दिल्ली में आपको बर्बादी का मंजर देखना है तो आप मजनू का टीला चले जाए और जाकर देखे की कैसे पकिस्तान से आये 300 हिन्दू शरणार्थी का घर और घर में रखा सामान को  यमुना ने बर्वाद कर दिया और बेचारे विस्थापित हिन्दू शरणार्थी   कुछ नहीं कर सके .


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    300 विस्थापित हिंदू परिवार

    आपको बताते चले की यहां तकरीबन 300 विस्थापित हिंदू परिवार रहता है।अधिकतर परिवार ने ईंटों के मकान बना लिए हैं,गलियां अब भी कच्ची है,जिसमें जगह-जगह पानी भरा हुआ है । लोगो को पानी से होकर अपने घरों तक जाना होता है । लोग बाग़ अपने घर से बचे हुए सामानों को निकालकर  मायूस भरी नजरो से  देखते रहे .पकिस्तान से आये विशनदास पिछले 10 सालों से पटरी पर सामान बेचकर, पेट काटकर यहां अपनी गृहस्थी जोड़ी थी, जो एक ही झटके में बर्बाद हो गई। लोगो का घर अभी भी रहने लायक नहीं है।


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    एक कमरे के मकान में मलबा भरा है। मकान का प्लास्टर नहीं हुआ है, फर्श भी कच्ची है। उनकी बेटी सरस्वती का स्कूल का बैग भी बाढ़ के पानी में बह गया है। इसलिए वह स्कूल नहीं जा सकी है। एक अन्य शरणार्थी पूजा ने बड़े जतन से छोटा मंदिर बनाया था, उसकी दीवार भी बाढ़ में बह गई है। युवा श्याम बताते हैं कि घर में कुछ भी साफ नहीं बचा है।


    महेश ठेले पर सब्जी व फल बेचकर घर का गुजारा चलाते हैं। उन्होंने बेचने के लिए आम खरीदे थे, उनमें से काफी बह गए। जो बचे हैं उन्हें धोकर सूखा रहे हैं ताकि उसे बेच सकें। यहां के अधिकतर लोग मजनूं का टीला क्षेत्र में सड़क किनारे सामान बेचकर गुजारा करते हैं। अधिकतर लोग 10 वर्ष पहले पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर जेहादियों से जान बचाकर यहां आकर शरण ली है।


    कीचड़ भरी गली से गुजरती किशोरी मुंगरी कहती है कि उसके चप्पल भी बाढ़ का पानी बहा ले गया, इसलिए नंगे पैर है। इस बस्ती के बीच में स्थित मंदिर परिसर में बैठे लोग अपने भविष्य को लेकर मायूस दिखते हैं। प्रधान धर्मवीर कहते हैं कि अभी तक उन लोगों को न यहां की नागरिकता मिली है, न मूलभूत सुविधाएं मयस्सर हो रही है। अब थोड़ी बहुत जमी गृहस्थी को भी बाढ़ बहा ले गई है।


    जमा कीचड़ और गंदा पानी बना बीमारियों का कारण

    मजनूं का टीला स्थित बस्ती के अधिकतर बच्चों की आंखे लाल हो गई है, इन्हें चिकित्सकों का दल दवाएं देकर गया है, लेकिन उससे कोई लाभ नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार बाढ़ के पानी और कीचड़ से ये बीमारी फैल रही है। बस्ती में जगह-जगह बाढ़ का पानी अब भी जमा है, जो इतना दुर्गंध दे रहा है कि खड़ा होना मुश्किल है। इसी तरह की स्थिति बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र यमुना बाजार, कश्मीरी गेट समेत अन्य स्थानों पर भी है। विकास मार्ग के किनारे कैंप में रहते बाढ़ पीड़ितों को दस्त, उल्टी, खुजली समेत अन्य तरह की शिकायतें आ रही है।

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