इंडिया गठबंधन का गठन सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए हुआ : भाजपा
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / काजल कुमारी
नई दिल्ली :- सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु के राज्य मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियों से कर दी थी। इसके बाद डीएमके के नेता ए राजा ने सनातन धर्म की तुलना एड्स से कर दी।
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इन दोनों के बाद डीएमके के शिक्षा मंत्री पोनमुडी की एक वीडियो वायरल हुई है, जिसमें वो कहते हैं कि सनातन धर्म से लड़ने के लिए ही आई.एन.डी.आई.ए. का गठन हुआ है। यह वीडियो क्लिप सोमवार को वायरल हो गई।
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सनातन को खत्म करने के लिए हुआ आई.एन.डी.आई.ए. का गठन: भाजपा
मंगलवार को भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने इस वीडियो क्लिप की चर्चा करते हुए डीएमके के जरिए विपक्षी गठबंधन आई. एन.डी.आई.ए. को घेरा है। उन्होंने कहा, "डीएमके के शिक्षा मंत्री पोनमुडी की टिप्पणी सामने आई है। अंग्रेजी में एक कहावत है 'द कैट इज आउट ऑफ द बैग'। उनकी मंशा अब स्पष्ट हो रही है। भारत गठबंधन का गठन सनातन धर्म का विरोध करने और सनातन धर्म को खत्म करने के लिए हुआ है।
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने आगे कहा, "विपक्षी गठबंधन का एजेंडा सनातन धर्म का विरोध करके वोट बैंक की राजनीति करना है। मैं कांग्रेस पार्टी और इस गठबंधन से पूछता हूं। क्या उन्हें किसी अन्य धर्म के देवताओं की आलोचना करने का अधिकार है? क्या इसमें साहस है? क्या वे ऐसा कर सकते हैं?...वे अन्य धर्मों पर चुप रहते हैं, लेकिन खुले तौर पर सनातन का विरोध करते हैं।"
भाजपा ने सोनिया गांधी से पूछे सवाल
रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पहला सवाल सोनिया गांधी जी से है। भाजपा की ओर से सोनिया गांधी जी से कईं सवाल पूछे गए हैं और विस्तार से पूछा था कि रोज भारत की संस्कृति, विरासत और सनातन धर्म का अपमान हो रहा है। लेकिन उस पर सोनिया गांधी जी खामोश क्यों हैं?
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से भी ये सवाल पूछा गया था कि आप इस पर खामोश क्यों हैं? लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया।
आरजेडी और सपा पर भी भाजपा ने साधा निशाना
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। भाजपा नेता ने आगे कहा,"द्रमुक से लेकर राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे कुछ दलों के विपक्षी नेता सनातन धर्म और हिंदू धर्म से जुड़ी पवित्र पुस्तकों की आलोचना में मुखर रहे हैं, क्या वे अन्य धर्मों और उनके पवित्र ग्रंथों की आलोचना करने का साहस जुटा सकते हैं?
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