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    Delhi MCD News:- दिल्ली एमसीडी बजट पर एक बार फिर आप और बीजेपी में हो सकता है टकराव .

    Delhi MCD News:- दिल्ली एमसीडी बजट पर एक बार फिर आप और बीजेपी में  हो सकता है टकराव .





    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार 

      नई दिल्ली :- दिल्ली नगर निगम (MCD) में महापौर चुनाव से लेकर अब तक संवैधानिक संकटों के उत्पन्न होने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. ताजा मामला दिल्ली नगर निगम के बजट (MCD Budget 2024) को लेकर है. निगम की स्थायी समिति (MCD Standing Committee) का गठन अभी हुआ नहीं है. दूसरी तरफ विभागीय अधिकारियों ने बजट (MCD Budget) बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ, तो निगम का बजट कैसे पेश होगा, इसको लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है. 


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    MCD Budget पर टकराव क्यों?

    एमसीडी के बजट को लेकर यह सवाल इसलिए कि स्टैंडिंग कमेटी अभी तक गठित नहीं हो पाई है, जबकि एमसीडी चुनाव परिणाम आये नौ माह से ज्यादा समय बीत चुका है. गौर करने की बात यह है कि स्टैंडिंग कमेटी के बगैर बजट की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाएगा. जबकि हर साल 10 दिसंबर से पहले निगमायुक्त को स्टैंडिंग कमेटी के सामने बजट पेश करना होता है. स्टैंडिंग कमेटी अस्तित्व में न होने की स्थिति में सदन में सीधे यह बजट पेश नहीं किया जा सकता है. ऐसे में निगमायुक्त एलजी के सामने बजट पेश कर सकते हैं. नियमानुसान ऐसा करने से पहले एमसीडी को केंद्रीय गृह मंत्रालय की राय भी लेनी होगी. फिलहाल, एमसीडी के चीफ अकाउंटेंट कम फाइनेंशियल एडवाइजर ने आदेश जारी कर 15 सितंबर तक सभी विभागों से वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट अनुमान और 2024-25 के बजट अनुमान पेश करने को कहा है. 



    ये है स्टैंडिंग कमेटी गठित न होने की वजह 

    दरअसल, स्थायी समिति का गठन करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, लेकिन एमसीडी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है. महापौर डा. शैली ओबेराय ने एलजी द्वारा नियुक्त किए गए मनोनीत सदस्यों के मनोनयन को चुनौती दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है. बिना आदेश के भी निगम स्टैंडिंग कमेटी गठित कर सकती है, लेकिन बीजेपी और आप में सहमति नहीं है. दोनों को लगता हैकि शीर्ष अदालत का फैसला उनके पक्ष में आएगा. 


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    एमसडी को लेकर आप की नीयत में खोट: आशीष सूद

    एमसडी के सदन में नेता सहित कई कमेटियों में प्रमुख पदों पर रहे बीजेपी के आशीष सूद का कहना है कि इस बार बजट को लेकर विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है. पहली बार आप सत्ता में है और 15 साल बाद बीजेपी विपक्ष में. अभी तक स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन सहित सभी सदस्यों का चुनाव भी नहीं हो पाया है. अभी यह मसला अदालत में लंबित है. उन्होंने कहा कि एमसीडी में बजट की प्रक्रिया स्टैंडिंग कमेटी से शुरू होती है. उसके बाद एमसीडी के आउस में बजट को चर्चा के लिए मेयर के माध्यम से रखा जाता है. संवैधानिक संकट यह है कि आप और बीजेपी के बीच तकरार की वजह से स्टैंडिंग कमेटी अस्तित्व में नहीं है. आशीष सूद का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए एमसीडी एक्ट 1957 मौन है. ऐसे में बजट का क्या होगा, यह एक अहम सवाल है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति इसलिए है कि आप एमसीडी को पारदर्शी तरीके से नहीं चलाना चाहती है. अगर ऐसा होता तो वो स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव करा लेती, लेकिन आप आदमी पार्टी इस मसले पर अपने तरीके से ही काम करना चाहती है. 


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    दिसंबर से पहले कर लेगें स्टैंडिंग कमेटी का गठन: मुकेश गोयल

    आप नेता और एमसीडी में सदन के नेता मुकेश गोयल ने स्टैंडिंग कमेटी का गठन न होने की वजह से बजट पर पेंच फंसने से जुड़े सवालों पर कहा कि आगामी बजट को लेकर अभी बहुत लंबा समय है. स्थायी समिति का मामला शीर्ष अदालत में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. फैसला शीर्ष अदालत के पास रिजर्व है. चार महीने से यह मामला पेंडिंग मोड में है. मुझे उम्मीद है इस मसले पर कोर्ट का जल्द आ सकताहै. फैसला आते ही स्थायी समिति का गठन हो जाएगा. इस बात बजट पेश होने में कोई बाधा सामने नहीं आने देंगे. दिसंबर से पहले हम स्थायी समिति का गठन कर लेंगे. इस बार पहले वाली स्थिति पैदा नहीं होने देंगे.


    क्या है नियम

    दिल्ली नगर निगम के बजटीय प्रावधानों के अनुसार 10 दिसंबर से पहले ही निगमायुक्त को स्टैंडिंग कमेटी के सामने बजट पेश करना होता है. अगर, कमेटी अस्तित्व में न हो तो बजट कहां पेश होगा, इसका उल्लेख न तो निगम एक्ट में है और न ही बजटीय प्रावधानों में. एमसीडी के जानकारों का कहना है कि ऐसे हालात में प्रशासक होने के नाते निगमायुक्त दिल्ली के उपराज्यपाल के समक्ष बजट पेश कर सकते हैं. एमसीडी एक्ट 1957 के मुताबिक हर साल वार्षिक बजट के लिए 15 फरवरी या उससे पहले सदन से मंजूरी लेना अनिवार्य होता है. मेयर की अनुपस्थिति में विशेष अधिकारी को बजट पारित करने की अनुमति दी जाती है. इस मुसीबत यह है कि मेयर तो है, लेकिन स्टैंडिंग कमेटी का गठन ही नहीं हो सका है.बता दें कि पिछले साल दिसंबर में एमसीडी कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने 2023-24 के लिए बजट अनुमान पेश किया था, जिसमें अनुमानित खर्च 16,023 करोड़ रुपये था.


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