छठ लोक आस्था का महान पर्व है। कि छठ संस्कृत के षष्ठी शब्द से बना है
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / असफाक खान
सीतामढ़ी - छठ लोक आस्था का महान पर्व है। कि छठ संस्कृत के षष्ठी शब्द से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ छठा होता है। कार्तिक माह की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्यदेव व छठी मैया की पूजा की जाती है। नहाय खाय से चार दिवसीय छठ पूजा प्रारंभ हो जाता है। पूजा की शुरूआत पवित्र स्नान करने से होती है। सात्विक प्रसाद, दाल और लौकी चावल पकाया जाता है। पहले देवता को परोसा जाता है। दूसरे दिन खरना में मिट्टी के चूल्हा पर खीर बनाया जाता है। तीसरे दिन प्रसाद तैयार किया जाता है। छठ पर्व का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद ठेकुआ है। घाट पर जानेवाली टोकरी में ठेकुआ के साथ मौसमी फल भी होता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के अंतिम दिन सूर्याेदय के पहले सूर्य देव के प्रार्थना अर्ध्य दिया जाता है।
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बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश व बंगाल के कुछ हिस्सों में ही नहीं बल्कि दिल्ली, मंबई समेत विदेशों में भी धूमधाम एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। गांव की माटी और मां जब पुकारती है तब दूसरे राज्यों में रह रहे लोग भी पैतृक आवास पहुंच उत्साह के साथ छठ पर्व मनाते हैं।वही छत म डी एसपी रामा किसन ने सभी छत घाट का निर्च्छन किया साथ ही सभी को छत व्रतियों को सोहाद्र पूर्ण छत मनाने की अपील की
उन्होंने बताया कि छठ पूजा समावेशी समाज का सुंदर उदाहरण है। जो बिना भेदभाव एवं छुआ छूत के मनाया जाता है। छठ घाट पर कोई बड़ा कोई छोटा और नही कोई अमीर एवं गरीब होता है। सभी लोग एक समान होते हैं।
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डा स्मिता ने कहा कि छठ पर्व पर्यावरण एवं प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। सूर्य देव की पूजा और छठ पूजा के दौरान अपनाई जाने वाली रीति रिवाज प्रकृति के करीब दिखती है। बांस से बने टोकरियों में प्रसाद घाट पर ले जाया जाता है। वहीं पर्व में सूप का उपयोग होता है। प्रसाद का निर्माण भी चूल्हा पर बनाया जाता है। वहीं देवता को चढ़ाने में फल का उपयोग होता है। पूजा स्थल नदी या तालाब तटों की सफाई की जाती है।
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