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    समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन जाएगा

    समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन जाएगा







    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / ब्यूरो रिपोर्ट 

    देहरादून :- उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की धामी सरकार की मुहिम अगले माह धरातल पर उतरेगी । संहिता का प्रारूप बनाने वाली विशेषज्ञ समिति दो फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को  प्रारूप सौंप सकती है। इसे कानूनी अमली जामा पहनाने के दृष्टि से  सरकार ने पांच से लेकर आठ फरवरी तक विधानसभा का सत्र बुलाया है। इसी सत्र में यह प्रारूप विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रख इसे पारित किया जयेगा । इसके पारित होने के बाद उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।



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    चीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड का सामरिक महत्व तो है ही, चारधाम समेत अनेक धार्मिक स्थलों के कारण तीर्थाटन की दृष्टि से भी यह राज्य महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए धामी सरकार ने यहां सामान नागरिक संहिता लागू करने की ठानी और यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया और जनता ने भी इस पर एक प्रकार से मुहर लगाई। मुख्यमंत्री धामी ने भी दोबारा सत्ता संभालते ही अपनी पहली ही कैबिनेट की बैठक में इसका प्रारूप तय करने को विशेषज्ञ समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी।


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    समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट

    इसी कड़ी में 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 20 माह के कार्यकाल में अभी तक 75 से अधिक बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.35 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। समिति ने बैठकों के जरिये प्रदेश के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय निवासियों से सुझाव लिए। साथ ही, प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही नई दिल्ली में भी प्रवासी उत्तराखंडवासियों के साथ भी इस विषय पर संवाद किया। ड्राफ्ट पूरा करने से पहले समिति की मुख्यमंत्री धामी के साथ कई चरणों की बैठक हुई।


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    पांच सौ पृष्ठ से अधिक का है ड्राफ्ट

    अब समिति अपना कार्य पूरा कर चुकी है। माना जा रहा है कि यह ड्राफ्ट पांच सौ पृष्ठ से अधिक का है। इसका हिंदी रूपांतरण भी किया जा चुका है। अब समिति दो फरवरी को इसे मुख्यमंत्री को सौंप सकती है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। इसी के दृष्टिगत ही सरकार ने विधानसभा का सत्र आहूत किया है।


    ड्राफ्ट के मुख्य बिंदु

    -सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार देने की पैरवी

    -लिव इन रिलेशनशिप पर रोक

    -पैतृक व पति की संपत्ति में महिलाओं को समान अधिकार

    -उत्तराधिकार में महिलाओं की सहभागिता

    -कानून के हिसाब से हो तलाक

    -गोद लेने के लिए कड़े नियमों का प्रविधान

    -स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन

    -निजी स्वतंत्रता को मिले विशेष महत्व

    दो से तीन दिन में तैयार कर लिया जाएगा विधेयक का प्रारूप

    सरकार के प्रवक्ता के अनुसार विशेषज्ञ समिति से रिपोर्ट मिलने के दो से तीन दिन के भीतर समान नागरिक संहिता के विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा। वैसे भी विधानसभा सत्र पांच से आठ फरवरी तक आहूत किया गया है। ऐसे में विधेयक का प्रारूप तैयाार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। 

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