70 वर्षीय कांति देवी की अद्भुत महाकुंभ यात्रा: स्नान के बाद 520 किलोमीटर पैदल चलकर घर लौटीं
We News 24 Hindi / सूरज महतो
झारखंड:- जमशेदपुर की 70 वर्षीय कांति देवी की कहानी सुनकर हर कोई दंग रह जाएगा। महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में स्नान करने के बाद वह अपने ग्रुप से बिछड़ गईं और 10 दिनों तक लापता रहीं। इस दौरान उन्होंने 520 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की और बिना कुछ खाए-पीए अपने घर वापस लौट आईं। उनकी यह यात्रा उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष की मिसाल बन गई है।
कांति देवी की कहानी के प्रमुख बिंदु:
महाकुंभ स्नान और लापता होना:
कांति देवी प्रयागराज में महाकुंभ के पवित्र स्नान के लिए गई थीं। स्नान के बाद वह मुगलसराय स्टेशन पर अपने ग्रुप से बिछड़ गईं। उनके साथ गए 44 लोग टाटानगर स्टेशन पर उतर गए, लेकिन कांति देवी गायब हो गईं।
520 किलोमीटर पैदल यात्रा:
कांति देवी ने मुगलसराय से जमशेदपुर तक का सफर पैदल तय किया। यह दूरी लगभग 520 किलोमीटर है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने कुछ भी नहीं खाया-पिया और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर यह सफर पूरा किया।
घर वापसी और भावुक पल:
जब कांति देवी अपने घर के पास पहुंचीं, तो उनकी बहन राजो देवी को सूचना मिली। परिवार वाले उन्हें लेने पहुंचे और उन्हें घर ले आए। घर लौटने पर कांति देवी बेहोश हो गईं। होश आने के बाद उन्हें नहलाया गया और आराम दिया गया।
कांति देवी का संघर्ष और जीवन:
कांति देवी छायानगर में अपनी बहन और बेटी के साथ रहती हैं। वह शादी-पार्टियों में लाइट ढोने और रेजा का काम करती हैं। उन्होंने बचपन से ही मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन यापन किया है। उन्होंने कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया।
बिछड़ने का कारण:
कांति देवी ने बताया कि ट्रेन से उतरकर वह गंगा जल का बोतल लेने गई थीं, लेकिन तभी ट्रेन चल दी और वह अपने ग्रुप से बिछड़ गईं। उनके पास मोबाइल और पैसे नहीं थे, और वह दिखने और सुनने में भी कमजोर हैं। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
महादेव पर विश्वास:
कांति देवी ने कहा कि उन्हें जमशेदपुर लौटने का रास्ता महादेव ने दिखाया। उन्होंने कहा, "महादेव को यहीं से बारंबार प्रणाम है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह अब दोबारा महाकुंभ नहीं जाएंगी।
कांति देवी की यह कहानी उनकी अदम्य साहस, धैर्य और आस्था की मिसाल है। 70 वर्ष की उम्र में इतनी लंबी दूरी पैदल तय करना और बिना कुछ खाए-पीए घर लौटना कोई साधारण बात नहीं है। उनकी यह यात्रा उनके परिवार और समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गई है।
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