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    धर्मांतरण की नई चाल: "सॉफ्ट कन्वर्जन"! जागो भारत और नेपाल के हिंदू, समझो धर्मांतरण का खेल

    जापानी संस्था Nichiren Shoshu भारत और नेपाल में भाषा नहीं, आस्था बदलने की फैक्ट्री?



    We News 24 Hindi / रिपोर्ट :-दीपक कुमार 

    भारत – एक ऐसा राष्ट्र जहाँ हर धर्म को मानने की स्वतंत्रता है। लेकिन आज उसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर कुछ विदेशी संस्थाएँ देश के सामाजिक तानेबाने को तोड़ने में लगी हैं।

    जहाँ एक तरफ सरकार "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की कल्पना को साकार करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर एक जापानी संस्था Nichiren Shoshu भारत और नेपाल में "धर्मांतरण" की नई और खतरनाक रणनीति के साथ सक्रिय है – सॉफ्ट कन्वर्जन


    🚨 कौन है Nichiren Shoshu?

    Nichiren Shoshu एक जापानी बौद्ध संप्रदाय है जिसकी मान्यता "Nam Myoho Renge Kyo" मंत्र पर आधारित है। सतही रूप से यह संस्था जापानी संस्कृति, भाषा और ध्यान की बात करती है, लेकिन असल में यह "धर्मांतरण" का छिपा हुआ अभियान है।

    वे शाक्यमुनि बुद्ध को नहीं, बल्कि निचिरेन को भगवान मानते हैं। वे जापानी भाषा सीखने के नाम पर लोगों को ‘गोंग्यो’ सिखाते हैं और फिर धीरे-धीरे ‘गोजुकाई’ (धार्मिक दीक्षा) में सम्मिलित कर धर्म परिवर्तन करवाते हैं लोगो के घरो में गोहोजोन स्थापना करते है  ।

    नेपाल और भारत के लोगो का फोटो जापान में दिखा कर पैसा इकठ्ठा करते है 


    🔍 क्या है “सॉफ्ट कन्वर्जन”?

    ✖️ सीधा लालच नहीं।
    ✖️ धर्मांतरण शब्द का उल्लेख नहीं।
    ✖️ कोई प्रचार सामग्री नहीं बाँटी जाती।

    लेकिन…

     जापानी संस्कृति और माइंडफुलनेस के नाम पर लोगों को मानसिक रूप से आकर्षित किया जाता है।
    मंत्र जाप और जापानी गुरु को पूजने की प्रक्रिया चुपचाप शुरू होती है।
     स्थानीय लोगों को गोजुकाई में शामिल कर, उनकी आस्था को चुपके से  परिवर्तित किया जाता है।


     "Japanese Education ... — भाषा नहीं, आस्था बदलने की फैक्ट्री?

    यह कंपनी कोलकाता में पंजीकृत है, लेकिन इसके वास्तविक उद्देश्य धार्मिक हैं।
    जापानी नागरिक —
     टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आकर अवैध धार्मिक गतिविधियाँ चला रहे हैं।भारत सरकार से न धार्मिक पंजीकरण, न अनुमति।

    नेपाल में तो हाल और भी खराब है — वहाँ की ज़मीनें खरीदी गईं, धर्मांतरण केंद्र बनाए जा रहे है , और विरोध करने वालों को स्थानीय प्रशासन  के ज़रिए दबाने  का प्रयास किया जा रहा है ।


     मेरा अनुभव — एक अंदरूनी साक्ष्य

    "मैं, दीपक कुमार, कभी इस संस्था का हिस्सा था।
    शुरुआत में लगा कि यह एक आध्यात्मिक मंच है, लेकिन धीरे-धीरे मुझे सच्चाई का एहसास हुआ — यह एक सोची-समझी धर्मांतरण की साजिश है।"

    जब मैंने विरोध किया:

    • मुझे चुप रहने और समझौते के लिए पैसे ऑफर किए गए।

    • जब मैंने मना किया, तो भारत में मुझ पर ₹10 लाख का मानहानि केस कर दिया गया।

    • नेपाल में मेरे साथियों को पुलिस का डर दिखाया गया।


    💰 अवैध गतिविधियाँ और हवाला लिंक?

    • भारत और नेपाल टूरिस्ट वीज़ा का दुरुपयोग।

    • नेपाल में हवाला हुंडी के जरिए जापान से पैसे मंगाना।

    • नेपाल में ज़मीन खरीदना और धर्म स्थल बनाना।

    • नेपाल के स्थानीय प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों को साथ मिलाकर पूरे नेटवर्क को छुपाना।


    🚔 क्यों होनी चाहिए जांच?

     यह मामला सिर्फ मेरा नहीं, देश की सुरक्षा और सांस्कृतिक अखंडता का है।
     वीज़ा उल्लंघन, मनी लॉन्ड्रिंग, धार्मिक शांति भंग — ये सब गंभीर अपराध हैं।
     इनकी सभी वित्तीय लेन-देन, संपत्ति, और गतिविधियाँ FRRO, ED, MHA द्वारा जाँच के लायक हैं।

    क्यों होनी चाहिए जांच?

     यह मामला सिर्फ मेरा नहीं, देश की सुरक्षा और सांस्कृतिक अखंडता का है।
     वीज़ा उल्लंघन, मनी लॉन्ड्रिंग, धार्मिक शांति भंग — ये सब गंभीर अपराध हैं।
     इनकी सभी वित्तीय लेन-देन, संपत्ति, और गतिविधियाँ FRRO, ED, MHA द्वारा जाँच के लायक हैं।


    📢 आप क्या कर सकते हैं?

    🛑 खामोश मत रहिए।
    ✅ अगर आपके इलाके में "जापानी भाषा क्लास" के नाम पर मंत्र जाप या पूजा हो रही है, सतर्क हो जाइए।
    📩 MHA, FRRO, या स्थानीय पुलिस को शिकायत करें।
    📣 इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें — यह किसी एक धर्म का नहीं, पूरे भारत और नेपाल देश का सवाल है।


     हम चुप नहीं बैठेंगे!

    मैं, दीपक कुमार, एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता, साकेत कोर्ट में इस झूठे मानहानि केस का डटकर मुक़ाबला कर रहा हूँ — और अगर ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ूँगा।यह केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं, यह एक सांस्कृतिक और नैतिक जंग है। हमने इनके खिलाफ भारत के  गृह मंत्रालय विदेशी प्रभाग  ,विदेश मंत्रालय ,कोर्पोरेट कार्य मंत्रालय दिल्ली , CPIO और FRRO कोलकाता से  आर टी आई के माध्यम से जानकरी माँगा है .

    क्या भारत सरकार की मौजूदा वीज़ा नीति के अनुसार, टूरिस्ट वीज़ा या बिजनेस पर भारत आने वाले विदेशी नागरिकों को धार्मिक गतिविधियाँ जैसे – धर्म प्रचार, प्रवचन, मंत्र जाप, धर्मांतरण – करने की अनुमति है? ऐसे बहुत सवाल जब आर टी आई का जबाब आने पर खुलासा करंगे .

    🙏 "हमारी संस्कृति, हमारी अस्मिता, और हमारा संविधान — सब खतरे में है। समय आ गया है जागने का!"  — नहीं तो बहुत देर हो जाएगी!"


     निचिरेन शोशु (Nichiren Shoshu) और उसके सदस्यों के खिलाफ विभिन्न देशों में समय-समय पर कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाइयाँ हुई हैं। नीचे कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण प्रस्तुत है:


    अर्जेंटीना (1999)

    जुलाई 1999: अर्जेंटीना के धार्मिक मामलों के ब्यूरो ने निचिरेन शोशु की स्थानीय शाखा को अपने रजिस्टर से हटा दिया और उनकी सभी धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके दो मुख्य कारण थे:

    निचिरेन शोशु के एक पुजारी द्वारा मदर टेरेसा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना।
    बिना अनुमति के प्रचार कार्यालय की स्थापना करना।
    • परिणामस्वरूप, उस पुजारी को देश से निष्कासित कर दिया गया।

     ब्राज़ील (1999)

    1999: ब्राज़ील की संघीय अदालत ने निर्णय दिया कि निचिरेन शोशु ने एसजीआई-ब्राज़ील के सदस्यों की एक इमारत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। अदालत ने निचिरेन शोशु के पुजारियों और अनुयायियों को उस परिसर से बेदखल कर दिया।

     जापान (2002)

    जनवरी-फरवरी 2002: जापान के सुप्रीम कोर्ट ने निचिरेन शोशु द्वारा दायर तीन मुकदमों को खारिज कर दिया, जो सुधारवादी पुजारियों को उनके मंदिरों से हटाने के लिए थे। अदालत ने इन पुजारियों के पक्ष में निर्णय दिया, जो निचिरेन शोशु से अलग हो गए थे।

     संयुक्त राज्य अमेरिका (1993)

    1993: निचिरेन शोशु ने एसजीआई के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें "सीएटल घटना" की रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताई गई थी। इस मामले में विभिन्न गवाहों की गवाही हुई, जिसमें निचिरेन शोशु के उच्च पुजारी निक्केन और दो सीएटल पुलिस अधिकारी शामिल थे।

    🌍 अन्य विवाद

    जापान (1940 के दशक): निचिरेन शोशु के पुजारी जिमोन ओगासावारा ने जापान की सैन्य सरकार के साथ मिलकर बौद्ध और शिंतो धर्मों के एकीकरण का प्रयास किया, जिससे उनके संप्रदाय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।


    👇 इस आर्टिकल को शेयर करें — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ धर्म और राष्ट्र दोनों को पहचान सकें।


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