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    सीतामढ़ी: वट सावित्री व्रत पर सुहागिनों ने बरगद के पेड़ की पूजा कर मांगा अखंड सौभाग्य, सुनाई सत्यवान-सावित्री कथा

    सीतामढ़ी: वट सावित्री व्रत पर सुहागिनों ने बरगद के पेड़ की पूजा कर मांगा अखंड सौभाग्य, सुनाई सत्यवान-सावित्री कथा


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    🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क

    ✍️ Reporting By :पवन साह  | WeNews24 | Edit By :Deepak Kumar |Updated : 26 May 2025

    सीतामढ़ी। जिले में वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। महिलाएँ सोलह श्रृंगार कर एकत्रित हुईं और विधिवत बरगद (वट वृक्ष) की पूजा की। इस अवसर पर सत्यवान और सावित्री की कथा का पाठ किया गया, जिसमें पति के प्रति प्रेम, समर्पण और तपस्या की मिसाल दी जाती है।


    हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। इस बार सोमवती अमावस्या के शुभ संयोग में यह व्रत और खास माना गया। सुहागिन स्त्रियों ने अखंड सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा की।


    कुछ जगहों पर परंपरा के अनुसार पूजा के बाद महिलाएँ एक-दूसरे को पूजन सामग्री से बने पंखे से खोइछा (वरदान) देती हैं और सिंदूर का दान करती हैं। इसके बाद वे बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन करती हैं। वट सावित्री व्रत स्त्री-शक्ति, धैर्य और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है, जिसमें सावित्री ने अपनी बुद्धि और तप से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस मांगे थे।

    इस अवसर पर सत्यवान-सावित्री की कथा सुनाई गई, जिसमें बताया गया कि कैसे सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांगे थे।


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    🌿 सत्यवान-सावित्री कथा का सार:
    एक बार राजकुमारी सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया, जिन्हें यह वरदान था कि वे अल्पायु होंगे। सावित्री को उनके कम जीवनकाल की बात पहले से पता थी, लेकिन उसने उनका साथ नहीं छोड़ा। जब नियत दिन आया, यमराज सत्यवान की आत्मा लेने आए। सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपनी बुद्धिमत्ता व भक्ति से उन्हें प्रसन्न किया। यमराज ने सावित्री को वर मांगने का अवसर दिया। सावित्री ने अपनी चतुराई से पति के प्राण वापस मांग लिए और इस तरह अपने अखंड सौभाग्य को बचा लिया।

    इस कथा के कारण ही वट सावित्री व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है और सुहागिन स्त्रियाँ इस दिन पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं।


    🎯 हाइलाइट्स (Highlights):
    ✅ वट वृक्ष की विधिवत पूजा
    ✅ सत्यवान-सावित्री कथा का पाठ
    ✅ महिलाओं का परस्पर पूजन सामग्री और सिंदूर का दान
    ✅ बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेकर सुख-समृद्धि की कामना
    ✅ सोमवती अमावस्या पर व्रत का विशेष संयोग

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