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    🌟 आईआईटी पटना में विराट कवि सम्मेलन में गूंजे हास्य, श्रृंगार और वीर रस के स्वर

    🌟 आईआईटी पटना में विराट कवि सम्मेलन में गूंजे हास्य, श्रृंगार और वीर रस के स्वर




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    🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क

    ✍ बिहटा से कलीम आंसरी | Update :25 May 2025


    पटना, 25 मई 2025 — भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना के प्रांगण में द्वि-साप्ताहिक कैंपस इमर्सन कार्यक्रम के समापन अवसर पर एक भव्य विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन साहित्य, देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत संगम बना, जिसमें श्रोताओं ने हास्य, श्रृंगार, करुण और वीर रस की झलकियों का आनंद लिया।


    🌟 आईआईटी पटना में विराट कवि सम्मेलन में गूंजे हास्य, श्रृंगार और वीर रस के स्वर


    कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इस अवसर पर मंच पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे:

    • श्रीमती अल्पना सिंह

    • प्रोफेसर ए. के. ठाकुर (रजिस्ट्रार एवं डीन प्रशासन)

    • डॉ. एन. के. तोमर (डीन रिसोर्सेज)

    • श्री नीरज राजहंस (महासचिव, माइक्रोटेक)

    • श्री अनंताशुतोष द्विवेदी (महानिदेशक, हेरिटेज सोसाइटी)





    मंच पर छाए रहे देश के प्रतिष्ठित कवि

    देश के विभिन्न राज्यों से आए जाने-माने कवियों ने अपनी रचनाओं से मंच की शोभा बढ़ाई और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रमुख कवियों में शामिल रहे:
    नीलोत्तम मृणाल (भोपाल) — साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, जिन्होंने सामाजिक यथार्थ को छूती कविताएं प्रस्तुत कीं:
    “पूछेगा जो कोई तो उसको बताएंगे,
    आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखाएंगे।”


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    विनीत चौहान (राजस्थान) — वीर रस के चर्चित कवि, जिनकी पंक्तियों ने देशभक्ति का जोश भर दिया:
    “भारत मां ऐसी कोई भी कायर संतान नहीं रखती।”

    कुमार रजत और चंदन द्विवेदी (पटना) — श्रृंगार और करुण रस की रचनाओं से दर्शकों का दिल जीत लिया।

    शिखा दीप्ति दीक्षित (गाजियाबाद) — भावप्रधान श्रृंगार रस की कवियित्री, जिन्होंने कहा:
    “मुझे है राम की सौगंध, सीता बनके निकलूंगी।”

    राधेश्याम भारती (प्रयागराज) — हास्य कविताओं से मंच को जीवंत कर दिया।

    आशुतोष त्रिपाठी (देवरिया, उत्तर प्रदेश) — ओजस्वी प्रस्तुतियों को श्रोताओं की तालियों ने खूब सराहा।

    साहित्य और संवेदना का संगम

    आईआईटी पटना का यह कवि सम्मेलन न केवल एक साहित्यिक महोत्सव था, बल्कि राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना और मानवीय भावनाओं का अद्भुत संगम भी साबित हुआ। इसमें छात्रों, शिक्षकों और आमंत्रित अतिथियों की सक्रिय भागीदारी ने आयोजन को अत्यंत सफल और अविस्मरणीय बना दिया।


    इस अवसर पर प्रस्तुत रचनाओं ने श्रोताओं को भावविभोर किया और समाज के विविध पहलुओं पर सोचने के लिए प्रेरित किया। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि आईआईटी पटना न केवल तकनीकी उत्कृष्टता, बल्कि साहित्य, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति भी समान रूप से प्रतिबद्ध है। 

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