गाजियाबाद: एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकारी विभाग धज्जिया उड़ा रहा है |
उत्तर प्रदेश /गाजियाबाद/समाचार
WAORS NEWS की विशेष रिपोर्ट
गाजियाबाद :जब सिस्टम बनाने वाले ही सिस्टम को तोड़े तो उसे आप क्या कहेंगे आम पब्लिक के लिए तो सारे नियम और कानून लागु होता है |पर जो कानून के रक्षक है वो कानून का पालन क्यों नहीं करते है ? जिसके वजह से आम नागरिक जहरीली हवा में साँस लेने को मजबूर है |एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए 10 और 15 साल पुराने वाहनों को सड़क से हटाने का जिम्मा सरकारी अधिकारियों को दिया है | पर वही सरकारी अधिकारियों के 30-30 साल पूरानी गाड़ी सडको पर चल रही है तो इन गाडियों को कौन हटाएगा ?
दिल्ली में प्रदुषण का स्तर बहुत ही गमभीर हो गयी है | एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट आदेश आने के बाद दिल्ली की सडको से 10 साल और 15 साल पुरानी गाडियों को हटाने का मुहीम तेज हो गया है |
पर वही दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद में एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकारी अफसर और सरकारी महकमे द्वारा धज्जिया उड़ाया जा रहा है | जिन अफसर को जिम्मेदारी मिली है सडको से पुरानी गाड़ी हटाने का वही अफसर के नाम 30-30 साल पुरानी गाड़ी सडको पर चल रही है |\
ये कब पता चला जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अगले दिन जब इसकी गाजियाबाद में इसकी पड़ताल की गयी तो अलग-अलग विभागों के सरकारी वाहनों का निरीक्षण में पता चला | निगम, जीडीए, सिंचाई और स्वास्थ्य विभागों में एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट केआदेश का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है।
जानिए किन -किन विभागों ने कानून का उल्लंघन किया है
30 साल पुराना ट्रक (UTG 9962) मॉडल: 1985
सिंचाई विभाग के पास करीब 30 साल पुराना ट्रक है। इसे 1998 में ही कबाड़ घोषित किया जाना था लेकिन अभी भी विभाग इस वाहन से काम करवा रहा है। खास बात यह है कि इसका गाजियाबाद आरटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन नहीं है। इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता नीरज कुमार का कहना है कि यह ट्रक यहां का नहीं है, किसी और जिले का होगा। किसी काम के लिए यहां आया होगा।
21 साल पुरानी है निगम की एंबेसडर (UP14 F 9424) मॉडल: 1997
निगम में नगर आयुक्त के नाम से रजिस्टर्ड ऐंबैसडर कार 21 साल पुरानी है। आज भी यह गाड़ी सड़कों पर दौड़ लगा रही है। निगम के अकाउंट अफसर के नाम यह गाड़ी अलॉट है जबकि आदेश है कि 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को एनसीआर में नहीं चलाया जाएगा। निगम इस आदेश का पालन नहीं करता है। नगर आयुक्त सी.पी. सिंह का कहना है कि इस कार को जल्द ही कबाड़ घोषित किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
स्वास्थ्य विभाग में 16 साल पुरानी चल रहीं डीजल गाड़ियां (UP32 AR 1270) मॉडल: 2002
स्वास्थ्य विभाग में एक वाहन 16 साल पुराना हो चुका है लेकिन इन्हें अभी कबाड़ नहीं किया गया है। यूपी-32 एआर 1270 का रजिस्ट्रेशन डायरेक्टर जनरल वेलफेयर के नाम है। यह 2002 मॉडल है। विभाग को कोई चिंता नहीं कि इससे क्या नुकसान होगा। वहीं यूपी-32 बीजी 0683 डायरेक्टर सोशल वेलफेयर के नाम से रजिस्टर्ड है। यह 2005 मॉडल है। दोनों डीजल वाहन हैं। एसीएमओ डॉ. संजय अग्रवाल का कहना है कि इन वाहनों की जांच की जाएगी,जल्द ही इन्हें कबाड़ किया जाएगा।
जीडीए के सचल दस्ते में 10 साल से पुराना वाहन (यूपी-32 पी 6690) मॉडल: 2007
जीडीए में एक वाहन दस साल से अधिक पुराना हो चुका है लेकिन अभी तक इसे कबाड़ नहीं किया गया। स्वराज मजदा का यह ट्रक जीडीए के सचल दस्ते के साथ चलता है। जीडीए सचिव संतोष राय का कहना है कि इस वाहन को नवंबर में होने वाली बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाकर कबाड़ घोषित किया जाएगा।
खतरनाक होता है पुराने वाहनों का धुआंपुराने डीजल वाहन बड़े पैमाने पर जानलेवा कण और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं जो दमा, ब्रोंकाइटिस, दिल का दौरा और बच्चों में विकास संबंधी बीमारी को पैदा करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार पेट्रोल इंजन की तुलना में डीजल चार गुना ज्यादा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 22 गुना ज्यादा खतरनाक कण उत्सर्जित करता है। डीजल में मौजूद सल्फर नामक धातु सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण करता है जो नाक, गले और सांस की नली में दिक्कत पैदा करता है जिससे खांसी और सांस की समस्या पैदा होती है।
48 घंटे से शहर ले रहा जहरीली सांसें
बीते 48 घंटे की बात करें तो स्थिति और भयावह हो गई है। मंगलवार को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 451 रिकॉर्ड किया गया जबकि शनिवार को यह 430 पर था। लगातार दूसरे दिन देश में सबसे प्रदूषित जिला गाजियाबाद रहा है।

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