दिल्ली एनसीआर का इलाका प्रदूषण की चपेट में
नई दिल्ली :इन दिनों लगातार बढ़ते दिल्ली एनसीआर का इलाका प्रदूषण की चपेट में है। हालत ऐसे है कि इन इलाको में किसी भी तरह की कंस्ट्रेक्शन पर रोक लगा दी गई है। सीपीसीबी ने सुबह वॉक पर जाने वालों को ऐसा न करने को कहा है। गैस चैंबर बनी दिल्ली को लेकर हर कोई चिंता में है। वहीं पर यहां रहने वाले लोगो की दमघोटू स्थिथि बनी हुयी है |लोगो को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है, प्रदूषण के कारणआंखों में जलन, गले में खराश जैसी समस्या से लोग जूझ रहे हैं। दिल्ली और आस पास के इलाके के लिए यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि यहां पर हालात इन दिनों बद से बदत्तर होते जा रहा हैं।क्या आप यह भी जानते हैं कि दुनिया में कितने शहर के लोग इसी तरह की समस्यों से जूझ रहे हैं।
आइये जानते है किन शहर में कितना प्रदूषण है |
आपको ये जानकार हैरानी होगी की बढ़ते प्रदूषण की समस्या विकसित राष्ट्र के शहर के भी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि छह देशों की राजधानी दुनिया के सबसे प्रदुषित शहरों में गिनी जाती हैं।
अमेरिका का लॉस एंजेलिस शहर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस वर्ष अगस्त में आई रिपोर्ट को यदि गौर करें तो
इस लिस्ट में पहले नंबर पर मिस्र की राजधानी कायरो का नाम आता है। दुसरे नंबर पर दिल्ली (भारत)तीसरे नंबर पर बीजिंग (चीन) चौथे नंबर पर मास्को (रूस) पांचवे नंबर पर इस्तानबुल (मिस्र), छठे नंबर पर गुआंगझू, शंघाई, ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना), सातवे नंबर पर पेरिस (फ्रांस) और अंत में लॉस एंजेलिस का नाम आता है। वहीं आपको यह भी बता दें कि स्वीटजरलैंड का सबसे बड़ा शहर ज्यूरिख दुनिया का सबसे साफ आबो-हवा वाला शहर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि दुनिया के दस में नौ लोग प्रदुषित हवा में सांस ले रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ की मानें तो
डब्ल्यूएचओ की मानें तो दुनिया में करीब 70 लाख लोग इसी प्रदुषित हवा का शिकार होकर मौत के मुंह में समा जाते हैं। प्रदुषित हवा की वजह से फेंफड़े खराब होने से लेकर लंग कैंसर, स्ट्रॉक, निमोनिया, क्रोनिक डिजीज जैसे घातक रोग हो जाते हैं। इतना ही नहीं हमारे आस-पास की खराब आबो-हवा हमारे शरीर के अलावा हमारे दिमाग को भी नुकसान पहुंचाती है। यह इंसान को डिप्रेशन तक का शिकार बना सकता है। डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट शहरों के PM 10 and PM 2.5. के आधार पर तैयार की गई है। इसके अलावा इसमें ध्वनि प्रदूषण, रोशनी से होने वाले प्रदूषण तक का जिक्र किया गया है।
हवा के प्रदूषण के प्रमुख कारण
हवा के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम, सल्फ़र डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन। पार्टिकुलेट मैटर यानी वो काला धुआं जो गाड़ियों और कारखानों से निकलता है। साथ ही वो खाना बनाने के लिए जलाई जाने वाली लकड़ी से भी पैदा होता है। यही पीएम पराली जलाने से भी हवा में घुलता है। कारों से सल्फ़र डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन और ओज़ोन के तौर पर प्रदूषण फैलाने वाले केमिकल निकलते हैं। दिल्ली एनसीआर की ही यदि बात करें तो ऐसा हाल पिछले वर्ष भी था। इससे बचने के लिए पिछले वर्ष नवंबर में स्कूल बंद करने पड़े थे, ताकि बच्चों को दमघोंटू धुएं से बचाया जा सके। पिछले वर्ष दिल्ली में प्रदूषण का स्तर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानक से तीस गुना ज्यादा दर्ज किया गया था।
चीन ने कोयले पर रोक लगा रखी है |
हालांकि चीन ने अपने यहां पर बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वहां पर कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। इसके अलावा औद्योगिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी। इसका असर ये हुआ कि वहां की आबोहवा पहले के मुकाबले साफ हुई थी। इससे देश भर में प्रदूषण के स्तर में 4.5 फीसदी की कमी आई। चीन ने 2013 में बीजिंग से कोयला, सीमेंट और स्टील का उत्पादन बंद कर दिया था।
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