लंबे समय के बाद बक्सवाहा जंगलों के बेजुबान पेड़ो पौधों,जीव जंतुओं को मिली आजादी
नई दिल्ली : 11 जून 2023 हम सभी पर्यावरण प्रेमियों के लिए बहुत ही खुशी वाला दिन रहा क्योंकि देश के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग जिलों में जो भी पर्यावरण प्रेमी मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान में जुड़े थे उनके लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है हम सब ने मिलकर उन बक्सवाहा के जंगलों को बचाने के लिए अभियान चलाया उन जंगलों में रहने वाले जीव-जंतु ,पशु-पक्षी,बेजुबान प्राणी और पौधे उन सभी को सुरक्षित रखने के लिए आप सभी लोगों ने अपना योगदान दिया,बक्सवाहा जंगलों को काटने के लिए 2010 में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टेंटो की मदद से सर्वे कराया गया सर्वे के दौरान ही बक्सवाहा के आसपास किंबरलाइट पत्थर की चट्टाने दिखाई नहीं हीरा इन्हें किंबरलाइट की चट्टानों से मिलता है अतः सरकार ने इस कंपनी को खनन करने के लिए अनुमति दे दी उसके बाद वहां के स्थानीय निवासी, पर्यावरण प्रेमी आदि सभी लोगों ने उसका विरोध किया और वह कंपनी वहां से चली गई, उसके बाद फिर सरकार द्वारा यह टेंडर 2019 में बिड़ला ग्रुप की सहयोगी कंपनी दिया गया जिसमें हीरा खनन के लिए 382 पॉइंट 131 हेक्टेयर जमीन एक्सेल माइनिंग कंपनी को आवंटित कर दी गई,इस जमीन पर खड़े करीब 4 लाख पेड़ों को काटने की तैयारी हो चुकी थी।
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उस समय देश के अलग-अलग कोनों में पर्यावरण संरक्षण पर कार्य कर रहे सभी पर्यावरण प्रेमियों को जब पता चला,तो सबने मिलकर एक मुहिम चलाई जिस मुहिम का नाम था बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान इस अभियान में भारत के अलग-अलग राज्यों से,और भारत से लगी हुई सीमाओं के भी पर्यावरण प्रेमी इस मुहिम में जुड़े,और उन्होंने इस अभियान में अपना महत्वपूर्ण समय दिया,उसके बाद एनजीटी में भी याचिका दायर की गई,इसके साथ-साथ अलग-अलग जगह पर स्थानीय लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी किया गया,जिसमे अलग अलग राज्य ने बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान में अपनी भूमिका निभाई,किसी ने अपनी वीडियो बनाकर भेजी तो किसी ने save baxwaha पर ड्रॉइंग बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की,
और इसमें सभी लोगों का बहुत ही योगदान रहा,सोशल मीडिया के माध्यम से,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से,पत्राचार के माध्यम से,नुक्कड़ नाटक के माध्यम से,स्लोगन के माध्यम से अपने अपने विचार व्यक्त किए,इस अभियान से जुड़े कुछ सदस्यों ने महामहिम राष्ट्रपति जी,प्रधानमंत्री जी,पर्यावरण मंत्री जी और मध्य प्रदेश सरकार को अपने खून से बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान को बचाने के लिए पत्र भी लिखा,जिसमे मैं भी शामिल हुं।
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उसके बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2021 को बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन पर रोक लगा दी है।पुरातत्व विभाग ने जांच कर हाईकोर्ट को रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा गया है कि बक्सवाहा जंगल में रॉक पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की है। हीरा खनन से इन पेंटिंग को नुकसान पहुंच सकता है रिपोर्ट पढ़ने के बाद हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से खनन पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। ये पल भी हमारे लिए बहुत ही खुशी के पल थे।
उसके बाद फिर हमने 15 मई 2022 को भी राष्ट्रीय जंगल एवं प्रकृति बचाओ अभियान भारत ने दिल्ली जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया जिसमें जिसमें हमने केंद्र सरकार से यह मांग की थी कि बक्सवाहा के जो जंगल हैं उनको हमेशा के लिए सुरक्षित रखा जाए,बड़े गर्व के साथ कहना चाहूंगा और बहुत खुशी है कि केंद्र सरकार द्वारा 11 जून 2023 को केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्णय लिया गया कि बक्सवाहा जंगल में खनन नहीं किया जाएगा।
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