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    लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. प्रदीप चंद्रन नायर देहरादून में असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों के सम्मेलन में शामिल हुए

    लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. प्रदीप चंद्रन नायर देहरादून में असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों के सम्मेलन में शामिल हुए




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    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / एजेंसी रिपोर्ट

    देहरादून : राजधानी के गढ़ी कैंट सैनिक  के  सभागार में असम राइफल्स (Assam Rifles) के पूर्व सैनिकों का सम्मेलन आयोजित किया गया . जिसमें असम राइफल के जनरल डॉ प्रदीप चंद्रन अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम), युद्ध सेवा मेडल (वीएसएम) ने इस सम्मेलन में पहुंचकर पूर्व सैनिकों को संबोधित किया . लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा कि वह अपने पूर्व सैनिकों के प्रति श्रद्धा प्रतिबंध है तथा उनकी सभी समस्याओं को निराकरण करने के लिए हर संभव कोशिश करते रहेंगे . 


    इस सम्मेलन में पूर्व सैनिक वीर नारियां युद्ध पदक विजेता युद्ध काल में शारीरिक विकलांग हुए सैनिक और शहीदों के परिवार और उनके आश्रितों ने शिरकत की वहीं सम्मेलन में महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ने असम राइफल के दोहरे नियंत्रण के बारे में अपनी राय रखते हुए कहा कि यह मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है . तथा समय-समय पर सुनवाई हो रही है उन्होंने कहा कि न्यायालय का जो भी फैसला आएगा वह सर्वमान्य होगा .

     वहीं पूर्व सैनिक संगठन धर्मगुरु भगवती प्रसाद नौटियाल  ने असम राइफल के दौरे नियंत्रण की समाप्ति हेतु तथा सेना की भांति तत्वों के आधार पर अन्य जायज मांगों को पूरा करने का मसला उठाया इस मौके पर पूर्व सैनिकों ने शहीद हुए सैनिकों को भी याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी दी इस दौरान सैनिकों की शहादत की स्मृतियों को याद करते हुए पूर्व सैनिकों की आंखें भी नम हो गई .

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    लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप चंद्रन नायर के बारे में 

    1 जून 2021 को असम राइफल्स (जिसे पूर्वोत्तर के प्रहरी के नाम से जाना जाता है) के 21वें महानिदेशक के रूप में पदभार संभाला। उन्हें असम राइफल्स और पूर्वोत्तर का समृद्ध अनुभव है, वह पहले असम राइफल्स में एक महानिरीक्षक और कंपनी कमांडर रहे हैं, इसके अलावा बतौर ब्रिगेड कमांडर उन्होंने असम राइफल्स बटालियनों की कमान भी संभाली है । जनरल ऑफिसर को 1985 में सिख रेजिमेंट में कमीशन प्रदान किया गया था। वह सैनिक स्कूल सतारा, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज, डिफेंन्स मैनेजमेंट कॉलेज और प्रतिष्ठित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्हें सियाचिन ग्लेशियर और असम में अपनी बटालियन (18 सिख) की कमान संभालने का बहुत बड़ा सैन्य अनुभव है।


    मणिपुर में ब्रिगेड कमांडर रह चुके हैं
     इसके अलावा पूर्वोत्तर में वह मणिपुर और सिक्किम में कंपनी कमांडर, असम में बटालियन कमांडर, मणिपुर में ब्रिगेड कमांडर रह चुके हैं और हाल के दिनों में नगालैंड में असम राइफल्स के महानिरीक्षक भी रह चुके हैं। वह इंफैंट्री स्कूल, महू, भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल, भूटान में प्रशिक्षक तथा प्रमुख डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज में एक डायरेक्टिंग स्टाफ रहे हैं। उन्होंने सेना मुख्यालय में कर्नल, मेजर जनरल और लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा एरिया में तथा डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी में ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ के रूप में भी कार्य किया है। 


    सेना मुख्यालय में अपने अंतिम कार्यभार में, वह डायरेक्टर जनरल रिक्रूटिंग थे, जो भारतीय सेना में अधिकारियों और जवानों की भर्ती के लिए जिम्मेदार होता है। उनको नगालैंड में महानिरीक्षक असम राइफल्स (उत्तर) के रूप में अपनी कमान के दौरान अति विशिष्ट सेवा मेडल, मणिपुर में एक ब्रिगेड की कमान के दौरान युद्ध सेवा मेडल तथा तीन अवसरों पर सेनाध्यक्ष प्रशस्ति पत्र से अलंकृत किया गया है।

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