Mythology:- गौ सेवक उपमन्यु की दूध पीने की इच्छा ने दिला दी दूध का क्षीरसागर
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / एडिट और लेखन दीपक कुमार
नई दिल्ली : कहते है जंहा चाह वही राह ये बात बालक उपमन्यु पर बिलकुल ठीक बैठता है .चलिए उपमन्यु की बात को हम आगे करंगे अभी बात करते है हम गौ माता की मनुष्य अगर अपने जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह हर संकट से बच सकता है मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दें क्योंकि गौमाता हमें मोक्ष दिलाती है . इन बातों का प्रमाण पुराणों में भी मिलता है की गाय की पूंछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है .
गाश्च शउश्रूषतए यश्च समन्वेति च सर्वश: ।
तस्मै तूष्टआ प्रयच्छन्ति वारानपि सुदुलर्भान।।
अर्थात जो पुरुष गौ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गऊ उसे अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है .
दूध पिने की इच्छा से उन्हें साक्षात् शिव का दर्शन हुआ
अब बात आते है .उपमन्यु की कथा पर की कैसे उनकी दूध पिने की इच्छा से उन्हें साक्षात् शिव का दर्शन हुआ और उन्हें क्षीर सागर मिला . ईश्वर सदैव से अपने भक्तों के कठिन परीक्षा लेते हैं . और जो सच्चे भक्त होते है इस कठोर परीक्षा को पार भी करते है . ऐसे ही एक कथा है . धौम्य ऋषि के बड़े भाई और मुनि व्यध्रपाद के पुत्र उपमन्यु की जो अपनी मां देविका के साथ मामा मामी के घर पर रहा करते थे। मां एवं पुत्र दोनों गायों की नित्य सेवा करते रोज गाय चराने जाते थे । गायों में एक काली गाय था जिसका दूध अकसर उपमन्यु निकाला करता था । उसे भी दूध पीने की इच्छा होती थी परंतु उसकी मामी ने कभी उसको दूध पीने को नहीं देती थी। तुरंत ही उससे दूध छीन कर अपने बेटे पुरंदर को पिला देती थी । वह सदैव उपमन्यु को कोसती रहती थी कि क्या तुम मेरे बेटे को नजर लगाएगा।
अपमान जनक बाते उपमन्यु बहुत दुखी हुआ
उपमन्यु अपनी मां के प्रति अपनी मामी के द्वारा दिए जाने वाले अपमान जनक बाते एक दिन उपमन्यु को बहुत दुखी कर दिया . एक दिन उपमन्यु अपनी माँ से बात किया की माँ मुझे भी गाय का दूध पीना है .मुझे भी दूध पिने को दो ना उपमन्यु की माँ अपने बेटे की दूध पिने की इच्छा को शांत करने के लिए चावल को पीसकर पानी में घोल कर उसे दूध बताकर दे दिया जब उपमन्यु ने पिया तो पता चल गया की वो दूध नहीं है .तब उसने अपनी माँ से कहा माँ ये दूध नहीं मुझे गाय का दूध दो .तब उनकी माँ ने कहा पुत्र उपमन्यु तुझे दूध पीना है तो भगवान शिव की आराधना कर वह तेरी हर इच्छा को पूरा करेंगे ।
उपमन्यु शिव आराधना करने जंगल गया
तब उपमन्यु ने ठान लिया कि मुझे दूध के लिए शिव आराधना करनी है ।रोज की तरह उपमन्यु गायो को चराने जंगल गया .उपमन्यु ने चरती हुई गौ माताओं से विनती की है गौ माता तुम सब घर लौट जाओ मै शिव का आराधना करूंगा और आप मेरी मां को बता देना कि मेरी चिंता ना करें मैं शिव की शरण में जा रहा हूं । काली गाय को छोड़कर सभी गाय घर वापस चली गईं।
उपमन्यु की मामी गाय चुराने का इल्जाम लगाया
उपमन्यु को गाय के साथ ना पाकर माँ घबरा गयी. लेकिन उपमन्यु की मामी उपमन्यु पर काली गाय चुराकर भागने का लगा दिया और कहा की दूध पीने के लालच में उपमन्यु ने अपनी मां की भी चिंता नहीं की और मां को छोड़ कर भाग गया । उपमन्यु की मां का हाथ जोड़कर अपनी भाभी को समझाती रही है कि आप इस तरह की बातें ना करें अवश्य ही काली गाय इधर-उधर भटक गई होगी इसलिए वह उसे ढूंढने गया होगा वह आ जाएगा।
ॐ नमः शिवाय का जाप करने लगा
इधर उपमन्यु जंगल में विचरण करते हुए आगे निकल गया उसकी दृष्टि अचानक एक शिवलिंग पर पड़ी तब उपमन्यु ने शिवलिंग की पूजा करने के लिए पुष्प लेने गया तभी काली गाय ने आकर उस शिवलिंग पर अपने दूध से अभिषेक कर दिया . जब उपमन्यु पुष्प लेकर वापस आया तो वहीं शिवलिंग के पास बैठकर शिव जी के ध्यान में मग्न हो गया और ॐ नमः शिवाय का जाप करने लगा ।
उपमन्यु की तपस्या में विघन डालने भगवान शिव इंद्र वेश में आये
उपमन्यु की कठोर तपस्या को देख भगवान शिव उपमन्यु की परीक्षा लेने इंद्र का रूप धारण कर उपमन्यु के सामने प्रकट हुए और उपमन्यु को तरह-तरह के प्रलोभन दिए इंद्रलोक और संसार के सारे सुख ऐश्वर्य देने का लालच दिया . लेकिन उपमन्यु ने यह सब लेने से अस्वीकार कर दिया और कहा कि मुझे सिर्फ शिव दर्शन ही चाहिए आप मुझे अन्यथा कोई लोग न दे मैं कोई व्यापारी नहीं हूं मुझे शिव दर्शन की इच्छा के अलावा और कोई दूसरी इच्छा नहीं है । कृपया आप मेरी आराधना में वाधा मत डालिए आप यंहा से चले जाइए इंद्र रूपी भगवान भोलेनाथ ने उपमन्यु की कठिन से कठिन परीक्षा ली उपमन्यु की तपस्या को तोड़ने के लिए तेज अग्नि वायु एवं वर्षा का माहोल पैदा किया फिर भी उपमन्यु अपनी तपस्या से हिला नहीं सभी स्तिथि परिस्तिथि में वो तप करता रहा छोटे से बालक उपमन्यु के तपोबल के सामने भोले नाथ झुकना ही परा । इंद्र वेश में स्वयं भगवान भोलेनाथ को अपने मूल रूप में आना ही पड़ा और भगवान शिव ने उपमन्यु को पुत्र कहकर अपने सीने से लगा लिया तभी पार्वती माता भी वहां उपस्थित हो गई तब भगवान भोले ने कहा आप पुत्र के लिए व्याकुल हो रही थी तो उपमन्यु को पुत्र के रूप में स्वीकार करे माता उपमन्यु के रूप में एक और पुत्र पाकर माता अत्यंत प्रसन्न हो गई ।
उपमन्यु की माँ गौ माता को चुराने के आरोप से दुखी
इधर उपमन्यु के माता अपने पुत्र को ना लौटने एवं उस पर लगे गौ माता को चुराने के आरोप से दुखी थी तभी काली गाय आकर माता के पल्लू को खींचने लगी काली गाय को देख माता बिलख बिलख कर रोते हुए उपमन्यु के बारे में पूछने लगी माता समझ गई कि काली गाय अपने साथ कहीं आने के लिए कह रही है।
काली गाय उपमन्यु की माता को लेकर आये
तभी काली गाय उपमन्यु की माता को लेकर तप स्थल पर पहुंची माता ने भी शिव पार्वती के दर्शन कर स्वयं को सौभाग्यशाली माना और शिव पार्वती से प्रार्थना की कि उपमन्यु ने दरिद्रता में जन्म लेकर घोर कष्ट सहन किए हैं । सुख कभी भी नहीं देखा है ।मैं उसके दूध पीने की इच्छा को भी पूरी नहीं कर सकती .
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भगवान शिव ने उपमन्यु क्षीर सागर प्रदान किया
भगवान शिव ने कहा कि तुमने उपमन्यु से कहा कि शिव आराधना करने से दूध का सागर प्राप्त होता है। तुम्हारे इस कथन को सत्य प्रमाणित करने के लिए उपमन्यु को मैं क्षीर सागर प्रदान करता हूं । जो कभी समाप्त नहीं होगा इस विशाल दूध के सागर से सभी भक्तों को दूध पीने की इच्छा पूर्ण होगी। माता पार्वती ने भी उपमन्यु को चीरकुमार होने और शिव महिमा भक्ति और सद्भावना का प्रचार प्रसार करने का वरदान दिया । वही शिव ने योग विद्या में पारंगत हो असंख्य शिष्यों को योग विद्या सिखाने और साथ में वेद सहित समस्त विद्याओं को प्राप्त करने का वरदान भी दिया। साथ ही कहा कि जगत के परम संतोषी प्राणी के रूप में तुम जाने जाओगे। किसी भी प्रकार की समृद्धि तुम्हारी मात्र इच्छा से प्रकट हो जाएगी । माता पार्वती एवं भगवान शिव उपमन्यु को वरदान दे अंतर्ध्यान हो गए।
उपमन्यु के मामा मामी ने क्षमा मांगी
उपमन्यु के मामा मामी ने क्षमा मांगी तब उपमन्यु ने कहा कि ईश्वर मेरी परीक्षा ले रहे थे। अप्रत्यक्ष तो आपके द्वारा प्रत्यक्ष रूप में आप स्वयं को दोषी मत मानिए आपको भी वह सब मिले जो कभी सुलभ नहीं हुआ ऐसा बोलते ही मामा मामी और उनके पुत्र के वस्त्र आभूषणों से सुसज्जित हो गए । मामा मामी ने हाथ जोड़कर कहा हमें राजा रानी जैसा जीवन देने वाला साधु वेश में क्यों है ? उपमन्यु ने कहा कि मैं और मां आश्रम बनाकर शिव महिमा और उनकी भक्ति का प्रचार करेंगे। अब यही हमारे जीवन का लक्ष्य उद्देश्य है । इस प्रकार बालक उपमन्यु कालांतर में महान ऋषि के रूप में प्रसिद्ध हुए ।
इसकथा का वर्णन शिवपुराण एवं महाभारत में अनुशासन पर्व अध्याय 14 में मिलता है । काली गाय और उसके दूध पीने की इच्छा से परम संतोषी भक्तों को महान ऋषि के रूप में स्थापित कर दिया । गौमाता से जिसका आत्मीय संबंध होता है। वह संतोषी व धनवान बनकर संसार में सुख ऐश्वर्य प्राप्त करता है।
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