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    अचानक नहीं हुआ मुस्लिम बहुल क्षेत्र नूंह में बृजमंडल यात्रा पर हमला ,काफी दिनों से चल रही थी हमले की योजना


    अचानक नहीं हुआ मुस्लिम बहुल क्षेत्र नूंह में बृजमंडल यात्रा पर हमला ,काफी दिनों से चल रही थी हमले की योजना




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    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / एजेंसी

    नई दिल्ली :- मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हरियाणा के नूंह में हर साल विश्व हिंदू परिषद और मातृशक्ति दुर्गावाहिनी की तरफ से निकाले जाने वाली बृजमंडल यात्रा परअचानक नहीं हुआ हमला। हमले की योजना पिछले काफी समय से किया जा रहा है। इसकी गवाही  इंटरनेट मीडिया पर एक के बाद एक चल रही पोस्ट दे रही  हैं। पूरे मामले को राजनीतिक रंग देते हुए नासिर-जुनैद हत्याकांड में राजस्थान पुलिस के मुख्य आरोपित मोनू मानेसर की तरफ मोड़ा जा रहा है।


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    मोनू मानेसर हालांकि बृजमंडल यात्रा में शामिल भी नहीं हुआ, लेकिन उपद्रव कर हरियाणा प्रदेश का भाईचारा खराब करने वाले लोगों ने दलील दी कि मोनू मानेसर बृजमंडल यात्रा में शामिल हुआ था, जिसे देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग गुस्सा गए नूंह और सोहना में उपद्रवियों ने मचाया तांडव, दो होमगार्ड की गई जान; कई पुलिसकर्मी घायल, दर्जनों वाहनों को जलाया



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    यात्रा में मुस्लिम समाज के लोगों का भी रहा है सहयोग

    बृजमंडल यात्रा मेवात क्षेत्र में हर साल निकलती है। इस यात्रा का लंबा इतिहास है। एक समय होता था कि सावन के महीने में निकलने वाली इस बृजमंडल यात्रा में मुस्लिम समाज के लोग भी सहयोग देते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से योजनाबद्ध तरीके से प्रदेश का भाईचारा बिगाड़ने की साजिश रची गई है। यह बृजमंडल यात्रा नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर से शुरू होकर श्रृंगार मंदिर पुन्हाना में खत्म होनी थी।


    बृजमंडल यात्रा के रूट के मुताबिक यह माता नूंह स्थित मनसा देवी मंदिर पहुंचती। फिर झीर मंदिर फिरोजपुर झिरका जाती और वहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन व जलाभिषेक के बाद यात्रा पुन्हाना के श्रृंगार मंदिर के लिए रवाना होती। दंगाइयों ने इनमें से कुछ भी नहीं होने दिया और यात्रा पर आरंभ होने से पहले ही योजनाबद्ध हमला बोल दिया।


    सरकार ने इस पूरे मामले में संयम से काम लिया

    हरियाणा सरकार ने इस पूरे मामले में संयम से काम लिया है। जिस तरह से प्रदेश सरकार खासकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पुलिस फोर्स को संयम बरतने की सलाह दी, उससे स्थिति ज्यादा गंभीर होने से बच गई। आरएसएस और हिंदू संगठनों के लोगों के आक्रोश के बावजूद सरकार का संयम काबिल-ए-तारीफ कहा जा सकता है, क्योंकि हालात बद से बदतर हो सकते थे। सीआइडी के पास कुछ ऐसी पोस्ट पहुंची हैं, जिनमें इंटरनेट मीडिया पर काफी पहले से यह योजना बनाई जा रही थी कि 31 जुलाई को कुछ बड़ा किया जाना है।


    रहीश खान रंगालिया नाम के व्यक्ति ने पोस्ट की है कि कुछ देर में नूंह में इंशा अल्लाह। यह बेहद खतरनाक पोस्ट है, जो इशारा कर रही है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। मोहम्मद सबीर खान ने इंटरनेट मीडिया पर लिखा है कि मोनू सोनू आजा, मेवात में तेरे स्वागत में ऐसी प्याज कुटेगी, फिर कभी जुड़ नहीं पाएगी। अजहर इसाब रानियां ने पोस्ट की है कि मेरा सभी मेवातवासियों से निवेदन है कि जो भाई चालक हैं, वह 31 जुलाई को मेवात में गाड़ी डम्फर अपने लिए नहीं बल्कि अपनी इज्जत के लिए चलाएं।


    इसका मतलब साफ है कि कुछ विशेष लोगों की विशेष तैयारी थी। बताया जाता है कि इंडियन अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल नाम की संस्था, जो कि अमेरिका से संचालित होती है, उसने ट्वीट कर मेवात क्षेत्र के संप्रदाय विशेष के लोगों को भड़काने का काम किया है। यह है पूरे विवाद की पृष्ठभूमि इसी साल 16 फरवरी को हरियाणा के भिवानी में बोलेरो से दो जली लाशें बरामद हुई थी। लाशों की शिनाख्त राजस्थान के गोपागढ़ निवासी जुनैद और नासिर के रूप में हुई थी। दोनों की हत्या का आरोप बजरंग दल के प्रांत गोरक्षा प्रमुख मोनू मानेसर पर लगाया गया। वह पांच महीने से फरार बताया जाता है।


    आरोप है कि मोनू मानेसर ने रविवार को वीडियो जारी कर इस यात्रा में शामिल होने की बात कही थी। उसके ऐलान को लेकर कुछ लोगों में नाराजगी थी, जबकि कुछ लोगों ने इस वीडियो को गलत ठहराया और कहा कि यह सब फर्जी था। बताया जा रहा है कि लोग यात्रा पर हमले के लिए पहले से तैयार थे। विहिप और बजरंग दल के लोगों का कहना है कि इस यात्रा में मोनू मानेसर शामिल ही नहीं हुआ और अपनी कमियों तथा गलतियों को छिपाने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल किया गया है। 

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