39th Anniversary of Bhopal gas tragedy:- भोपाल गैस त्रासदी में मरती जनता को छोड़ भाग गए परिवार सहित तत्कालीन मुख्यमंत्री
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / विशेष रिपोर्ट
भोपाल। दिसंबर, 1984... 2 और 3 दिसंबर के दरम्यान रात में भोपाल की हवा में मौत बह रही थी। भोपाल शहर के बैरसिया इलाके के पास बने यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड रिसकर हवा में घुलने लगी। आसपास के लोग सोते-सोते ही मौत के आगोश में चले गए। कुछ घबराकर भागे और हांफते-हांफते मर गए।
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भोपाल के अस्पताल मरीजों से भर गए। डॉक्टर और अस्पताल में बेड कम पड़ गए थे। एक ही बेड पर कई मरीजों को एक साथ लिटाया गया। बाहर लाशों के ढेर लग गए। एक-एक कब्र में कई-कई को दफनाया गया। एक ही चिता पर कई लाशों को एक साथ जलाया गया। सरकारी आंकड़ों में भोपाल गैस त्रासदी में मरने वालों की संख्या 3,787 बताई गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में यह संख्या 15,724 से ज्यादा बताई गई है। इस त्रासदी के दौरान उस वक्त के मुख्यमंत्री अपने परिवार को लेकर हवाई जहाज में सवार होकर भाग गए थे। इतना ही नहीं इस त्रासदी के आरोपियों को भी भगा दिया था।
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मर रही थी जनता और भाग गए थे सीएम
दरअसल, 3 दिसंबर की सुबह शहर में जहरीली गैस रिसने और लोगों के मरने की खबर फैल गई। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे अर्जुन सिंह। जब यह खबर अर्जुन सिंह को मिली तो वे आनन-फानन अपने परिवार को लेकर सरकारी हवाई जहाज से इलाहाबाद (मौजूदा प्रयागराज) चले गए।
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सफाई में बोले- मैं प्रार्थना करने गया था
इसके लिए सीएम की जमकर आलोचना भी हुई। उन पर आरोप लगे कि वे जनता को मरता छोड़ अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए भाग निकले। हालांकि, बाद में अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वे इलाहाबाद के उस सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल के गिरजाघर में प्रार्थना करने चले गए, जहां उन्होंने बचपन में पढ़ाई की थी। फिर उसी शाम लौट आए थे और अपनी मौजूदगी में 'ऑपरेशन फेथ' चलवाया था।
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आरोपी को दिया गया वीआईपी ट्रीटमेंट
खैर, जब हजारों लोग जान गंवा बैठे और लाखों की संख्या में लोग अपाहिज हो गए। तब शुरू हुआ कानूनी कार्रवाई का ड्रामा। 7 दिसंबर 1984 को मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड के सीईओ वॉरेन एंडरसन को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी ऐसी कि तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी और डीएम मोती सिंह मुख्य आरोपी को रिसीव करने पहुंचे। फिर एंबेसडर में बैठाकर यूनियन कार्बाइड के गेस्ट हाउस ले गए। यहां उसके ठहरने की व्यवस्था की गई।
बता दें कि यूनियन कार्बाइड का गेस्ट हाउस उस वक्त भोपाल की उन जगहों में से एक था, जहां लोग रुकना पसंद करते थे। तब भोपाल में अब की तरह चार और पांच स्टार होटल नहीं हुआ करते थे। वह आलीशान गेस्ट हाउस खंडहर अवस्था में श्यामला हिल्स के एक छोर पर आज भी देखा जा सकता है। अगले ही दिन राज्य सरकार के विमान में बिठाकर एंडरसन को दिल्ली भेज दिया गया और वहां से वो अमेरिका चला गया। इसके बाद एंडरसन कभी भारत नहीं आया। यह सब अर्जुन सिंह के कार्यकाल में ही हुआ था।
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फैक्ट्री हटाने की सलाह देने वाले अधिकारी का कर दिया ट्रांसफर
हजारों लोगों के मरने से पहले ही इस फैक्ट्री हटाने की बात हुई थी। आईएएस अधिकारी एमएन बुच ने जब फैक्ट्री हटाने के लिए कहा था तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद भी यूनियन कार्बाइड का विरोध जारी था। तब अर्जुन सिंह के श्रममंत्री ने कहा था, ''यूनियन कार्बाइड 25 करोड़ की संपत्ति है, पत्थर का टुकड़ा नहीं, जिसे इधर से उधर रख दूं।''
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