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    Khatu Shayam Ji: -श्याम भक्तों के लिए क्यों इतना खास है हरियाणा का चुलकाना गांव, जानिए चुलकाना मंदिर का इतिहास


    चुलकाना समालखा हरियाणा









    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार  

    नई दिल्ली :- दुनिया में अनेकों मंदिर हैं, हर एक की अपनी कहानी और रहस्य है. ऐसा ही एक मंदिर हरियाणा राज्य के पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुलकाना गांव का है .जिसे चुलकाना धाम को कलयुग का सर्वोत्तम को कलयुग का सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है. चुलकाना श्याम बाबा के मंदिर में हर एकादशी को जागरण होता है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वाद्वशी को श्याम बाबा के दरबार में विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है जिनमे दूर दराज से लाखों की तादाद में भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं. मेले वाले दिन श्रद्धालु समालखा से चुलकाना गाँव तक पैदल यात्रा करते हैं. रास्ते में जगह-जगह विशाल भंडारों का आयोजन किया जाता है।

    जानिए चुलकाना मंदिर का इतिहास
    चुलकाना समालखा हरियाणा 


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    भी मनोकामना पूर्ण हो जाती है

    चुलकाना का संबंध महाभारत काल  से है. आज भी वो पीपल का पेड़ गवाह है, जिसके सभी पत्तों को बर्बरीक ने सिर्फ एक बाण से  छेद डाले . कहते है की इस पीपल के पेड़ का परिक्रमा कर मन्नत का धागा बाधते हैं. उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. ये वो जगह है जंहा  बर्बरीक ने कृष्ण भगवान को अपना शीश दान किये थे और यंही पर उन्हें श्याम का नाम मिला था . 

    चुलकाना समालखा हरियाणा
    मनोकामना सिद्ध पीपल का पेड़ , चुलकाना समालखा हरियाणा 


    बर्बरीक के धड़ का यंहा किया गया अंतिम संस्कार

     आपको बताते चले की श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को युद्ध देखने के लिए 14 देवियों के द्वारा अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थित कर दिया जिसे बाद में खाटू नामक जगह पर दफना दिया गया बर्बरीक के धर को हरियाणा के हिसार जिले में गांव स्याह ड़वा . में श्री कृष्ण ने बर्बरीक के धड़ का शास्त्रोक्त विधि से अंतिम संस्कार कर दिया आज भी गांव स्याह ड़वा में बर्बरीक के धड़ की पूजा होती है . जिस खाटू नगरी में बर्बरीक का सर दफनाया गया उस जगह रोज एक गाय आकर अपने स्तनों से दुग्ध की धारा बहाया करती थी. 

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    खाटू श्याम मन्दिर का इतिहास
    श्याम बाबा चुलकाना समालखा हरियाणा 


    खाटू श्याम मन्दिर का इतिहास 

     लोगो ने उस जगह की खुदाई की तो वंहा से शीश निकला, जिसे कुछ समय के लिए एक ब्राह्मण को दे दिया गया। मान्यता है की एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण और शीश को मन्दिर में स्थान देने के लिए  प्रेरित किया गया।आज उसी जगह पर  खाटू श्याम मन्दिर है .राजा ने कार्तिक माह की एकादशी तुलसी विवाह के दिन शीश को  मन्दिर में सुशोभित किया जिसे बाबा श्याम के जन्मउत्सव  के रूप में मनाया जाता है। खाटू श्याम मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।

    बर्बरीक से श्याम कैसे बने
    श्याम बाबा मंदिर चुलकाना समालखा हरियाणा 


    बर्बरीक से श्याम कैसे बने 

      आइये जानते है की बर्बरीक से श्याम कैसे बने  इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है. पांडव पुत्र भीम के बेटे घटोत्कच की शादी दैत्य की पुत्री कामकंटकटा के साथ हुई थी और इनका तिन पुत्र था जिसमे सबसे बड़ा बर्बरीक था. बर्बरीक को महादेव एवं विजया माता की कृपा से शक्तियां प्राप्त थीं.  बर्बरीक को वरदान के रूप में तीन बाण मिले थे, जिससे वे चाहते तो पूरी सृष्टि का अंत तक कर सकते थे .

    बर्बरीक से श्याम कैसे बने
    श्याम कुंड चुलकाना समालखा हरियाणा 


    बर्बरीक ने मां को वचन दिया

     बर्बरीक की मां कामकंटकटा को संदेह था कि पांडव महाभारत का युद्ध नहीं जीत पाएंगे, तब बर्बरीक को युद्ध के लिए भेज दिया और कहा कि तुम्हे हारने वाले के तरफ से लड़ना है . बर्बरीक ने मां को वचन दिया कि मैं हारने वाले का ही साथ दूंगा इसलिए उन्हें 'हारे का सहारा' भी कहा जाता है. बर्बरीक घोड़े पर सवार होकर युद्ध भूमि पहुंचे ये बात भगवान कृष्ण को पता चल गया की बर्बरीक आ गया है और वो युद्ध का परिणाम अपने बाणों से बदल सकता है . 

    बर्बरीक से श्याम कैसे बने
    श्याम बाबा मंदिर चुलकाना समालखा हरियाणा 


    बर्बरीक की परीक्षा 

    जब बर्बरीक युद्ध स्थल पहुंचे, तब तक पांडव मजबूत और कौरव कमजोर स्तिथि में थे और बर्बरीक को तो कमजोर का साथ  देना था . तब श्रीकृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप लेकर बर्बरीक के पास पहुँच कर  बर्बरीक की परीक्षा ली और कहा की अपने बाण से पीपल के पेड़ के सभी पत्तों में छेद करके दिखाओ तब श्रीकृष्ण ने  छल से एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिए.

    श्याम बाबा चुलकाना समालखा हरियाणा
    श्याम बाबा मन्दिर  चुलकाना समालखा हरियाणा



    बर्बरीक ने एक ही बाण से सभी पत्तों में छेद डाला 

    बर्बरीक ने एक ही बाण से सभी पत्तों में छेद कर दिया. श्रीकृष्ण ने कहा, एक पत्ता रह गया है, तब बर्बरीक ने कहा कि आप अपना पैर हटाएं, क्योंकि बाण आपके पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही लौटेगा. बर्बरीक के पराक्रम से श्री कृष्ण प्रसन्न हुए. उन्होंने पूंछा कि बर्बरीक किस पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगे. बर्बरीक बोले कि उन्होंने लड़ने के लिए कोई पक्ष निर्धारित किया है, जो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे. श्री कृष्ण ये सुनकर चिंता में पर गये की अगर वो कौरव की तरफ से लड़ेगा तो पांडव की हार निश्चित है .

    श्याम बाबा मन्दिर  चुलकाना समालखा हरियाणा
    श्याम बाबा मन्दिर  चुलकाना समालखा हरियाणा


    श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से एक दान का वचन माँगा
     ब्राह्मण बने कृष्ण ने बर्बरीक से एक दान का वचन माँगा. बर्बरीक ने दान देने का वचन दे दिया. कृष्ण ने बर्बरीक शीश दान मांग लिया , तब बर्बरीक ने कहा कोई ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता. आप कौन हैं तब भगवान श्रीकृष्ण असली रूप में आये . तब बर्बरीक ने कृष्ण जी  से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? श्रीकृष्ण ने कहा कि  धरती पर केवल तीन ही महाबली हैं मैं, अर्जुन और तीसरे तुम , तुम्हारा ये बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा और कलयुग में आपको हारे का सहारा कहा जाएगा. और मेरे नाम श्याम के नाम से पूजे जाओगे . बर्बरीक बोले कि हे देव मैं अपना शीश देने के लिए बचनबद्ध हूं लेकिन मेरी एक इक्छा है की मै युद्ध अपनी आँखों से देखू. श्री कृष्ण ने बर्बरीक की इच्छा पूरी करने का आशीर्वाद दिया. तब बर्बरीक ने इसी चुलकाना गांव में अपना शीश दान  किये. श्री कृष्ण ने बर्बरीक  के सिर को 14 देवियों के द्वारा अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थित कर दिया. इसके पश्चात कृष्ण ने बर्बरीक के धड़ का विधिवत रूप  से अंतिम संस्कार कर दिया.  

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