दिल्ली के महरौली स्मृति वन मछली वाला पार्क में गंदगी और जलभराव के कारण लोग हो रहे हैं हादसों का शिकार
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली:- दिल्ली के महरौली स्थित स्मृति वन पार्क, जिसे "मछली वाला पार्क" भी कहा जाता है, में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की स्थिति प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बन चुकी है। इस प्लांट को पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और तालाब के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया था। हालांकि, इसे प्रभावी ढंग से संचालित नहीं किया जा रहा है, जिससे तालाब में पानी का स्तर और उसकी गुणवत्ता दोनों खराब हो रहे हैं। पानी में घुलित ऑक्सीजन (DO) की कमी और अमोनिया व अन्य हानिकारक तत्वों की बढ़ोतरी जलीय जीवन के लिए घातक बन रही है।
ये भी पढ़े-कांग्रेस ने इंडी गठबंधन को दिया बड़ा झटका, इस पार्टी से नाता तोड़ अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलान
पार्क में STP प्लांट का संचालन ठीक से न होने के कारण अनुपचारित सीवेज सीधे तालाब में बह रहा है। यह न केवल मछलियों के जीवन के लिए संकट है, बल्कि पार्क की जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन को भी प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समस्या का समाधान जल प्रबंधन में सुधार, प्लांट के उचित रखरखाव और पानी की नियमित गुणवत्ता जांच से किया जा सकता है। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को तेजी से कदम उठाने और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
हमारे twitter Page को Like करे
हमारे WhatsApp Chenal को Join करे
हमारे Facebook Page को Likeकरे
महरौली स्थित स्मृति वन पार्क में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की विफलता गंभीर पर्यावरणीय और प्रशासनिक समस्याओं को उजागर करती है। डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) द्वारा इस पार्क की देखरेख की जाती है। किशनगढ़-मेहरौली क्षेत्र के सीवेज को साफ करने के लिए यहां STP लगाया गया था, जिसकी लागत लाखों में थी। हालांकि, यह प्लांट केवल 10% पानी को ही प्रभावी रूप से शुद्ध कर पा रहा है, जबकि 90% अनुपचारित पानी पार्क के तालाब में जा रहा है। इससे तालाब का पानी दूषित हो रहा है, बदबू फैल रही है और पार्क में आने वाले लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है
ये भी पढ़े-2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप या भाजपा का रहेगा पलड़ा भारी ?
समस्याएं:
- सीवेज का प्रभाव: किशनगढ़ से आने वाला सीवेज, जो तालाब में गिर रहा है, जल जीवन को प्रभावित कर रहा है और पार्क के पर्यावरण को खराब कर रहा है।
- STP की खराब क्षमता: लाखों की लागत से बनाए गए इस प्लांट का संचालन ठीक से नहीं हो रहा, जिससे गंदगी और बदबू की समस्या और बढ़ गई है। प्लांट की संचालन क्षमता बेहद कम है, जिससे समस्या बनी हुई है।
- पर्यावरणीय खतरे: प्रदूषित और गंदा पानी खुले में बहने के कारण बदबू के साथ-साथ पार्क की जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की खराबी के कारण गंदा पानी खुले में बह रहा है, जिससे पार्क में कीचड़ और गंदगी फैल गई है। यह स्थिति पार्क में आने वाले बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए खासतौर पर खतरनाक साबित हो रही है। आए दिन यहां लोग गंदगी या फिसलन के कारण गिर जाते हैं, जिससे चोट लगने की घटनाएं हो रही हैं।
ये खबर भी पढ़े-जापानी संस्था निचरेंन शोशु के लोग कथित तौर पर नेपाल भारत के हिंदू समुदायों को बना रहे है निशाना
प्रमुख कारण:
- गंदे पानी का बहाव: STP की नाकामी के कारण सीवेज सीधे पार्क में बहता है, जिससे पानी जमा होकर कीचड़ बन जाता है।
- खराब रखरखाव: डीडीए और अन्य संबंधित प्राधिकरण इस गंदगी को साफ करने में असमर्थ रहे हैं, जिससे फिसलने और गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं।
- आवश्यक सुविधाओं की कमी: पार्क में जगह-जगह गंदगी और जलभराव के चलते आने-जाने के रास्ते असुरक्षित हो गए हैं।
एनजीटी और प्रशासन की भूमिका:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरण प्रदूषण रोकने और पानी को साफ करने के आदेश दिए थे, लेकिन ग्राउंड स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही है। एनजीटी द्वारा प्रस्तावित समाधान लागू होने के बावजूद, प्रशासन की लापरवाही और अनुपचारित सीवेज का बहाव समस्या को बढ़ा रहे हैं। डीडीए ने नाले को दीवार बनाकर रोकने की कोशिश की, जिससे गंदा पानी पूरे पार्क में फैल गया, प्रदूषित पानी और खुले में बहाव के कारण पार्क की जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित हो रहा है।
सुझाव:
- STP का उन्नयन: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने और उसकी नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
- पानी की गुणवत्ता जांच: तालाब में जाने वाले पानी की गुणवत्ता की सख्त निगरानी की जानी चाहिए।
- स्थानीय प्रशासन की सक्रियता: DDA और NGT को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा।
- समुदाय की भागीदारी: स्थानीय लोगों और पर्यावरण संगठनों को इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से जागरूक होना चाहिए।
यदि इन समस्याओं को शीघ्र ही हल नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र पर्यावरणीय संकट का एक बड़ा उदाहरण बन सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद