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    दिल्ली पुलिस का इतिहास: कोतवालों से कमिश्नर तक का सफर

    दिल्ली पुलिस का इतिहास: कोतवालों से कमिश्नर तक का सफर





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    नई दिल्ली :- मुग़ल काल: कोतवालों का शासन दिल्ली की सुरक्षा का इतिहास कोतवालों की प्रथा से जुड़ा है, जो नगर के प्रशासनिक और कानूनी प्रमुख होते थे।


    पहला कोतवाल: मालिकुल उमरा फकरुद्दीन (1237 ई.) 40 साल की आयु में दिल्ली का पहला कोतवाल बना ऐसा माना जाता है। वह सुल्तान बलबन, कैकोबाद और कैखुसरो के शासनकाल मेंइस पद पर रहा। उसकी ईमानदारी के किस्से मशहूर थे—एक बार उसने तुर्क अमीरों को कहा, "अगर मैं रिश्वत लूँगा, तो मेरी बात का कोई असर नहीं होगा।"ऐसा माना जाता है कि कोतवाल, अथवा पुलिस के मुख्यालय तब किला राय पिथोरा अर्थात आज के मेहरौली में स्थित था।







    इतिहास में एक दूसरे कोतवाल का उल्लेख है

    मलिक अलौल मुल्क: अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल (1297 ई.) का कोतवाल, जिसे खिलजी ने कहा था— "यह वजीर बनने लायक है, लेकिन मैंने इसे कोतवाल बनाया क्योंकि यह मोटा है!"

    ग़ज़नफ़र खान: शाहजहाँ ने 1648 में जब दिल्ली को राजधानी बनाया, तो उसे पहला कोतवाल नियुक्त किया।

    आखिरी कोतवाल: गंगाधर नेहरू (पंडित जवाहरलाल नेहरू के दादा), जिन्हें 1857 की क्रांति से ठीक पहले नियुक्त किया गया था।

    ब्रिटिश काल: पुलिस व्यवस्था का जन्म
    1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिशों ने भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 लागू किया और कोतवाल प्रथा खत्म हो गई।

    1912 में दिल्ली राजधानी बनी, लेकिन पुलिस पंजाब पुलिस का हिस्सा थी।

    पहला मुख्य आयुक्त नियुक्त किया गया, जिसके अधीन 3 बड़े थाने (कोतवाली, सब्जी मंडी, पहाड़गंज) थे।

    पुलिस बल: 2 निरीक्षक, 27 उप-निरीक्षक, 1100 से ज्यादा सिपाही।





    आज़ादी के बाद: आधुनिक दिल्ली पुलिस
    1948 में पहला पुलिस महानिरीक्षक (IGP) नियुक्त हुआ।

    1966 में खोसला आयोग ने सुझाव दिया कि दिल्ली में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो।

    1978 से कमिश्नर प्रणाली शुरू हुई, जो आज तक चल रही है।

    आज की दिल्ली पुलिस:

    83,762 कर्मी (लंदन, न्यूयॉर्क से बड़ा बल)

    11 ज़िले, 184 थाने

    साइबर सेल, स्पेशल सेल, ट्रैफिक यूनिट जैसी आधुनिक इकाइयाँ






    क्या आप जानते हैं?
    दिल्ली पुलिस का मोटो है— "शांतिसेवक: सुरक्षा एवं सेवा"

    ASSOCHAM सर्वे (2023) के मुताबिक, दिल्ली पुलिस भारत की सबसे तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली पुलिस है (औसतन 8 मिनट)।

    दिल्ली पुलिस ऐप से शिकायत दर्ज कर सकते हैं— FIR से लेकर ट्रैफिक चालान तक!

    निष्कर्ष
    मध्यकालीन कोतवालों से लेकर आज के हाई-टेक पुलिस कमिश्नर तक— दिल्ली पुलिस ने काफी विकास किया है। अब यह न सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखती है, बल्कि साइबर क्राइम, महिला सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में भी अग्रणी है।

    क्या आपको दिल्ली पुलिस के इतिहास के बारे में पता था? कमेंट में बताएं!



    (लेखक: दीपक कुमार, पत्रकार | स्रोत: दिल्ली पुलिस आर्काइव्स, ASI रिपोर्ट्स)

     

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