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    वक्फ: मुस्लिम समाज के लिए वरदान या अब अभिशाप? क्या वक्फ संशोधन से समाज को नुक़सान या कुछ लोगों को फ़ायदा?

    वक्फ: मुस्लिम समाज के लिए वरदान या अब अभिशाप? क्या वक्फ संशोधन से समाज को नुक़सान या कुछ लोगों को फ़ायदा?







    We News 24 Hindi /   रिपोर्ट: वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार 


     नई दिल्ली :- वक्फ एक इस्लामी संस्था है जो मुस्लिम समाज में धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से संपत्ति या भूमि को स्थायी रूप से दान करने की प्रथा है। यह एक पवित्र ट्रस्ट के रूप में कार्य करता है, जिसकी आय मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, अस्पतालों और गरीबों की सहायता पर खर्च की जाती है। हालाँकि, समय के साथ वक्फ प्रबंधन में कुछ समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, जिसके कारण इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं .






    ✍️ सवाल बड़ा है — जवाब और भी गंभीर।

     वक्फ क्या है?

    वक्फ का अर्थ है – किसी संपत्ति को "अल्लाह के नाम पर" समर्पित कर देना ताकि उसका उपयोग धार्मिक, सामाजिक और परोपकारी कामों के लिए हो। जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे, यतीमखाने आदि। भारत में वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का प्रबंधन करता है।भारत में वक्फ कानून की शुरुआत 1923 में हुई और फिर 1954 और 1995 में वक्फ अधिनियम में बदलाव हुए।

    भारत में आज के समय में करीब 8 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। देश में लाखों एकड़ ज़मीन वक्फ के अधीन है — जिसकी बाज़ार कीमत लाखों करोड़ों में है। यह संपत्ति मूलतः मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए है, लेकिन असलियत कुछ और बयां करती है।




    वक्फ संशोधन विधेयक में क्या है?

    सरकार ने वक्फ अधिनियम में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना।

    • गलत तरीके से वक्फ घोषित संपत्तियों की दोबारा समीक्षा की अनुमति देना।

    • भूमाफिया और भ्रष्ट वक्फ बोर्ड अधिकारियों पर कार्रवाई को आसान बनाना।

      वक्फ संशोधन विधेयक 2023/24 क्या कहता है?

    सरकार का कहना है कि:

    1. वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ानी है

    2. अगर किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ घोषित किया गया है, तो उसे चुनौती दी जा सके

    3. संपत्तियों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा

    4. कोर्ट के ज़रिए गलत वक्फ घोषित संपत्तियों की समीक्षा

    👉 मतलब – जो संपत्तियाँ असल में वक्फ नहीं थीं, लेकिन कागजों में कर दी गईं, उन्हें वापस लिया जा सकेगा।





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    तो असल मुद्दा क्या है? क्या ये मुस्लिम समाज का नुकसान है?

    नहीं। अगर वक्फ की संपत्तियों का सही प्रबंधन हो, पारदर्शिता हो और आम मुस्लिम को उसका लाभ मिले — तो इसमें नुकसान नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज को  फायदा ही है।


    लेकिन नुकसान किसका है?

    वो कुछ "सामुदायिक ठेकेदार", जिन्होंने वक्फ संपत्तियों को अपनी जागीर बना लिया है।
    कई मामलों में देखा गया है कि वक्फ बोर्ड के अधिकारी, कुछ राजनेता और बिल्डर लॉबी मिलकर वक्फ ज़मीन को अवैध रूप से लीज़ पर देते हैं, बेचते हैं या हड़प लेते हैं। इस संशोधन से उनकी कमाई पर रोक लगती है, इसलिए सबसे ज़्यादा शोर उन्हीं लोगो का है


     लेकिन वक्फ जमीन पर मॉल, होटल और फ्लैट बन रहे हैं!


    उदाहरण:दिल्ली के ओखला, जामिया, और महरौली इलाकों में कई वक्फ ज़मीनों पर अवैध निर्माण हुआ है


    मुंबई में बांद्रा इलाके में एक वक्फ ज़मीन पर बेशकीमती कॉमर्शियल प्रोजेक्ट बन चुके हैं


    भोपाल में वक्फ संपत्तियों की करोड़ों की हेराफेरी सामने आई थी


    ये सब बिना पारदर्शिता, बिना अनुमति, और कुछ वक्फ बोर्ड अधिकारियों, बिल्डरों और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से होता है।



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    एक और उदाहरण – डीडीए और वक्फबोर्ड  (दिल्ली, 2023)

    दिल्ली में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि उसकी 123 प्रॉपर्टी DDA के कब्जे में हैं, लेकिन जब हाई कोर्ट में पूछा गया कि इनके दस्तावेज कहाँ हैं? तो कोई ठोस सबूत नहीं दिया जा सका।
    अब सोचिए – अगर असली दस्तावेज नहीं हैं, तो कौन सही और कौन गलत?


    क्या हिंसा जायज़ है?

    किसी भी लोकतांत्रिक समाज में विरोध करना अधिकार है, लेकिन हिंसा? हरगिज़ नहीं।
    अगर कोई कानून असंवैधानिक है या अन्यायपूर्ण है, तो कोर्ट का रास्ता है, संसद का मंच है, जन संवाद है।

    लेकिन अगर किसी को यह कानून समझाने के बजाय भीड़ इकट्ठा कर कानून-व्यवस्था बिगाड़नी पड़े, तो शक होता है —
    "क्या यह विरोध वाकई जनता का है, या किसी ने इसे प्रायोजित किया है?"



    समाज को जागने की ज़रूरत है

    • मुस्लिम समाज को समझना होगा कि असली लड़ाई वक्फ संपत्तियों के संरक्षण की है, न कि सियासी नौटंकी की।

    • गरीब मुसलमान के बच्चों को वक्फ से स्कॉलरशिप नहीं मिलती, पर अफ़सरों के रिश्तेदारों को मिलती है।

    • मस्जिदें जर्जर हैं, मदरसे के पास फंड नहीं, लेकिन वक्फ ज़मीनों पर मॉल, होटल और अवैध कॉलोनियां बन रही हैं।


     

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    वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य

    वक्फ संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए होती हैं, जिनका उपयोग मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। इन संपत्तियों से होने वाली आय का एक हिस्सा गरीब मुस्लिम छात्रों की शिक्षा में सहायता के लिए भी निर्धारित होता है।



     वास्तविकता: लाभार्थियों की स्थिति

    हालांकि, वास्तविकता में इन संपत्तियों और योजनाओं से होने वाले लाभ का अधिकांश हिस्सा उन लोगों को मिल रहा है जो पहले से ही प्रभावशाली हैं। गरीब मुस्लिम छात्रों को छात्रवृत्ति प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जबकि कुछ अधिकारियों के रिश्तेदारों को अनुचित रूप से लाभ मिल रहा है।


    उदाहरण: छात्रवृत्ति घोटाला

     144 करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला

    2023 में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक आंतरिक जांच के बाद पाया कि 830 फर्जी संस्थानों ने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 144 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। इन संस्थानों ने फर्जी छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति प्राप्त की, जिनमें कई मामलों में अधिकारियों के रिश्तेदार भी शामिल थे।​



     जांच के निष्कर्ष

    छत्तीसगढ़ में जांच किए गए सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए।​


    राजस्थान में 128 में से 99 संस्थान फर्जी या गैर-परिचालन वाले थे।​


    असम में 68% संस्थान फर्जी पाए गए।​


    कर्नाटक में 64% संस्थान फर्जी पाए गए।​


    उत्तर प्रदेश में 44% संस्थान फर्जी पाए गए।​


    पश्चिम बंगाल में 39% संस्थान फर्जी पाए गए।​


    इन मामलों में अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी खातों के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि निकाली गई। 



    निष्कर्ष:

    वक्फ कानून एक अमानत है, पर कुछ लोगों के हाथों में ये लूट की दुकान बन गई है।
    वक्फ संशोधन बिल अगर सच में पारदर्शिता लाता है, तो इसे मुस्लिम समाज को समर्थन देना चाहिए – बशर्ते इसमें समुदाय का हक़ सुरक्षित रहे। हिंसा नहीं, हक की समझ और संवाद ही समाधान है। 

    अब मुस्लिम समाज को खुद सोचना होगा

    • क्या वक्फ संपत्तियाँ सच में समाज की मदद कर रही हैं?

    • क्या कुछ लोगों ने इन पर कब्जा करके इसे व्यापार बना लिया है?

    • क्या पारदर्शिता से हम सभी को फायदा नहीं होगा?

    वक्फ मुस्लिम समाज की एक बड़ी पूंजी है, लेकिन अगर उसका गलत इस्तेमाल होता रहा, तो यह वरदान नहीं – अभिशाप बन जाएगा।

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