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    "40 साल बाद दिल्ली के प्रेमनगर में सरकारी स्कूल खुला, लेकिन पढ़ाई की जगह उड़ रहा है शिक्षा का मजाक!"

    "40 साल बाद दिल्ली के प्रेमनगर में सरकारी स्कूल खुला, लेकिन पढ़ाई की जगह उड़ रहा है शिक्षा का मजाक!"



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     रिपोर्ट: गौतम कुमार   | स्थान: / नई दिल्ली 


    नई दिल्ली:-  प्रेमनगर, किराड़ी (बाहरी दिल्ली) : दिल्ली के बाहरी इलाके प्रेमनगर (किराड़ी) में लंबे इंतजार के बाद इस साल छह जनवरी को पहली बार सरकारी स्कूल का उद्घाटन हुआ। क्षेत्रवासियों ने उम्मीद की थी कि अब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन, उद्घाटन के चार महीने बीतने के बाद भी स्कूल में बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे अभिभावक गहरी निराशा में डूब गए हैं।


    बिना बिजली-पानी के उद्घाटन, अब नोटिस लगाकर कर रहे हैं इंतजार


    स्कूल के गेट पर लगाया गया नोटिस कह रहा है कि जब तक बिजली, पानी और सीवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से नहीं हो जातीं, तब तक कक्षाएं शुरू नहीं की जाएंगी। इससे कई अभिभावक मायूस होकर अपने बच्चों का नाम वापस ले चुके हैं। वैसे तो इस भव्य इमारत का लोकार्पण हुआ था, लेकिन सुविधाओं की कमी ने इसे अधूरा ही छोड़ दिया है।



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    क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता?


    स्कूल की जमीन के लिए वर्षों से लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता मोहन पासवान का आरोप है कि सरकार ने जल्दबाजी में उद्घाटन कर दिया। उन्होंने कहा, "जब तक बिजली और पानी जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं होंगी, तब तक बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। सरकार को चाहिए कि वह अपने दावों के अनुरूप काम पूरा करे।"


    लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिली जमीन


    प्रेमनगर में इस स्कूल के लिए करीब चार हजार वर्ग गज जमीन डीडीए से मात्र 41 रुपये में मिली थी। 2019 में इस जमीन के लिए पीआइएल दायर करने के बाद कोर्ट का फैसला आया था। कोविड के कारण काम रोकना पड़ा, लेकिन अब भी स्कूल शुरू नहीं हो पाया है। स्थानीय विधायक और अधिकारियों से बार-बार संपर्क करने के बावजूद इस मसले का समाधान होता नहीं दिख रहा है।


    शिक्षा का अधिकार या मजाक?


    आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इतनी भव्य इमारत बनाने के बाद भी बिजली और पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यहां की शिक्षा व्यवस्था वाकई बच्चों के हित में है या फिर यह सिर्फ एक दिखावा है। बच्चों की पढ़ाई अभी भी घर से दूर जाना मजबूरी है, जिसकी वजह से अभिभावक परेशान हैं।


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    आगे की राह


    अब उम्मीद है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल में सभी जरूरी सुविधाएं पूरी हो जाएंगी और बच्चे अपने नए स्कूल में पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। लेकिन, इस बीच शासन और प्रशासन को चाहिए कि वह इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दें ताकि शिक्षा का अधिकार सिर्फ कागजी बात न रह जाए। बच्चों का भविष्य तभी सुरक्षित है जब उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें और शिक्षित करने का अधिकार सुनिश्चित हो।


    यह खबर हमें यह भी सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या सरकार और प्रशासन अपने ही बनाए नियम-कानून और योजनाओं को लागू करने में इतनी सुस्ती क्यों दिखा रहे हैं? बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी है कि इन लापरवाहियों को तुरंत दूर किया जाए और शिक्षा को सबके लिए आसान बनाया जाए।

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