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    सम्पादकीय: क्या भारत में हिंदुओं के विरुद्ध चल रही है सुनियोजित साजिश?

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    📅 तारीख: 22 मई 2025
    🖊️ लेखक: दीपक कुमार
    📰 WeNews24 Hindi


    भारत, जिसे हम "धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र" कहते हैं, वहां बीते कुछ वर्षों में लगातार ऐसे घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, जो यह सोचने पर मजबूर करते हैं — क्या यहां हिंदुओं के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश रची जा रही है?

    मुर्शिदाबाद की सांप्रदायिक हिंसा, कश्मीर में टारगेटेड हत्याएं, और हाल ही में झारखंड में फर्जी मुस्लिम बच्चों के हजारों जन्म प्रमाण पत्रों का बनना — ये सब घटनाएं एक खतरनाक पैटर्न का संकेत देती हैं।


     मुर्शिदाबाद: हिंदू परिवारों को बनाया गया निशाना

    पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में अप्रैल 2025 में हुए दंगे किसी सामान्य झगड़े का परिणाम नहीं थे। हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह हिंसा पूर्वनियोजित थी।

    1. हिन्दू घरों को चिन्हित कर जलाया गया।
    2. मंदिरों को तोड़ा गया।
    3. प्रशासन और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
    4. स्थानीय पार्षदों और नेताओं की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

    यह सिर्फ दंगा नहीं था, यह एक समुदाय को डराने की साजिश थी।


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     कश्मीर: "कश्मीरी हिंदुओं" को क्यों मारा गया?

    धारा 370 हटने के बाद उम्मीद थी कि कश्मीरी पंडित और दूसरे हिंदू सुरक्षित लौट सकेंगे। लेकिन पिछले दो वर्षों में कई सरकारी कर्मचारी और हिंदू मजदूर टारगेट किलिंग के शिकार हुए।

    1. 2022-25 के बीच 50 से ज्यादा हिंदुओं की हत्या।
    2. प्रशासनिक नौकरी करने वाले हिंदुओं को आतंकियों ने धमकाया और मारा।
    3. पाकिस्तान समर्थित संगठनों की भूमिका प्रमाणित हुई।

    यह स्पष्ट करता है कि घाटी में शांति की कोशिशों को कुछ ताकतें मजहबी विद्वेष के जरिए नष्ट करना चाहती हैं।



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     झारखंड: फर्जी मुस्लिम बच्चों के 3000 जन्म प्रमाण पत्र — किस योजना का हिस्सा?

    मई 2025 में झारखंड के पाकुड़, साहेबगंज, और गोड्डा जिलों में एक बड़ा खुलासा हुआ —

    3000 से अधिक मुस्लिम नाम वाले फर्जी बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए
    आयु का फर्जीवाड़ा कर लाभ पाने की कोशिश
    संभावित उद्देश्य: स्कूलों में दाखिला, सरकारी योजनाओं में घुसपैठ, या भविष्य की वोटबैंक रणनीति

    कहीं ये जनसांख्यिकीय इंजीनियरिंग का प्रयास तो नहीं?


     क्या ये घटनाएं आपस में जुड़ी हैं?

    तीनों घटनाएं अलग-अलग राज्यों में हुईं, लेकिन इन सबमें कुछ कॉमन पैटर्न दिखता है:

    1. हिन्दू पहचान को कमजोर करने की कोशिश
    2. सरकारी तंत्र का दुरुपयोग या चुप्पी
    3. विरोध करने वालों को 'सांप्रदायिक' बताकर चुप कराना
    4. अवैध जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहन देना


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    यह साजिश किसका एजेंडा है?

    इन घटनाओं को देखकर कई सवाल उठते हैं:

    1. क्या यह आंतरिक जेहाद का संकेत है?
    2. क्या भारत में soft islamisation,नरम इस्लामीकरण  का एजेंडा चल रहा है?
    3. क्या वोटबैंक की राजनीति अब हिंदुओं के अस्तित्व पर हमला बन गई है?


     "सेक्युलरिज़्म" की चुप्पी क्यों?

    जब भी हिन्दू मारे जाते हैं, मुख्यधारा मीडिया चुप रहती है। कोई 'intellectual' धरना नहीं देता। क्या हिंदू पीड़ा की कोई मूल्यहीनता हो गई है?
    क्या यह लोकतंत्र का दोहरा मापदंड नहीं?


     अब जागना जरूरी है

    भारत को बचाने के लिए सिर्फ आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सुरक्षा भी जरूरी है।
    हमें पूछना होगा:

    1. हिंदू सुरक्षित नहीं तो भारत सुरक्षित कैसे?
    2. क्या "बहुसंख्यक" होना अब अपराध हो गया है?
    3. क्या आने वाली पीढ़ी सिर्फ मूकदर्शक बनकर रह जाएगी?


       Call to Action

      🧾 सरकार से माँग करें:

      1. इन घटनाओं की NIA जांच हो।
      2. फर्जी प्रमाणपत्र मामले में UAPA लगे।
      3. हिन्दू उत्पीड़न पर संसद में चर्चा हो।


        जनता से अपील:

        1. सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाएं।
        2. अपने प्रतिनिधियों से जवाब मांगें।
        3. हिन्दू समाज को एकजुट करें।


           "हमें नफरत नहीं न्याय चाहिए — लेकिन अगर हमारी पीड़ा भी अनदेखी होगी, तो हम कैसे चुप रह सकते हैं?"  

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