ममता सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल ,मुर्शिदाबाद हिंसा: हाईकोर्ट की रिपोर्ट में खुलासा,हिंदुओं को बनाया गया निशाना
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🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क
✍️ Reporting By :Sujit Kumar Vishwas | WeNews24 | Updated : 22 May 2025
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में अप्रैल 2025 में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि हिंसा के दौरान हिंदू समुदाय को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, जबकि पुलिस और प्रशासन निष्क्रिय रहे।
🔍 रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
हिंदुओं को चुन-चुनकर बनाया गया निशाना
रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 और 12 अप्रैल को धुलियान और शमशेरगंज में हुई हिंसा में हिंदू परिवारों के घरों, दुकानों और मंदिरों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। भीड़ ने धारदार हथियारों और लाठियों से हमला किया, जिससे कई लोग मारे गए और सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए।
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पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता
हाईकोर्ट की समिति ने पाया कि हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित रही। भीड़ के हमलों के बावजूद, स्थानीय प्रशासन ने समय पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
स्थानीय पार्षद और टीएमसी नेताओं की भूमिका
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि स्थानीय टीएमसी पार्षद और नेताओं ने हिंसा को भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई। बीजेपी नेता मंगल पांडे ने इस पर ममता बनर्जी सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
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सरकारी रिपोर्ट में विरोधाभास
पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कहा गया कि हिंसा के दौरान स्थिति नियंत्रण में थी और पुलिस ने समय पर कार्रवाई की। हालांकि, हाईकोर्ट की समिति की रिपोर्ट इस दावे का खंडन करती है और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर करती है।
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केंद्रीय बलों की तैनाती और कोर्ट के निर्देश
हाईकोर्ट ने हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया और एक समिति गठित की, जो पीड़ितों की पहचान, पुनर्वास और नुकसान के मूल्यांकन का कार्य करेगी।
🧑🤝🧑 मानवीय पहलू: पीड़ितों की व्यथा
हिंसा में मारे गए हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। उनके परिवार के सदस्य आज भी न्याय की आस में हैं। एक पीड़ित महिला ने बताया, "हमारे घर को जला दिया गया, बच्चों के सामने हमारे साथ मारपीट हुई। अब हम कहां जाएं?"
📢 निष्कर्ष
मुर्शिदाबाद हिंसा की यह रिपोर्ट न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक समुदाय को लक्षित करके हिंसा की गई। हाईकोर्ट की समिति की सिफारिशों के आधार पर अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती हैं।
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