राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल: संविधान में क्या हैं उनके अधिकार? – We News 24
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल: संविधान में क्या हैं उनके अधिकार?
राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से किए 14 अहम सवाल, क्या हैं उनके अधिकार और संविधान का विश्लेषण?
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नई दिल्ली :- भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट को 14 महत्वपूर्ण सवाल भेजे हैं। इन सवालों में राष्ट्रपति के संविधानिक अधिकार, फैसलों की समीक्षा, और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों से जुड़े जटिल प्रावधानों पर सवाल उठाए गए हैं। यह कदम देश के संवैधानिक ढांचे और शक्तियों के बीच नई बहस को जन्म दे सकता है।
राष्ट्रपति का सवाल: कोर्ट से क्यों पूछे गए अहम सवाल?
राष्ट्रपति ने इन सवालों के जरिए यह जानना चाहा है कि:
- **क्या राष्ट्रपति अपने फैसले की समीक्षा करा सकते हैं?**
- **क्या अनुच्छेद 200 और 201 के तहत उनके पास क्या विकल्प हैं?**
- **क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के फैसलों की समीक्षा कर सकता है?**
- **क्या राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों में कोई बदलाव संभव है?**
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यह सवाल संविधान के उन प्रावधानों से जुड़ा है, जो राष्ट्रपति के फैसलों और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को परिभाषित करते हैं।
संविधान का विश्लेषण: राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार
1. **राष्ट्रपति के अधिकार और सीमाएं (अनुच्छेद 201, 143, 142)**
- **अनुच्छेद 201** में कहा गया है कि राष्ट्रपति अपने फैसले की समीक्षा करा सकते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया स्पष्ट नहीं कि कैसे होगी।
- **अनुच्छेद 143** के तहत, राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को सलाह दे सकते हैं, और कोर्ट संविधान के अनुरूप निर्णय ले सकता है।
- **अनुच्छेद 142** के तहत, सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है, लेकिन यह संविधान के दायरे में ही है।
2. **सुप्रीम कोर्ट का अधिकार और संविधान में संशोधन**
- सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है कि वह संविधान की व्याख्या कर सकता है, और यदि किसी प्रावधान में विरोधाभास हो तो उसे हल कर सकता है।
- **अनुच्छेद 145(3)** के तहत, कोर्ट पाँच जजों की बेंच में मामलों को भेज सकता है, यदि जटिल हो।
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राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट का जवाब: क्या संभव है?
- **राष्ट्रपति के फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट समीक्षा कर सकता है**, यदि वह संविधान के अनुरूप नहीं पाए जाते।
- **कोर्ट राष्ट्रपति को सीधे आदेश नहीं दे सकता**, लेकिन वह उनके निर्णयों की वैधता की जांच कर सकता है।
- यदि कोई निर्णय संविधान के खिलाफ है, तो कोर्ट उसे रद्द कर सकता है।
क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को कोई दिशा-निर्देश दे सकता है?
- सुप्रीम कोर्ट **राष्ट्रपति को सीधे कोई आदेश नहीं दे सकता**, लेकिन वह उनके फैसलों की समीक्षा कर सकता है और यह तय कर सकता है कि वे संविधान के अनुरूप हैं या नहीं।
- यदि राष्ट्रपति के फैसले संविधान का उल्लंघन करते हैं, तो कोर्ट उन्हें रद्द कर सकता है।
निष्कर्ष: संविधान की रक्षा में सुप्रीम कोर्ट का दायित्व
राष्ट्रपति के इन सवालों का जवाब संविधान के प्रावधानों के आधार पर ही दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का काम है कि वह इन सवालों की गहराई से समीक्षा करे और यह तय करे कि राष्ट्रपति के फैसले, संविधान के दायरे में हैं या नहीं। इससे यह भी स्पष्ट होगा कि सरकार और राष्ट्रपति के अधिकार सीमित हैं और संविधान सर्वोपरि है।
यह कदम देश के संवैधानिक तंत्र की मजबूतता और पारदर्शिता को दर्शाता है। आने वाले समय में इन सवालों का जवाब संविधान की गतिशीलता और न्यायपालिका की भूमिका को फिर से परिभाषित करेगा।
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