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    🕌 बकरीद से पहले दिल्ली पुलिस अलर्ट – कुर्बानी के दिखावे पर पाबंदी, सोशल मीडिया पर भी निगरानी कड़ी

    🕌 बकरीद से पहले दिल्ली पुलिस अलर्ट – कुर्बानी के दिखावे पर पाबंदी, सोशल मीडिया पर भी निगरानी कड़ी



    ✍️ रिपोर्ट: काजल कुमारी , We News 24


    नई दिल्ली।5 जून 2025 दिल्ली में बकरीद को लेकर मुस्लिम समाज में उत्साह चरम पर है, लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने सख्त गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। खासतौर पर दक्षिण-पूर्वी जिले की पुलिस ने लोगों से धार्मिक भावनाओं की मर्यादा और सार्वजनिक व्यवस्था का सम्मान करने की अपील की है।


    पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने कहा, “बकरीद कुर्बानी का पर्व है, जो व्यक्तिगत आस्था और आध्यात्म का विषय है। इसे सार्वजनिक प्रदर्शन या सोशल मीडिया दिखावे में न बदलें।”



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    ⚠️ इन नियमों का उल्लंघन हुआ तो होगी कड़ी कार्रवाई

    सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरें, वीडियो या ऑडियो साझा करने से बचें।

    ऐसा करने वालों के खिलाफ आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।

    कुर्बानी के जानवरों को सार्वजनिक स्थानों या गलियों में न बांधें।

    घर या निजी क्षेत्र में ही उन्हें रखें।

    बच्चों को जानवरों को संभालने से रोकें।


    📍 कुर्बानी कहां करें?

    केवल सरकारी तौर पर स्वीकृत स्थानों या पारंपरिक कुर्बानी स्थलों पर ही सामूहिक कुर्बानी करें।

    विवादित या नए स्थानों पर कुर्बानी सख्त वर्जित है।

    सड़कों, पार्कों या भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में पशु को न ले जाएं।


    🗑 अवशेष कहां फेंके?

    कुर्बानी के बाद अवशेषों को एमसीडी के अधिकृत कंटेनरों में ही डालें।

    खुले में या कूड़ेदान में फेंकना मना है, इससे न सिर्फ गंदगी फैलती है, बल्कि बीमारियों का खतरा भी होता है।

    किसी भी संदिग्ध गतिविधि या अवैध पशु व्यापार की सूचना तुरंत पुलिस को दें।


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    👮‍♂️ पुलिस की अपील – 'धर्म के साथ ज़िम्मेदारी भी निभाएं'

    पुलिस उपायुक्त तिवारी ने कहा,

    “बकरीद एक पवित्र पर्व है। इसे पूरे सम्मान और शांति के साथ मनाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। धार्मिक आज़ादी के नाम पर सामाजिक सौहार्द को नुकसान न पहुंचाएं।”


    📣 निष्कर्ष

    बकरीद जैसे त्यौहार पर धार्मिक आस्था, पारंपरिक रीति-रिवाज और सामाजिक जिम्मेदारी – तीनों का संतुलन जरूरी है।

    दिल्ली पुलिस की यह गाइडलाइन्स लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए सामूहिक सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं। 

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