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    मोदी सरकार की 10 बड़ी सौगातें: कैसे बदली दिल्ली की सूरत और सीरत

    मोदी सरकार की 10 बड़ी सौगातें: कैसे बदली दिल्ली की सूरत और सीरत



    रिपोर्टिंग, अंजली कुमारी


    नई दिल्ली। 2014 में केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार ने सिर्फ देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं संवारा, बल्कि दिल्ली की तस्वीर और तक़दीर दोनों को ही नई दिशा दी। एक ओर जहां राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में गंभीर प्रयास हुए, वहीं दूसरी ओर ऐसी परियोजनाएं अमल में लाई गईं, जिनसे दिल्ली की वैश्विक पहचान मजबूत हुई। संसद भवन, भारत मंडपम, सेंट्रल विस्टा और हाईवे नेटवर्क जैसे मेगा प्रोजेक्ट न केवल दिल्ली की सुविधा बढ़ा रहे हैं बल्कि इसे एक वैश्विक शहर के रूप में पुनर्परिभाषित कर रहे हैं।


    1. हाइवे क्रांति: ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों में राहत

    मोदी सरकार की सबसे बड़ी देन मानी जा सकती है—ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे। वर्षों तक विवादों में अटके इन प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार ने प्राथमिकता दी और समयबद्ध तरीके से पूरा किया। इन रिंग रोड्स के चलते अब करीब 50,000 मालवाहक ट्रक दिल्ली में दाखिल नहीं होते, जिससे राजधानी के ट्रैफिक और प्रदूषण में भारी कमी आई है।


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    इसके साथ ही दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, और अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (UER-2) जैसे प्रोजेक्ट्स से कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ है।


    2. धौला कुआं फ्लाईओवर: देश की छवि सुधारने वाला प्रोजेक्ट

    एयरपोर्ट से नई दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली को जोड़ने वाले इस सिग्नल पॉइंट पर ट्रैफिक जाम से न केवल आम नागरिक, बल्कि विदेशी प्रतिनिधि भी परेशान थे। मनोरहर पर्रिकर और नितिन गडकरी की संयुक्त पहल से डिफेंस लैंड उपलब्ध कराई गई और दो साल में इस फ्लाईओवर को तैयार किया गया।


    3. सेंट्रल विस्टा: राजधानी की नई पहचान

    राजपथ अब कर्तव्य पथ है—आधुनिक, हरित और पैदल यात्रियों के अनुकूल। इसके तहत नया संसद भवन भी तैयार हुआ, जो विश्व स्तरीय तकनीक और भारतीय वास्तुकला का अनोखा संगम है। इसके साथ बन रहा नया केंद्रीय सचिवालय भी आने वाले वर्षों में सरकारी कामकाज को एक स्थान पर केंद्रीकृत कर देगा।


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    4. भारत मंडपम: दिल्ली का नया अंतरराष्ट्रीय चेहरा

    जी-20 सम्मेलन के सफल आयोजन का गवाह बना भारत मंडपम अब दिल्ली की शान बन चुका है। प्रगति मैदान के सौंदर्यीकरण और टनल प्रोजेक्ट से ट्रैफिक समस्या खत्म हुई। प्रगति मैदान के नीचे बनी टनल और पार्किंग ने दिल्ली को विश्व स्तरीय आयोजन स्थल बना दिया।


    5. ‘नमो भारत’ रैपिड रेल: भविष्य की रफ्तार

    देश की पहली हाईस्पीड रैपिड रेल परियोजना—दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस—की शुरुआत ‘नमो भारत’ ट्रेन से हुई। आने वाले समय में दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर भी हकीकत बनेंगे, जिससे एनसीआर में आवागमन क्रांतिकारी रूप से बदल जाएगा।


    6. यशोभूमि: दिल्ली का सबसे बड़ा कन्वेंशन सेंटर

    221 एकड़ में फैला यशोभूमि सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि वैश्विक आयोजन क्षमता का प्रतीक है। 20,000 लोगों की क्षमता, एयरपोर्ट और UER-2 से कनेक्टिविटी, और समर्पित मेट्रो स्टेशन—ये सब इसे एशिया के टॉप कन्वेंशन सेंटर्स में शामिल करते हैं।


    7. इलेक्ट्रिक बसों की सौगात: प्रदूषण पर चोट

    FAME स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने दिल्ली को सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें प्रदान कीं। इसमें दिल्ली सरकार और केंद्र की साझेदारी है। ये बसें न केवल प्रदूषण पर अंकुश लगाएंगी, बल्कि आम यात्रियों को किफायती और हरित परिवहन उपलब्ध कराएंगी।


    मोदी सरकार की दिल्ली को लेकर सोच सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार की नहीं रही, बल्कि राजधानी को एक स्मार्ट, ग्लोबल और ग्रीन सिटी में बदलने की रही है। आने वाले वर्षों में ये बदलाव और गहराएंगे और दिल्ली की पहचान पूरी दुनिया में और मजबूत होगी। 


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