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    कही 400 फिट गहरा खाई कही पहड़ो से गिरता पानी ,भारत की ऐतिहासिक रेल क्रांति का नया अध्याय,कश्मीर वंदे भारत

     

    कही 400 फिट गहरा खाई कही पहड़ो से गिरता पानी ,भारत की ऐतिहासिक रेल क्रांति का नया अध्याय,कश्मीर वंदे भारत

    रिपोर्टिंग, कुनाल कुमार

    उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल संपर्क का ऐतिहासिक लोकार्पण: जम्मू-कश्मीर में नई युग की शुरुआत भारत ने अपनी तकनीकी क्षमता और अदम्य इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए, उधमपुर से श्रीनगर और बारामूला तक का नया रेल संपर्क स्थापित कर दिया है। यह परियोजना न केवल जम्मू-कश्मीर की कनेक्टिविटी में नए आयाम जोड़ेगी, बल्कि पर्यटन, सामाजिक-सांस्कृतिक विकास और आर्थिक तरक्की की नई राह भी खोलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक क्षण को भारत की इच्छाशक्ति का विराट उत्सव बताते हुए कहा कि यह परियोजना देश की तकनीकी क्षमताओं का विश्वस्तरीय प्रदर्शन है।


    जम्मू-कश्मीर में रेलवे का सपना साकार: एक सदी का इंतजार खत्म

    1972 में जम्मू पहुंची पहली रेलवे ट्रेन के बाद से ही कश्मीर तक रेलवे नेटवर्क का सपना देखा जा रहा था। हालांकि, पीर पंजाल की कठिन भौगोलिक चुनौतियों और पहाड़ों में पानी, खाइयों और भूस्खलनों जैसी समस्याओं ने इस प्रयास को कई बार रोक दिया। 20 वर्षों की मेहनत और तकनीकी उन्नति के बल पर, आज यह सपना हकीकत में बदला है।



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     तकनीकी चमत्कार: भारत का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज, केबल स्टे रेलवे ब्रिज और सुरंगें

    प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कई तकनीकी उपलब्धियों को देश को समर्पित किया। इनमें शामिल हैं:

    दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज: पहाड़ियों के ऊपर स्थापित इस आर्च ब्रिज ने तकनीकी कौशल का नया मानक स्थापित किया है।

    देश का पहला केबल स्टे रेलवे ब्रिज: यह ब्रिज अपने अनूठे डिज़ाइन और संरचना के लिए प्रसिद्ध है।

    11 किमी लंबी टी-50 सुरंग: भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंगों में से एक।

    11 किमी लंबी टी-44 सुरंग: देश की तीसरी सबसे लंबी रेलवे सुरंग।


     एक ऐतिहासिक यात्रा: 272 किमी का रेल संपर्क

    यह रेलवे लाइन कुल 272 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 36 मुख्य सुरंगें और कई तकनीकी चमत्कार शामिल हैं। इन सुरंगों और पुलों का निर्माण, पीर पंजाल की भौगोलिक चुनौतियों के बीच, इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है।


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     यात्रा का इतिहास और योजनाएँ

    1981 जम्मू-उधमपुर रेल लिंक मंजूर

    1994 श्रीनगर तक रेल विस्तार की घोषणा

    -2005: जम्मू-उधमपुर सेक्शन का उद्घाटन

    -2024: बनिहाल खंड का लोकार्पण


    यह परियोजना कश्मीर की सुषुप्त संभावनाओं को जाग्रत करेगी, पर्यटन को बढ़ावा देगी, रोजगार के अवसर पैदा करेगी और सामाजिक-सांस्कृतिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।


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    क्यों जरूरी है यह रेल परियोजना?


    यह रेल संपर्क न केवल भौगोलिक बाधाओं को तोड़ने का प्रतीक है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में बदलाव और आर्थिक विकास का प्रतीक भी है। यह परियोजना भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन है, जो दिखाता है कि कठिन से कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में भी भारत अपने प्रौद्योगिकी के दम पर प्रगति कर सकता है।



    आगे का रास्ता: 

    यह रेलवे लाइन अब कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के साथ ही, दुनिया को भारत की तकनीकी क्षमता का परिचय भी कराएगी। उधमपुर से बारामूला तक की यह यात्रा, अपने आप में एक मिसाल है कि कैसे अडिय़म पहाड़ों को भी भारत की इंजीनियरिंग ने पार कर लिया है।


     तो तैयार हो जाइए, क्योंकि भारत का यह नया रेल संपर्क कश्मीर की अनंत संभावनाओं का द्वार खोल रहा है!


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