छत्तरपुर में जल, सड़क, सीवर और ट्रैफिक की जटिलताएं: सरकार की नाकामी और जनता का आक्रोश
छत्तरपुर, नई दिल्ली — यहाँ की जनता वर्षों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव में झुंझलाहट और frustration का सामना कर रही है। पानी का संकट, जर्जर सड़कें, सीवर की अनदेखी और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं क्षेत्र की पहचान बन चुकी हैं। बावजूद इसके, प्रशासनिक हलकों से केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं, कार्यवाही नहीं।
पिछले एक साल से क्षेत्र में पानी की आपूर्ति ठप है। लोग मजबूरन टैंकरों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन यह भी अस्थायी समाधान साबित हो रहे हैं। छत्तरपुर रामलीला चौक, छोटी मस्जिद वाली गली, राजपुर ,आया नगर , जैसे इलाकों में अवैध जल कनेक्शन का बोलबाला है—कुछ मकानों में 10 से 15 कनेक्शन, तो वहीं पुराने निवासियों को महीनों से पानी की बूंद भी नसीब नहीं। शिकायतें कई बार जल मंत्री प्रवेश वर्मा, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विधायक करतार सिंह तंवर और जल बोर्ड के अधिकारियों तक पहुंचाई गईं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा।
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आम जनता का सवाल है—अगर पानी नहीं मिलेगा तो टैंकर माफिया का धंधा कैसे चलेगा? हर नेता वादे तो कर रहा है, पर असल में सिस्टम वही का वही बना है। जनता का भरोसा टूट रहा है, और विकास की बातें सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित रह गई हैं।
मंत्री प्रवेश वर्मा ने 27 जून 2025 को छतरपुर विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया, जिसमें उन्होंने 100 फूटा रोड , सीडीआर चौक, बस स्टैंड, सतबड़ी गौशाला रोड, मैदानगढ़ी और नेब सराय जैसे इलाकों का निरीक्षण किया। जनता से संवाद किया और जल्द ठोस कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया। पर क्या ये दौरा मात्र एक दिखावा तो नहीं? जनता की शिकायतें और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं।
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आंकड़ों और शिकायतों की माने तो—आयानगर सी 1 का बुरा हाल है, बलका चौक गटर में तब्दील हो चुका है। राजपुर छत्तरपुर में पानी की समस्या जटिल है, और लोग अपने पैसे से टैंकर खरीदने को मजबूर हैं। अवैध निर्माण और फ्लैटों में जल कनेक्शन का खेल जारी है। शिकायतों का कोई असर नहीं हो रहा। लोग कह रहे हैं—"हमने तीसरी बार वोट दिया, पर न तो पानी आया, न विकास। बस बातें और वादे!"
सड़कें टूट चुकी हैं, गंदगी का साम्राज्य है, और सीवर का अभाव जीवन नरक बना चुका है। छत्तरपुर एन्क्लेव फेज 2 में तो सीवर की गुंजाइश ही नहीं है। नेता बदलते रहे, पर सिस्टम नहीं बदला। बीजेपी सरकार आने के बाद भी स्थिति जस की तस है—पानी की समस्या पिछले साल से भी बदतर हो गई है। वादे बस विज्ञापन और सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित हैं।
आखिर कब जागेगी सरकार? कब होंगे स्थायी समाधान? जनता का सवाल है—पानी कब मिलेगा? अवैध निर्माण कैसे रुकेगा? और सबसे जरूरी—क्या दिल्ली सिर्फ VIP इलाकों तक ही सीमित है?
यह रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार की टीम की निष्पक्ष रिपोर्टिंग का परिणाम है। जनता का आक्रोश और सरकार की उदासीनता दोनों ही इस समस्या का बड़ा हिस्सा हैं। समय है, अब सिर्फ बातों का दौर खत्म हो, और ठोस कार्रवाई शुरू हो।
**हम जनता की आवाज़ हैं, और बदलाव का इंतजार अब खत्म होना चाहिए।**
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