ऋचा ठाकुर की इंसाफ के लिए पुकार,मेहरौली के पूर्व विधायक और भाजपा नेता पर गंभीर यौन शोषण का आरोप
तस्वीर ऋचा ठाकुर फेसबुक एकाउंट से |
क्या देश की कानून व्यवस्था सो गई है?एक महिला की चीख, न्याय की पुकार बनकर सोशल मीडिया और सड़कों पर गूंज रही है, लेकिन कानून अब तक मौन है।हम बात कर रहे हैं ऋचा ठाकुर की, जिन्होंने दिल्ली के एक पूर्व विधायक व वर्तमान भाजपा नेता पर दुष्कर्म, शारीरिक हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या यह वही भारत है जहाँ "बेटी बचाओ" के नारे दिए जाते हैं?
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📜 ऋचा की आपबीती: “मुझे बेटी बनाकर मेरी इज़्जत लूटी गई”
ऋचा ठाकुर की कहानी किसी थ्रिलर से कम नहीं, लेकिन यह एक सच्चाई है:
- "बेटी बनाकर भरोसा तोड़ा, फिर किया दुष्कर्म"
- ऋचा ने बताया कि आरोपी नेता ने उन्हें "बेटी" कहकर भावनात्मक रूप से जोड़ा, फिर जबरन शारीरिक संबंध बनाए।
- "इसने मेरी इज्जत लूट ली... मैंने फांसी लगाने की कोशिश की।"
"मुझे बेहोश करके अपहरण किया, यातनाएं दीं"
ऋचा का दावा है कि उन्हें बेहोश करके एक घर में ले जाया गया, जहाँ उनके साथ अनगिनत बार दुष्कर्म किया गया।- "मुझे पता नहीं था कि मैं कहाँ हूँ... इसकी बहन के घर में रखा गया था।"
- "चार बार जबरन अबॉर्शन करवाया, पति से तलाक तक करा दिया"
- ऋचा ने बताया कि आरोपी ने उन्हें शादी का झूठा झांसा देकर मंदिर में नकली रीति-रिवाज कराए, फिर उनकी ज़िंदगी को नर्क बना दिया।
"पुलिस ने नहीं सुनी मेरी बात, उल्टे मुझे ही उठा लिया गया"
ऋचा ने पुलिस, डीसीपी ऑफिस, यहाँ तक कि अरविंद केजरीवाल तक से शिकायत की, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।- "मेरी शिकायत दर्ज नहीं की गई... उल्टे मुझे ही ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई।"
- ऋचा ने 2020 में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन कार्रवाई की बजाय पीड़िता को ही पुलिस उठाकर ले गई।
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🎙️ "मैंने फांसी लगाने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज़ दबा दी गई"
एक ऑडियो क्लिप में ऋचा ने यह कहते हुए अपनी बात रिकॉर्ड की है:
“उसने मुझे बेटी बनाकर मेरी इज़्जत छीन ली। मैं आत्महत्या करने गई थी, लेकिन एक ऑटो ड्राइवर ने बचा लिया। मैं बार-बार मदद मांगती रही, लेकिन सब चुप रहे।”
⚖️ FIR क्यों नहीं? गिरफ्तारी क्यों नहीं?
ऋचा ने दिल्ली पुलिस, महिला आयोग, मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत की। लेकिन राजनीतिक रसूख ने कानून को बेबस बना दिया।
भारतीय दंड संहिता की धाराएं 376, 344, 506, 420 जैसी गंभीर धाराएं बनती हैं, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
📊 96% मामलों में आरोपी परिचित होता है
एनसीआरबी के आँकड़ों के अनुसार भारत में 96% दुष्कर्म मामलों में आरोपी वही होते हैं जिन्हें पीड़िता पहले से जानती है — रिश्तेदार, परिवार मित्र, शिक्षक, या नेता।
इस केस में भी ऐसा ही है।
🚨 क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता?
"जब बेटियों को इंसाफ नहीं मिलता, और सिस्टम चुप रहता है, तब लोकतंत्र की नींव हिलती है।"– महिला अधिकार कार्यकर्ता
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🙏 ऋचा ठाकुर की मांग:
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तुरंत FIR दर्ज हो
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आरोपी की गिरफ्तारी हो
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केस को महिला आयोग और हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया जाए
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पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो
सवाल समाज और सरकार से: क्या यही है 'महिला सुरक्षा' का भारत?
"क्या किसी भी राजनीतिक दल को ऐसे आरोपियों को संरक्षण देना चाहिए?"
"क्या नरेंद्र मोदी सरकार का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान सिर्फ़ नारा है?"
"जब एक महिला न्याय नहीं मिल रहा, तो आम महिलाएँ कहाँ जाएँ?"
"क्या किसी भी राजनीतिक दल को ऐसे आरोपियों को संरक्षण देना चाहिए?"
"क्या नरेंद्र मोदी सरकार का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान सिर्फ़ नारा है?"
"जब एक महिला न्याय नहीं मिल रहा, तो आम महिलाएँ कहाँ जाएँ?"
एनसीआरबी के आँकड़े बताते हैं कि 96% दुष्कर्म मामलों में आरोपी पीड़िता के परिचित होते हैं, जिनमें राजनीतिक हस्तियाँ भी शामिल हैं। फिर भी, सिस्टम चुप क्यों है?
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✍️ "मेरे जिस्म पर बर्बरता आसान थी, क्योंकि मैं किसी और की बेटी थी..."
"बहुत आसान था मेरे जिस्म पर बर्बरता करना, क्योंकि मैं उस घर से नहीं थी जहाँ तेरी माँ, बहन या बेटी रहती है।
मेरे परिवार ने मुझे कभी किसी बदनामी का दाग नहीं छूने दिया। मेरी माँ ने ऐसी परवरिश दी कि उन्हें मुझ पर हमेशा फख्र रहा — है और रहेगा।
मेरे पापा ने मुझे कभी 'बेटी' नहीं कहा, हमेशा 'बेटा' कहा... और ये तूने भी सुना है, जब उन्होंने तुझे मेरे सामने कहा — ‘ये मेरी बेटी नहीं, बेटा है।’
लेकिन सुन —क्या तू ये बर्बरता अपनी ही बहन, माँ या बेटी पर कर सकता है?क्या तू अपनी ही घर की औरतों के लिए 10-15 मर्दों को बर्दाश्त करवा सकता है?क्या तुझे शर्म नहीं आती किसी और की इज़्ज़त को यूँ कुचलते हुए?दूसरों की बेटियाँ आसान शिकार लगती हैं न?क्योंकि उन्हें बचाने वाला कोई नहीं होता?या तुझे लगता है सत्ता के दम पर तू हर आवाज़ दबा देगा?
✊ “अब मेरी चुप्पी नहीं, मेरा सवाल तुझे नंगा करेगा”
ऋचा ठाकुर की यह फेसबुक पोस्ट उस हर लड़की की आवाज़ है, जिसने किसी अपने जैसे लगने वाले आदमी पर भरोसा किया और बदले में मिली चुप्पी, शर्मिंदगी, और सिस्टम की बेरुखी।
🧱 यह सिर्फ एक महिला की लड़ाई नहीं
यह सिर्फ़ ऋचा ठाकुर की लड़ाई नहीं, बल्कि हर उस महिला की लड़ाई है जो सिस्टम और ताकतवर लोगों के खिलाफ संघर्ष कर रही है। अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला भारत की न्याय व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल बन जाएगा।
📝 निष्कर्ष: अगर इस देश में बेटियां सुरक्षित नहीं, तो कौन सुरक्षित है?
क्या हम ऐसे भारत में रह रहे हैं जहां “बेटी बचाओ” सिर्फ एक नारा बनकर रह गया है?
📢 अगर आप चाहते हैं कि ऋचा ठाकुर को न्याय मिले, इस रिपोर्ट को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।
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