⚖️ 15 दिन से फ्रीजर में रखे बेटे के शव को दोबारा पोस्टमार्टम का आदेश: हाईकोर्ट ने कहा, न्याय से समझौता नहीं |
We News 24 डिजिटल डेस्क, कोलकाता।
कोलकाता हाई कोर्ट ने एक संवेदनशील मामले में मालदा जिले के मिशनरी स्कूल में मृत पाए गए 13 वर्षीय छात्र श्रीकांत मंडल के शव का दुबारा पोस्टमार्टम करने का आदेश दिया है।
परिवार ने पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर विश्वास नहीं जताया था और न्याय की उम्मीद में बेटे के शव को 15 दिनों तक फ्रीजर में सुरक्षित रखा।
🧑⚖️ "न्याय में पारदर्शिता जरूरी है": हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
बुधवार को जस्टिस तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा:
“अगर दूसरे पोस्टमार्टम में पहली रिपोर्ट से भिन्न तथ्य सामने आते हैं, तो इसकी जानकारी जांच अधिकारी को देना अनिवार्य होगा।”
➡ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि दूसरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई जाए, ताकि जांच में कोई संशय न रह जाए।
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📅 क्या है मामला? – 2 जुलाई की रात मिला था शव
➡ घटना मालदा जिले के मानिकचक स्थित एक मिशनरी स्कूल के छात्रावास की है।
➡ यहां 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र श्रीकांत मंडल (13) का शव संदिग्ध अवस्था में 2 जुलाई की रात पाया गया।
➡ स्कूल प्रशासन ने इसे आत्महत्या करार दिया।
लेकिन परिवार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि—
“श्रीकांत पर स्कूल में अत्याचार होता था, यह मौत नहीं हत्या है।”
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🧊 अद्वितीय संघर्ष: 15 दिन तक अंतिम संस्कार नहीं, सिर्फ न्याय की प्रतीक्षा
परिजनों ने बेटे का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया और शव को फ्रीजर में सुरक्षित रखा।
➡ उनका साफ आरोप था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनमानी की गई और स्कूल प्रबंधन को बचाया जा रहा है।
➡ इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
👪 परिवार का बयान: “हम बेटा खो चुके हैं, लेकिन सच्चाई नहीं खोना चाहते”
श्रीकांत के पिता का बयान भावुक कर देने वाला है:
“बेटा अब लौटकर नहीं आएगा, लेकिन अगर हमने उसकी मौत की सच्चाई नहीं जानी तो हम जीते जी मर जाएंगे।”
“पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो कहा गया, वो हमारी आंखों देखी हकीकत से मेल नहीं खाता।”
🧬 कानून का नजरिया: दूसरा पोस्टमार्टम क्यों?
➡ भारतीय विधि प्रणाली में, जब कोई मृत्यु संदिग्ध होती है और परिजन प्रथम रिपोर्ट पर असंतुष्ट हों, तो कोर्ट विशेष परिस्थितियों में दूसरे पोस्टमार्टम का आदेश दे सकता है।
➡ यह कदम न्यायिक पारदर्शिता और सबूतों की निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है।
➡ कोर्ट के आदेशानुसार अब दूसरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी, जिससे बाद में सबूतों की छेड़छाड़ की कोई संभावना न रहे।
📢 अब उम्मीद अदालत से: "न्याय मिले तो बेटे की आत्मा को शांति मिले"
यह मामला सिर्फ एक बालक की संदिग्ध मौत नहीं है, बल्कि यह सवाल है –
➡ क्या स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय होगी?
➡ क्या पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी?
➡ और क्या परिवार को वह न्याय मिलेगा, जिसकी वे 15 दिन से उम्मीद में खड़े हैं?
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