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    दिल्ली वसंत कुंज में टैक्सी ड्राइवर पर जानलेवा हमला, पैर तोड़कर छोड़ दिया रातभर तड़पने को

    दिल्ली वसंत कुंज में टैक्सी ड्राइवर पर जानलेवा हमला, पैर तोड़कर छोड़ दिया रातभर तड़पने को


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 15 सितंबर 2025, सुबह 11:35 IST

    रिपोर्ट  अमित मेहलावत 




    नई दिल्ली, दिल्ली की सड़कों पर रोडरेज की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, जो न केवल ट्रैफिक की समस्या को उजागर करती हैं बल्कि समाज में बढ़ते तनाव और असहिष्णुता की कहानी भी बयां करती हैं। हाल ही में दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज थाना क्षेत्र में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। यहां एक टैक्सी ड्राइवर विपिन को टेंपो चालक और उसके साथियों ने इतनी बुरी तरह पीटा कि उसका पैर टूट गया, और उसे रातभर एक खाली प्लॉट में तड़पने के लिए छोड़ दिया गया। यह घटना न सिर्फ एक व्यक्ति की पीड़ा की कहानी है, बल्कि उन लाखों ड्राइवरों की हकीकत है जो रोजाना दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं।




    घटना का विवरण: छोटी सी टक्कर से शुरू हुई हिंसा

    पीड़ित विपिन, जो कश्मीरी कॉलोनी, रंगपुरी में अपने परिवार के साथ रहते हैं और कैब चलाकर घर चलाते हैं, ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि 8 सितंबर को वह शामली जिले के अपने गांव हसनपुर से दोस्त रोहित और आशीष के साथ बाइक पर दिल्ली लौट रहे थे। रात करीब 10:30 बजे उन्होंने पत्नी सोनू को फोन कर बताया कि महिपालपुर के एक ढाबे पर खाना खाकर घर आएंगे, लेकिन घर पहुंचने में देर हो सकती है। महिपालपुर पहुंचते ही उनकी बाइक एक कैब से टकरा गई, जिससे दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। झगड़े में कैब का शीशा टूट गया, और इसी बीच एक पत्थर पास से गुजर रहे टेंपो के शीशे पर लग गया, जिससे टेंपो का शीशा भी क्षतिग्रस्त हो गया।



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    टेंपो चालक सुंदर ने गुस्से में आकर अपने साथियों को बुला लिया। मौका पाकर रोहित और आशीष भाग निकले, लेकिन विपिन को पकड़ लिया गया। हमलावरों ने उसे बुरी तरह पीटा और जबरन स्कूटी पर बैठाकर एक खाली प्लॉट में ले गए। वहां उन्होंने उसके दाहिने पैर पर भारी पत्थर से 2-3 बार वार किया, जिससे पैर टूट गया। विपिन के शोर मचाने पर आरोपी फरार हो गए। पूरी रात विपिन घायल अवस्था में तड़पते रहे, और अगली सुबह पुलिस को सूचना मिलने पर उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने विपिन की शिकायत पर गैर-इरादतन हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

    यह घटना उन असंख्य परिवारों की व्यथा को छूती है जो दिल्ली की सड़कों पर अपनों को खोने के डर में जीते हैं। विपिन जैसे मेहनती ड्राइवर, जो परिवार पालने के लिए रात-दिन सड़कों पर दौड़ते हैं, ऐसी हिंसा का शिकार क्यों बनते हैं? यह सवाल हर दिल्लीवासी के मन में उठता है।




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    दिल्ली की पृष्ठभूमि: ट्रैफिक का जंगल और बढ़ता रोडरेज

    दिल्ली, जो अपनी विविध संस्कृति, चौड़ी सड़कों और स्वादिष्ट खाने के लिए जानी जाती है, आज ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और रोडरेज की समस्या से जूझ रही है। शहर में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सड़कें सीमित हैं, जिससे तनाव बढ़ता है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में दिल्ली में रोडरेज की 7,000 से ज्यादा घटनाएं दर्ज हुईं, जो 2020 के 5,600 से काफी ज्यादा हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक हॉर्न बजाना, तनाव और कम सहनशीलता इसकी मुख्य वजहें हैं। दिल्ली में प्रेशर हॉर्न के उल्लंघन में 6% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो रोडरेज को और भड़काती है।

    शहर की सड़कें अक्सर अराजकता का शिकार होती हैं—बिना हेलमेट के बाइक सवार, गलत दिशा में ड्राइविंग, ई-रिक्शा का अतिक्रमण और पार्किंग माफिया की समस्या आम है। बाढ़, प्रदूषण और चरम मौसम की स्थिति इसे और बदतर बनाती हैं। एक बार जो दिल्ली कई लोगों के लिए स्वर्ग जैसी थी, आज ट्रैफिक जाम और रोडरेज की वजह से दुनिया की सबसे खराब शहरों में शुमार हो गई है।



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    आम जनता की राय: 'दिल्ली कानूनविहीन हो गई है'

    सोशल मीडिया पर दिल्लीवासियों की राय रोडरेज को लेकर काफी नकारात्मक है। कई यूजर्स इसे 'सामान्य बात' बताते हैं और पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं। एक यूजर ने लिखा, "दिल्ली में रोडरेज एक प्रचलित खतरा है। हेलमेट न पहनने वाले दोपहिया सवार खतरा बन गए हैं।" एक अन्य ने कहा, "दिल्ली अब दुनिया का सबसे खराब शहर है—ट्रैफिक रुक जाता है, रोडरेज सामान्य है, प्रदूषण मत पूछो।" लोग ट्रैफिक पुलिस की कमी का रोना रोते हैं और कहते हैं कि अगर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाए तो सड़कें 25% सुरक्षित हो सकती हैं। हाल की एक घटना में डीटीसी बस ड्राइवर को अपहरण कर पीटा गया, जिस पर यूजर्स ने दिल्ली को 'कानूनविहीन' बताया।

    कई लोग मानते हैं कि दिल्ली के लोग 'चिल' हैं, लेकिन ट्रैफिक और तनाव उन्हें हिंसक बना देता है। एक यूजर ने लिखा, "भारतीय ड्राइवरों में गुस्सा बहुत ज्यादा है, और दिल्ली में यह चरम पर है।" हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक पुरानी रोडरेज हत्या के मामले में चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जो न्याय की उम्मीद जगाती है।



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     जागरूकता और सख्ती की जरूरत

    रोडरेज न केवल व्यक्तिगत पीड़ा का कारण है बल्कि समाज की सेहत को भी प्रभावित करता है। दिल्ली पुलिस और सरकार को ट्रैफिक नियमों का सख्त पालन सुनिश्चित करना चाहिए, साथ ही जन जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। हम सभी को अपनी सहनशीलता बढ़ानी होगी, क्योंकि सड़कें साझा हैं और जीवन अनमोल। विपिन जैसे पीड़ितों की कहानी हमें याद दिलाती है कि छोटी सी असावधानी बड़ी त्रासदी बन सकती है। क्या हम दिल्ली को सुरक्षित शहर बना पाएंगे? यह हम सब पर निर्भर है।



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