फटाफट पढ़े- 18 वर्षीय विशाल गौर की मौत छत्तरपुर एक्सटेंशन में—12 सितंबर रात 9:30 बजे CCTV में घर से निकला, पांच मिनट में बिल्डिंग पहुंचा (असंभव लगता)। पुलिस: आत्महत्या (पैंट/रस्सी से गला घोंटने की कोशिश), लेकिन रस्सी गले में नहीं मिली। रात 1:30 बजे कार चालक/गार्ड ने शव देखा, सांस चल रही थी लेकिन PCR कॉल नहीं। शव के पास भाई घर का नंबर लिखा।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 13 सितंबर 2025, 20:10 PM IST
रिपोर्ट ;- दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली :- दिल्ली के छत्तरपुर इलाके में 18 वर्षीय विशाल गौर की रहस्यमयी मौत ने पूरे इलाके को हिला दिया है। 12 सितंबर 2025 की रात से लापता विशाल का शव 13 सितंबर को छत्तरपुर इन्क्लेव मैदान गढ़ी थाने अंतर्गत A बलोक गली नंबर 34 शुक्रवार देर रात 12.48 मिनट पर एक पांच मंजिला बिल्डिंग के नीचे मिला। पुलिस और परिवार का कहना है कि विशाल ने खुद गला घोंटने की कोशिश की—पहले अपनी पैंट का हिस्सा फाड़कर फांसी लगाने का प्रयास, फिर प्लास्टिक रस्सी का सहारा। लेकिन घटनाक्रम की टाइमिंग, CCTV फुटेज, दीवार पर लिखा मोबाइल नंबर सवालों का पुलिंदा बांध रहे हैं। क्या यह आत्महत्या थी, या किसी ने उसे मजबूर किया?
रात 1:30 बजे कार चालक और सिक्योरिटी गार्ड ने शव देखा सिक्योरिटी गार्ड ने शव को साइड किया उस समय विशाल की साँसे चल रही थी , लेकिन PCR कॉल क्यों नहीं की गई? अगर समय पर मदद मिलती, तो जान बच सकती थी। फिलहाल, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, लेकिन मोहल्ले में चर्चा है—यह हत्या और लापरवाही का खेल लगता है।
पुलिस की कार्रवाई
सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि जमीन पर लिखे नंबर के आधार पर परिवार को सूचना दी गई। अब तक यह साफ नहीं है कि यह हत्या है या आत्महत्या
छत्तरपुर, दक्षिण दिल्ली का एक तेजी से विकसित होता इलाका है, यहां मंदिरों (जैसे छत्तरपुर मंदिर) और शहरीकरण का मिश्रण है, लेकिन अपराध और रहस्यमयी मौतें भी आम हो गई हैं। 2016 में पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी की मौत हुई, जिसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन सुपरनैचुरल थ्योरी से चर्चा में रहा। विशाल का मामला भी इसी तरह का है—रामलीला चौक से कपूर रेस्टोरेंट होते हुए छत्तरपुर एक्सटेंशन तक सिर्फ पांच मिनट में पहुंचना असंभव लगता है।
CCTV फुटेज में रात 9:30 बजे विशाल अकेले घर से निकलते दिखा, और उसी समय बिल्डिंग में प्रवेश करता नजर आया। शव के पास प्लास्टिक रस्सी मिली, लेकिन गले में नहीं—यह आत्महत्या के दावे पर सवाल उठाता है। खून से लिखा मोबाइल नंबर (कहा जा रहा है भाई का) और रहस्यमयी तरीके से दीवार पर नंबर लिखना और भी संदिग्ध है। छत्तरपुर जैसे इलाकों में युवाओं की मौतें अक्सर मानसिक दबाव या अपराध से जुड़ी होती हैं, लेकिन यहां का घटनाक्रम हत्या की ओर इशारा करता लगता है।
छत्तरपुर की आम जनता की राय: हत्या का शक, पुलिस पर अविश्वास
छत्तरपुर के स्थानीय लोग विशाल की मौत को आत्महत्या मानने को तैयार नहीं। परिवार और आस-पड़ोस के लोग सदमे में हैं। उनका कहना है कि विशाल बहुत सीधा-सादा और शांत स्वभाव का लड़का था। किसी से उसकी दुश्मनी नहीं थी।, हंसते-खेलते घर से गया—पांच मिनट में इतनी दूर कैसे?" लोगो में बहस तेज है: "रस्सी गले में नहीं, तो आत्महत्या कैसे? कार चालक ने PCR क्यों नहीं कॉल की?" मोहल्ले वाले सवाल उठा रहे हैं—खून से लिखा नंबर किसी दबाव का संकेत तो नहीं? सिक्योरिटी गार्ड और चालक की लापरवाही पर गुस्सा: "सांस चल रही थी, फिर भी मदद नहीं—यह हत्या है!" कुल राय: 80% लोग इसे सुनियोजित हत्या मानते हैं, पुलिस की जांच पर अविश्वास है। "पोस्टमार्टम रिपोर्ट आएगी, तब सच खुलेगा," लेकिन जनता न्याय की मांग कर रही है।
परिवार का दर्द, मोहल्ले का गम
कल्पना कीजिए, एक मां का रोना—"मेरा बच्चा सीधा-सादा था ? अगर PCR कॉल होती, तो बच जाता।" पिता की पुकार—"हमें न्याय चाहिए, यह आत्महत्या नहीं, कोई साजिश है।" विशाल, जो रामलीला चौक के एक साधारण परिवार से था, खुशमिजाज लड़का था—मोहल्ले वाले कहते हैं, "वह कभी उदास नहीं दिखा।" रात 1:30 बजे सांस चल रही होने पर भी मदद न मिलना—यह लापरवाही का क्रूर चेहरा है। मोहल्ले में सन्नाटा है, लोग सवाल पूछ रहे हैं: पांच मिनट में दूरी कैसे? नंबर क्यों लिखा? यह दर्द सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे इलाके का है—युवाओं की सुरक्षा और न्याय की आस। पुलिस की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सच आएगा सामने ,
लोग सवाल कर रहे हैं –
- पांच मिनट में दूरी कैसे तय हुई?
- रस्सी शव के पास क्यों मिली, गले में क्यों नहीं?
- सिक्योरिटी गार्ड और कार चालक ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी?
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