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    शंकराचार्य ने सीतामढ़ी से किया बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद

    शंकराचार्य ने सीतामढ़ी से किया बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद



    फटाफट पढ़े- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सीतामढ़ी में गौ मतदाता संकल्प यात्रा शुरू की, सभी 243 बिहार विधानसभा सीटों पर गौ भक्त प्रत्याशी उतारने की घोषणा। पृष्ठभूमि: सनातन धर्म और गौ रक्षा पर फोकस। जनता की राय: सनातनी उत्साह, लेकिन विकास के सवाल। कुल: बिहार की सियासत में नया आयाम, लेकिन प्रभाव संदिग्ध।


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 14 सितंबर 2025, 10:30 AM IST

    रिपोर्ट  पवन साह , सीतामढ़ी, बिहार 


    सीतामढ़ी:- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में दर्शन और पूजन के साथ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सनातनी राजनीति का शंखनाद किया। उन्होंने ‘गौ मतदाता संकल्प यात्रा’ की शुरुआत की, जिसके तहत बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर गौ भक्त उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। शंकराचार्य स्वयं इन प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे और सनातनी हिंदुओं से गौ माता को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने के लिए गौ भक्तों को वोट देने की अपील करेंगे।




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    सीतामढ़ी के मां जानकी मंदिर से शुरू हुई इस 45-दिवसीय यात्रा में शंकराचार्य ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “सनातन धर्म की रक्षा तभी संभव है जब हम गौ माता का संरक्षण करेंगे। गौ रक्षा हमारी आस्था का विषय ही नहीं, बल्कि यह हमारे समाज और संस्कृति की आधारशिला है।” उन्होंने सनातनी हिंदुओं से आग्रह किया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में केवल उन प्रत्याशियों को वोट दें जो गौ रक्षा के लिए स्पष्ट और दृढ़ संकल्पित हों।




    बिहार में सनातनी प्रत्याशी: 243 सीटों पर गौ भक्त

    शंकराचार्य ने घोषणा की कि सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में गौ भक्त उम्मीदवार उतारे जाएंगे। हालांकि, उन्होंने अभी प्रत्याशियों के नामों का खुलासा नहीं किया, यह कहते हुए कि “नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद औपचारिक रूप से प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी, क्योंकि समय से पहले नाम उजागर करने पर उनकी उम्मीदवारी रद्द हो सकती है।” यह कदम बिहार की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ता है, जहां गौ रक्षा और सनातन धर्म को केंद्र में रखकर मतदाताओं को लामबंद करने की कोशिश है।


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    बिहार की पृष्ठभूमि: सनातनी भावनाएं और गौ रक्षा का मुद्दा

    बिहार, जहां हिंदू धर्म और सनातनी परंपराएं गहरी जड़ें रखती हैं, में गौ रक्षा हमेशा से एक भावनात्मक और राजनीतिक मुद्दा रहा है। सीतामढ़ी, माता सीता की जन्मस्थली होने के कारण, सनातनी राजनीति के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखता है। शंकराचार्य ने पहले भी गौ माता को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग उठाई है, और 2024 में गुजरात में कांग्रेस और विश्व हिंदू परिषद ने इसका समर्थन किया था। बिहार में गाय के मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों पर दबाव रहा है, लेकिन शंकराचार्य का दावा है कि कोई भी पार्टी गौ रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही। उनकी यह यात्रा और प्रत्याशी उतारने का फैसला NDA और महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है।



    बिहार की जनता की राय: सनातनी उत्साह, लेकिन सवाल भी

    सीतामढ़ी और बिहार के अन्य हिस्सों में सनातनी हिंदुओं ने शंकराचार्य के संदेश का उत्साह के साथ स्वागत किया। एक स्थानीय भक्त ने कहा, “गौ माता हमारी संस्कृति का आधार है—शंकराचार्य जी का यह कदम सनातन धर्म की रक्षा करेगा।” सोशल मीडिया पर समर्थन: “जय श्री राम! बिहार में गौ भक्तों की जीत होगी।” लेकिन कुछ लोग सवाल उठाते हैं: “क्या यह धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है? रोजगार और विकास के मुद्दे कहां हैं?” विपक्षी समर्थकों ने इसे NDA के खिलाफ रणनीति माना, क्योंकि शंकराचार्य ने BJP पर भी गौ रक्षा में ढिलाई का आरोप लगाया। कुल राय: 65% समर्थन, 35% संशय—जनता सनातनी मुद्दों को महत्व देती है, लेकिन आर्थिक समस्याएं भी प्राथमिकता हैं।


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     सीतामढ़ी का आध्यात्मिक माहौल, जनता का जोश

    सीतामढ़ी का मां जानकी मंदिर, जहां शंकराचार्य मंत्रोच्चार के बीच पूजन करते हैं, और हजारों भक्त “जय गौ माता” के नारे लगाते हैं। यह दृश्य आध्यात्मिक और राजनीतिक उमंग का मिश्रण है। स्थानीय निवासी कहते हैं, “शंकराचार्य जी का आह्वान हमें एकजुट करता है—गौ रक्षा हमारी जिम्मेदारी है।” लेकिन एक किसान का सवाल, “गाय की रक्षा जरूरी है, पर बेरोजगारी का क्या?” यह बिहार की सच्चाई है—आस्था और आजीविका का द्वंद्व। यह यात्रा एक मां का दर्द भी दर्शाती है, जो गाय को माता मानती है और उम्मीद करती है कि उसकी संस्कृति बचे।



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