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    बिहार चुनाव में NDA को झटका: भोजपुरी आइटम क्वीन सीमा सिंह का नामांकन रद्द

    बिहार चुनाव में NDA को झटका: भोजपुरी आइटम क्वीन सीमा सिंह का नामांकन रद्द


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

    मढ़ौरा (सारण), 18 अक्टूबर 2025

    लेखक: संवाद सहयोगी, मढ़ौरा 

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन जांच के दौरान एनडीए को बड़ा झटका लगा है। सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी और प्रसिद्ध भोजपुरी अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन पत्र कागजातों में कमी के कारण रद्द कर दिया गया। यह सीट एनडीए के पास थी, लेकिन अब यहां मुकाबला मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनसुराज पार्टी के बीच सीमित हो गया है। निर्वाची पदाधिकारी ने चार उम्मीदवारों के नामांकन रद्द करने का फैसला लिया, जिसमें सीमा सिंह के अलावा निर्दलीय अल्ताफ आलम राजू (पूर्व जदयू बागी), बसपा के आदित्य कुमार और निर्दलीय विशाल कुमार शामिल हैं। यह घटना चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है, जहां निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री जितेंद्र कुमार राय (RJD) मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहे हैं।




    नामांकन रद्द का कारण: तकनीकी खामियां और कागजातों की कमी

    नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी के दौरान निर्वाची पदाधिकारी ने पाया कि सीमा सिंह के दाखिल किए गए कागजातों में तकनीकी त्रुटियां और आवश्यक दस्तावेजों की कमी थी। निर्वाचन कार्यालय ने स्पष्ट किया कि यह फैसला पूरी तरह नियमों के अनुरूप लिया गया है और इसमें कोई पक्षपात नहीं है। स्थानीय एसडीओ ने पुष्टि की, "चार उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए हैं, जिसमें सीमा सिंह प्रमुख हैं।" विशेषज्ञों का मानना है कि यह NDA की लापरवाही का नतीजा है, क्योंकि मढ़ौरा कभी एनडीए का गढ़ नहीं रहा। अब पार्टी को बैकअप उम्मीदवार तलाशना पड़ सकता है, लेकिन नाम वापसी की अंतिम तिथि निकल चुकी है।


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    X (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर ने तहलका मचा दिया है। पत्रकार कृष्णा कुमार लाल ने लिखा, "चुनाव से पहले NDA को झटका। गंवा दी एक सीट, छपरा के मढ़ौरा सीट से LJP(RV) उम्मीदवार भोजपुरी एक्ट्रेस सीमा सिंह का नामांकन रद्द।" वहीं, सर्वे सर्वा ने कहा, "LJP को बड़ा झटका! मढ़ौरा से सीमा सिंह का नामांकन निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया।" विपक्षी समर्थकों ने इसे 'हिट विकेट' करार दिया, जबकि एनडीए कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है।



    सीमा सिंह: भोजपुरी सिनेमा की आइटम क्वीन से राजनीति की नई दावेदार

    सीमा सिंह भोजपुरी सिनेमा की 'आइटम क्वीन' या 'हेलेन' के नाम से मशहूर हैं, जिन्होंने ग्लैमर, डांस और एक्टिंग से लाखों दिल जीते हैं। 11 जून 1990 को मुंबई में जन्मीं सीमा सिंह ने 2008 में भोजपुरी फिल्म 'कहां जाइब राजा नजरिया लडाइके' के एक आइटम सॉन्ग से डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने 500 से अधिक भोजपुरी, राजस्थानी, मराठी, हिंदी और गुजराती फिल्मों में आइटम डांस किए, जो उनकी पहचान बन गए। 'देवरा भइल दीवाना', 'चोरा गंगा किनारे वाला', 'हम दो अंजाने' जैसी फिल्मों में उनके गाने सुपरहिट रहे। उन्हें 'बेस्ट आइटम गर्ल' का अवॉर्ड भी मिला, और वे 'सनी लियोन ऑफ भोजपुरी' के नाम से जानी जाती हैं।


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    शिक्षा के मामले में सीमा सिंह ने 1999 में महाराष्ट्र के ठाणे स्थित 'द रेम हेगर हिंडे हाई स्कूल, डोंबिवली (पूर्व)' से नौवीं कक्षा पास की। राजनीति में एंट्री से पहले वे डांस एकेडमी 'सीमा सिंह एकेडमी' चला रही थीं पटना में। 2019 में उन्होंने बिहार के बरबीघा के व्यवसायी सौरभ कुमार सिंह से विवाह किया। LJP (रामविलास) की प्रदेश महासचिव (युवा) के रूप में वे चिराग पासवान की करीबी हैं। चिराग ने हाल ही में जारी 15 उम्मीदवारों की सूची में सीमा को शामिल किया था, जो महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का हिस्सा था। उनकी संपत्ति और शैक्षणिक योग्यता का शपथ पत्र लोगों का ध्यान खींच रहा था, लेकिन तकनीकी खामी ने उनकी राजनीतिक पारी छोटी कर दी।



    चुनावी समीकरण में बदलाव: RJD मजबूत, जनसुराज को मौका

    मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र, जो सारण जिले का हिस्सा है, हमेशा से प्रतिस्पर्धी रहा है। पिछली बार RJD के जितेंद्र कुमार राय ने यहां जीत हासिल की थी, जो बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके पास मजबूत स्थानीय समर्थन है। एनडीए के लिए यह सीट महत्वपूर्ण थी, क्योंकि LJP को 29 सीटें आवंटित की गई थीं। अब जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी को फायदा मिल सकता है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे अपनी जीत का संकेत बताया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, "सीमा सिंह की अनुपस्थिति से एनडीए का वोट बैंक बिखर सकता है, खासकर युवा और महिला मतदाताओं का।" बिहार चुनाव के पहले चरण में वोटिंग 6 नवंबर को होनी है, और यह घटना NDA की रणनीति पर सवाल खड़े कर रही है।


    यह घटना न केवल राजनीतिक है, बल्कि सीमा सिंह के लाखों प्रशंसकों के लिए भी निराशाजनक है, जो उनकी जनसेवा की उम्मीद कर रहे थे। अब सवाल यह है कि LJP क्या कोई नया दांव खेलती है या सीट को खाली छोड़ देती है।



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