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    अमेरिका में ट्रंप की तानाशाही के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर,वाशिंगटन कैपिटल की ओर बढ़ी भारी भीड़

     

    अमेरिका में ट्रंप की तानाशाही के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर,वाशिंगटन कैपिटल की ओर बढ़ी भारी भीड़


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » वाशिंगटन, 19 अक्टूबर 2025,लेखक: रॉयटर, वाशिंगटन 


    अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित तानाशाही और लोकतंत्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ 'नो किंग्स' (कोई राजा नहीं) नामक ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन शनिवार को पूरे देश में भव्य रूप से संपन्न हुए। 2,700 से अधिक शहरों और कस्बों में आयोजित इन रैलियों में अनुमानित 70 लाख से अधिक लोग सड़कों पर उतरे, जो अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन माना जा रहा है। वाशिंगटन डीसी में हजारों प्रदर्शनकारी यूएस कैपिटल की ओर बढ़े, जहां झंडे, बैनर और रंग-बिरंगे गुब्बारों के साथ 'ट्रंप पर फिर से महाभियोग चलाओ' जैसे नारे गूंजे। यह प्रदर्शन ट्रंप प्रशासन की आप्रवासन नीतियों, सैन्य तैनाती और भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया, जो अमेरिकी लोकतंत्र की रक्षा का संदेश दे रहा है।



    'नो किंग्स' आंदोलन: ट्रंप की 'राजा जैसी' सत्ता के खिलाफ जंग

    ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में तीसरी बार आयोजित यह 'नो किंग्स' प्रदर्शन जून के बाद सबसे बड़ा है। आयोजकों—इंडिविजिबल, मूवऑन और एसीएलयू जैसे संगठनों—का कहना है कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका को तानाशाही की ओर धकेल रही हैं। इन्होंने आप्रवासन छापेमारी, राजनीतिक विरोधियों पर मुकदमे, शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती, शिक्षा और स्वास्थ्य बजट में कटौती, तथा गाजा युद्ध के खिलाफ फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनों पर दमन को निशाना बनाया। एक आयोजक ने कहा, "अमेरिका में राजा नहीं होते। हम ट्रंप की निरंकुश सत्ता के खिलाफ खड़े हैं।"



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    ट्रंप ने शुक्रवार को फॉक्स न्यूज पर कहा, "मैं राजा नहीं हूं," लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उनकी कार्रवाइयां राजशाही जैसी हैं। डेमोक्रेटिक नेता जैसे बर्नी सैंडर्स, चक शूमर, रैफेल वार्नॉक और एडम शिफ ने रैलियों में हिस्सा लिया। सैंडर्स ने वाशिंगटन में कहा, "यह केवल एक व्यक्ति की लालच की कहानी नहीं, बल्कि संविधान के प्रति अवमानना की है।"



    प्रमुख शहरों में उमड़ी भारी भीड़: उत्सव जैसा माहौल

    पूरे 50 राज्यों में फैले इन प्रदर्शनों ने कार्निवल जैसा रंग-बिरंगा माहौल बनाया। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हजारों लोग 'मैं कोई राजा नहीं मानूंगा' के बैनर के साथ इकट्ठे हुए, जबकि बोस्टन में अमेरिकी ध्वज लहराते हुए 'ट्रंप मुर्दाबाद' के नारे बजे। शिकागो के मेयर ब्रैंडन जॉनसन ने कहा, "हम झुकेंगे नहीं, न ही झुकने देंगे। हम तानाशाही को कुचलेंगे।"


    अटलांटा, ह्यूस्टन, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजिल्स और डेनवर में भी लाखों ने हिस्सा लिया। ह्यूस्टन में पूर्व मरीन डैनियल गामेज (जिन्होंने इराक, अफगानिस्तान और सीरिया में सेवा की) ने कहा, "देश किस दिशा में जा रहा है, समझ नहीं आता।" कई प्रदर्शनकारी बच्चों और पालतू जानवरों के साथ आए, पोशाकें पहनकर—जैसे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की वेशभूषा या इन्फ्लेटेबल फ्रॉग कॉस्ट्यूम—जो ट्रंप की 'अराजकता' वाली टिप्पणियों का मजाक उड़ा रही थीं।

    ग्रामीण इलाकों में भी 600 अतिरिक्त रैलियां हुईं, जो दर्शाती हैं कि असंतोष शहरी सीमाओं से परे फैला है। एरिजोना में एजी क्रिस मेयेस ने कहा, "हम संविधान के लिए लड़ने को तैयार हैं। ट्रंप को बताओ, अमेरिका में राजा नहीं चलेंगे।"



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    वैश्विक एकजुटता: यूरोप में भी ट्रंप विरोध

    अमेरिका के अलावा, लंदन, रोम और अन्य यूरोपीय राजधानियों में अमेरिकी प्रवासियों ने 'डेमोक्रेट्स अब्रॉड' के तहत एकजुट होकर प्रदर्शन किए। लंदन के यूएस दूतावास के बाहर साइन बोर्ड उठाकर उन्होंने ट्रंप की नीतियों की निंदा की। आयोजकों ने कहा, "यह दुनिया को दिखाने का समय है कि लोकतंत्र क्या दिखता है।"


    X पर धमाल: वीडियो और मीम्स की बाढ़

    X (पूर्व ट्विटर) पर #NoKingsDayOct18th ट्रेंड कर रहा है। ब्रायन क्रासेंस्टीन ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें बोस्टन की भारी भीड़ दिख रही है, दावा करते हुए कि 70 लाख लोग शामिल हुए। उपयोगकर्ता @franyafranya ने लॉस एंजिल्स के लाइव स्ट्रीम को शेयर किया, जबकि @JeanGonzalezVen ने बोस्टन के हवाई दृश्य पोस्ट किए। कुछ ट्रोल्स ने पुराने वीडियो शेयर कर फर्जी दावे किए, लेकिन अधिकांश पोस्ट्स ने प्रदर्शन की व्यापकता पर जोर दिया। एक यूजर ने लिखा, "ट्रंप ट्रेन की तुलना में यह असली अमेरिकी उत्सव है।"



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    ट्रंप प्रशासन का जवाब: चुप्पी और आलोचना

    ट्रंप प्रशासन ने प्रदर्शनों पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने इसे "अमेरिका-विरोधी" करार दिया। आयोजक एसईआईयू के जेमी कॉन्ट्रेरास ने कहा, "वास्तविक खतरा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों से नहीं, बल्कि अरबपतियों की रक्षा करने वाली सरकार से है।"

    यह प्रदर्शन ट्रंप के कार्यकाल में बढ़ते असंतोष को दर्शाता है, जहां संघीय कर्मचारियों की छंटनी, महंगाई और आप्रवासन नीतियां लोगों को सतर्क कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक नई लहर पैदा कर सकता है।



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