अहमदाबाद दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति, विश्वास कुमार रमेश, एक दर्दनाक कहानी,मै रोज मर रहा हूँ
We News 24 :डिजिटल डेस्क »नई दिल्ली | अपडेट किया गया: 3 नवंबर, 2025, शाम 7:15 बजे (IST)
12 जून, 2025 को अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की उड़ान संख्या AI-171 की दुर्घटना ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर उड़ान भरने के मात्र 32 सेकंड बाद ही बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास ब्लॉक में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 241 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए। लेकिन इस त्रासदी में एक चमत्कार हुआ—सीट 11A पर बैठे ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश (39) ही एकमात्र जीवित बचे। वह आपातकालीन निकास द्वार के पास होने के कारण मलबे से बच निकलने में सफल रहे, लेकिन उनके छोटे भाई अजय की मृत्यु ने उनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी। आज, चार महीने बाद, रमेश PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर), शारीरिक चोटों और आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। बीबीसी और अन्य मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कारों में उसने कहा, "मैं सबसे भाग्यशाली हूँ, लेकिन इस चमत्कार ने मेरी खुशियों का अंत भी कर दिया।"
खून से लथपथ और लंगड़ाते हुए मलबे से निकलते रमेश के सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने सभी को चौंका दिया। लेकिन आज, वह लंदन में अकेलेपन से जूझ रहा है। उसकी कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति के दुख की नहीं, बल्कि इस हादसे से टूटे सैकड़ों परिवारों की भी है।
चमत्कार से त्रासदी तक: भाई अजय की मौत ने तोड़ दी रीढ़
विश्वास और उनके 35 वर्षीय भाई अजय दमन-दीव में पारिवारिक मछली का व्यवसाय चलाते थे। वे लंदन से अहमदाबाद होते हुए ब्रिटेन लौट रहे थे। अजय सीट 11J पर था—कुछ ही सीटें दूर। दुर्घटना के बाद, विश्वास ने मलबे में अपने भाई को ढूँढ़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दमन में अजय का अंतिम संस्कार करते हुए विश्वास रो पड़े। उन्होंने गार्जियन को बताया, "अजय मेरी रीढ़ थे। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। अब सब कुछ बदल गया है। मैं अकेला बच गया, लेकिन यह जीत नहीं, बल्कि हार जैसा लग रहा है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल में विश्वास से मुलाकात की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन्हें सांत्वना दी। लेकिन उनके भाई की मौत ने परिवार को तोड़ दिया है। उनकी माँ हर दिन दरवाजे पर बैठकर रोती हैं, और उनके और उनकी पत्नी व बेटे के बीच की दूरी बढ़ गई है। विश्वास कहते हैं, "मैं किसी से बात नहीं करना चाहता। रातें फ्लैशबैक से भरी रहती हैं—विस्फोट की आवाज़, चीखें।"
PTSD और चोटें: इलाज का अभाव, दर्द भरी ज़िंदगी
दुर्घटना में विश्वास के कंधे, पैर, घुटने और पीठ में गंभीर चोटें आईं। डॉक्टरों के अनुसार, अब वह काम करने या गाड़ी चलाने में असमर्थ हैं। उन्होंने एबीसी न्यूज़ को बताया, "मुझे लगा था कि मैं मर जाऊँगा, लेकिन मैं बच गया। लेकिन अब मुझे हर दिन दर्द होता है।" वह PTSD—नींद न आने, चिंता और अकेलेपन—से जूझ रहे हैं। भारत लौटने के बाद उनका इलाज शुरू नहीं हुआ। मातृभूमि की एक रिपोर्ट के अनुसार, वे लंदन में मनोवैज्ञानिक सहायता ले रहे हैं, लेकिन लागत एक चुनौती है।
आर्थिक तबाही: व्यवसाय ठप, मुआवज़ा कम
दमन-दीव में मछली का व्यवसाय—जो परिवार का सहारा था—अब ठप पड़ा है। भाई की मृत्यु और चोटों के कारण विश्वास काम पर वापस नहीं लौट पाए। उनकी पत्नी के यूनिवर्सल क्रेडिट लाभ भी बंद कर दिए गए। एयर इंडिया ने £21,500 (लगभग ₹25 लाख) का अंतरिम मुआवज़ा दिया, लेकिन सलाहकारों का कहना है कि यह अपर्याप्त है। समुदाय के नेता संजीव पटेल और रैड सिगर ने कहा, "एयर इंडिया ने 'परिवार जैसा व्यवहार' करने का वादा किया था, लेकिन मिलने के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया। इस दुर्घटना ने पूरे परिवार को तबाह कर दिया।"
एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा, "यह बहुत दुखद था। हम परिवारों की मदद कर रहे हैं।" हालाँकि, जाँच रिपोर्ट में कोई तकनीकी खराबी नहीं पाई गई—ईंधन स्विच में खराबी ही मुख्य कारण थी।
| विवरण | तथ्य/आंकड़े |
|---|---|
| हादसा तिथि | 12 जून 2025, अहमदाबाद |
| मृतक | 241 (यात्रियों/क्रू) + 19 जमीनी |
| इकलौता जीवित | विश्वास कुमार रमेश (सीट 11A) |
| मुआवजा | ₹25 लाख (अंतरिम) |
| व्यवसाय प्रभाव | दमन-दीव मछली बिजनेस ठप |
| स्वास्थ्य | PTSD, कंधे/पैर/पीठ चोटें |
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