बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आजादी के बाद बिहार में मतदाताओं ने रचा इतिहास ,बंपर मतदान के तीन प्रमुख कारण
We News 24 :डिजिटल डेस्क » लेखक ,वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार
पटना /नई दिल्ली 12 नवंबर, 2025: भारत की आज़ादी के बाद पहली बार हो रहे 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने इतिहास रच दिया। दोनों चरणों में मिलाकर 66.91 प्रतिशत से ज़्यादा का रिकॉर्ड मतदान दर्ज किया गया, जो 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के बाद से सबसे ज़्यादा है। पहले चरण (6 नवंबर) में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि मंगलवार (11 नवंबर) को हुए दूसरे चरण में 68.89 प्रतिशत से ज़्यादा के रिकॉर्ड मतदान ने सबको चौंका दिया। छिटपुट घटनाओं के बावजूद, सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) विनोद सिंह गुंज्याल ने देर शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि दूसरे चरण के लगभग 2,000 बूथों के आंकड़े अभी आने बाकी हैं, लेकिन प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, 20 जिलों के 122 निर्वाचन क्षेत्रों में से, कटिहार (78.63%) में सबसे अधिक मतदान हुआ, उसके बाद किशनगंज (78.06%) और पूर्णिया (76.04%) का स्थान रहा। यह आँकड़ा 2020 के चुनावों (57.34%) से 9.6 प्रतिशत अधिक है। मतगणना 14 नवंबर को सुबह 8 बजे 46 मतगणना केंद्रों पर शुरू होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बंपर मतदान एनडीए सरकार की योजनाओं, खासकर आजीविका समूहों से जुड़ी महिलाओं को ₹10,000 की सहायता और 2 करोड़ परिवारों को प्रति माह 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने के प्रावधान का परिणाम है। इसके अलावा, घूँघट वाली महिलाओं की पहचान के लिए 1.80 लाख से अधिक आजीविका बहनों और महिला कार्यकर्ताओं की तैनाती, प्रत्येक बूथ पर फॉर्म सी का वितरण और लाइव वेबकास्टिंग ने मतदाताओं का विश्वास बढ़ाया।
पुलिस मुख्यालय के अतिरिक्त महानिरीक्षक (एआईजी) कुंदन कृष्णन ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था और ईवीएम मशीनों को कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना केंद्रों तक पहुँचाया गया। इस बार 1,592 नक्सल प्रभावित बूथों पर बिना किसी स्थान परिवर्तन के मतदान हुआ और केवल 230 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनका तुरंत समाधान किया गया। वाल्मीकिनगर के 18 वन क्षेत्र के बूथों सहित कुल 28 बूथों का बहिष्कार किया गया। मतदान के दौरान ₹3.52 करोड़ (₹1.7 करोड़ की शराब और नशीले पदार्थ) जब्त किए गए, जबकि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से कुल ₹127 करोड़ जब्त किए गए हैं। चार विधानसभा चुनावों की तुलना (मतदाता प्रतिशत)
मतदाता मतदान का घड़ी दर घड़ी ग्राफ़ (प्रतिशत में)
पहला चरण (6 नवंबर):
सुबह 9 बजे: 13.13%
सुबह 11 बजे: 27.65%
दोपहर 1 बजे: 42.31%
दोपहर 3 बजे: 53.77%
शाम 5 बजे: 60.18%
शाम 6 बजे: 65.08%
दूसरा चरण (11 नवंबर):
सुबह 9 बजे: 14.55%
सुबह 11 बजे: 31.28%
दोपहर 1 बजे: 47.62%
दोपहर 3 बजे: 60.40%
शाम 5 बजे: 67.14%
शाम 6 बजे: 68.76%
तीन प्रमुख भारी मतदान के कारण
मतदान में वृद्धि के कई कारण हैं, लेकिन तीन मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
विशेष रेलगाड़ियों का संचालन और प्रवासी मतदाताओं की वापसी: दिवाली और छठ के लिए विभिन्न राज्यों में गए प्रवासी मतदाताओं को उनके गंतव्य तक पहुँचाने के लिए 13,000 से अधिक रेलगाड़ियाँ चलाई गईं। इससे लाखों लोग मतदान करने के लिए बिहार लौट आए और त्योहार के बाद भी वोट डालने के लिए यहीं रुके रहे।
निर्वाचक नामावली का विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) और जागरूकता अभियान: भारत निर्वाचन आयोग के एसआईआर अभियान ने 69 लाख हटाए गए नामों को हटाया, जबकि राजनीतिक दलों की घोषणाओं (जैसे मुफ्त बिजली और महिला सहायता) ने मतदान में वृद्धि की। चुनाव आयोग के जागरूकता अभियानों ने युवाओं और महिलाओं को प्रेरित किया।
महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी: जीविका दीदियों की तैनाती और महिला-केंद्रित योजनाओं ने इस पर्दा हटा दिया। 2025 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6% रहा, जो पुरुषों के 62.8% से अधिक था।
1962 से पुरुष-महिला भागीदारी (प्रतिशत)
| महिलाएँ | पुरुष | कुल | ||
|---|---|---|---|---|---|
| 1962 | 32.47 | 54.94 | 44.47 | ||
| 1967 | 41.09 | 60.82 | 51.51 | ||
| 1969 | 41.43 | 62.86 | 52.79 | ||
| 1972 | 41.3 | 63.06 | 52.79 | ||
| 1977 | 38.32 | 61.49 | 50.51 | ||
| 1980 | 46.86 | 66.57 | 57.28 | ||
| 1985 | 45.63 | 65.81 | 56.27 | ||
| 1990 | 53.25 | 69.63 | 62.04 | ||
| 1995 | 55.80 | 67.13 | 61.79 | ||
| 2000 | 53.28 | 70.71 | 62.57 | ||
| 2005-फरवरी | 42.52 | 49.95 | 46.50 | ||
| 2005-अक्टूबर | 44.49 | 47.02 | 45.85 | ||
| 2010 | 54.49 | 51.12 | 52.73 | ||
| 2015 | 60.48 | 53.32 | 56.91 | ||
| 2020 | 59.69 | 54.45 | 57.29 | ||
| 2025 | 71.6 | 62.8 | 66.91 |
यह बंपर वोटिंग बिहार की लोकतांत्रिक परिपक्वता का प्रतीक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे एनडीए को फायदा हो सकता है, लेकिन अंतिम नतीजे 14 नवंबर को ही स्पष्ट होंगे।
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