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    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!

    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!



    We News 24 :डिजिटल डेस्क » लेखक ,वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार

    नई दिल्ली/हिमाचल प्रदेश, 11 नवंबर 2025


    हिमाचल प्रदेश की पवित्र भूमि पर भक्ति, आध्यात्मिकता और गौ रक्षा का अनुपम संगम देखने को मिला, जब श्री अम्बा साध्वी राजराजेश्वरी के नेतृत्व में सैकड़ों भक्तों ने 7 -10 नवंबर 2025 को एक अविस्मरणीय "गौ रक्षा यात्रा" की। दिल्ली के छत्तरपुर मंदिर से शुरू होकर ज्वाला जी, शाह तलाई, दियोट सिद्ध और सकरा घाट तक की यह यात्रा भक्तों के लिए आध्यात्मिक उमंग और गौ माता के प्रति समर्पण का प्रतीक बनी। शंकराचार्य अवि मुक्तेश्वर नंद द्वारा वाराणसी में "श्री अम्बा" की उपाधि से सम्मानित साध्वी जी ने इस यात्रा में गौ माता को जीवन का आधार बताते हुए उनके संरक्षण का संदेश दिया।


    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!


    यात्रा का शुभारंभ: छत्तरपुर से रात्रि प्रस्थान

    शुक्रवार, 7  नवंबर की रात 10 बजे छत्तरपुर मंदिर में साध्वी जी के प्रवचन के साथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। उन्होंने कहा, "गौ माता की सेवा सच्ची भक्ति का मार्ग है।" भक्तों ने गौ रक्षा का संकल्प लिया और उत्साह के साथ यात्रा में शामिल हुए। एक युवा भक्त ने कहा, "रात के समय शुरू हुई यह यात्रा हमारे मन में आध्यात्मिक ज्योति जगा गई।"

    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!



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    पहला पड़ाव: माँ ज्वाला जी का अलौकिक दर्शन

    रात्रि यात्रा के बाद भक्तों का काफिला ज्वाला जी मंदिर पहुँचा, जहाँ माँ की नौ प्राकृतिक ज्योतियाँ बिना तेल-बत्ती के सैकड़ों वर्षों से जल रही हैं। साध्वी जी ने माँ की महिमा का गुणगान करते हुए कहा, "जैसे माँ ज्वाला की ज्योति अनादि है, वैसे ही गौ माता की सेवा से हमारा जीवन प्रकाशमय होता है।" भक्तों ने गौ रक्षा के लिए विशेष प्रार्थना की।


    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!


    शाह तलाई: बाबा बालक नाथ की तपोभूमि

    बिलासपुर के शाह तलाई में बाबा बालक नाथ की तपोस्थली ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। साध्वी जी ने भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा, "गौ माता का दूध हमें शक्ति देता है, और उनकी सेवा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।" यहाँ की शांति और पवित्रता ने रात्रि यात्रा की थकान को भी हर लिया।

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    दियोट सिद्ध: सिद्ध बाबा का आशीर्वाद

    हमीरपुर के दियोट सिद्ध में सिद्ध बाबा बालक नाथ के दर्शन ने भक्तों की मनोकामनाओं को नई उड़ान दी। साध्वी जी ने गौ रक्षा के लिए विशेष पूजा और प्रवचन आयोजित किए। उन्होंने कहा, "गौ सेवा से सच्ची सिद्धि प्राप्त होती है।" यहाँ का शांत वातावरण भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बना।


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    अंतिम पड़ाव: सरका घाट का पवित्र समापन

    मंडी जिले के सरका घाट पर गंगा की पवित्र धारा ने यात्रियों का मन मोह लिया। साध्वी जी ने गौ माता की रक्षा के लिए हवन करवाया और भक्तों ने चारा दान किया। एक भक्त ने कहा, "यह यात्रा हमें गौ माता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास करा गई।"


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    श्री अम्बा साध्वी: गुरुमाता की महिमा

    शंकराचार्य अवि मुक्तेश्वर नंद द्वारा दी गई "श्री अम्बा" उपाधि साध्वी राजराजेश्वरी के गौ रक्षा और भक्ति के मिशन को और गौरव प्रदान करती है। उनके प्रवचनों में गौ माता को जीवन का आधार बताते हुए उन्होंने कहा, "गौ रक्षा का संकल्प हमें सनातन संस्कृति की रक्षा की ओर ले जाता है।" उनकी सरलता, आध्यात्मिक ज्ञान और गौ माता के प्रति समर्पण ने भक्तों को गहराई से प्रभावित किया।

    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!


    गौ माता: जीवन का आधार

    साध्वी जी ने हर पड़ाव पर गौ माता की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "गौ माता केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी आत्मा का आधार हैं। उनकी सेवा से ही हम सच्चा सुख और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।" भक्तों ने गौ रक्षा के लिए संकल्प लिया और इस संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रण किया।


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    पवित्र स्थलों का महत्व

    हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिले अपने प्राचीन तीर्थ स्थलों के लिए विश्व विख्यात हैं।


    ज्वाला जी: कांगड़ा में स्थित यह शक्तिपीठ माँ की नौ प्राकृतिक ज्योतियों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ सच्ची मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

    शाह तलाई: बिलासपुर में बाबा बालक नाथ की तपोभूमि, जहाँ चैत्र मास का मेला और शांति भक्तों को आकर्षित करती है।

    दियोट सिद्ध: हमीरपुर में सिद्ध बाबा का आशीर्वाद और प्राकृतिक शांति भक्तों को मोहित करती है।

    सरका घाट: बाबा बालक नाथ की मंदिर आध्यात्मिक वातावरण इसे विशेष बनाता है।


    भक्ति और गौ रक्षा का संगम: श्री अम्बा साध्वी के साथ छत्तरपुर से ज्वाला जी सकरा घाट तक की आध्यात्मिक यात्रा!



    हालाँकि, सरका घाट जैसे क्षेत्रों में चिकित्सा, शिक्षा और नशे की समस्याएँ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। फिर भी, इन स्थानों की आध्यात्मिक शक्ति भक्तों को प्रेरित करती है।


    गौ रक्षा का संदेश: एक आह्वान

    यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गौ माता के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक थी। साध्वी जी ने भक्तों से आह्वान किया, "गौ माता की रक्षा हमारा धर्म है। आइए, उनके संरक्षण का संकल्प लें और सनातन संस्कृति को जीवंत रखें।"


    यंहा देखे की यात्रा की वीडियो -




    10 नवंबर की सुबह 6 बजे दिल्ली वापसी के साथ यह यात्रा समाप्त हुई, लेकिन भक्तों के मन में गौ रक्षा और भक्ति की ज्योति जलती रही। आइए, श्री अम्बा साध्वी राजराजेश्वरी के इस पवित्र अभियान का हिस्सा बनें और गौ माता की सेवा में योगदान दें।

    संपर्क करें: इस अभियान से जुड़ने के लिए या गौ रक्षा में सहयोग के लिए बाबा बालक नाथ  मंदिर छत्तरपुर से  संपर्क करें।

    जय बाबा बालक नाथ ! जय गौ माता!

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