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    दिल्ली-एनसीआर में ज़हरीली हवा: साँस लेना भी मुश्किल,एम्स के डॉक्टर बोले – “यह पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है”


    दिल्ली-एनसीआर में ज़हरीली हवा: साँस लेना भी मुश्किल,एम्स के डॉक्टर बोले – “यह पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है”


    We News 24 :डिजिटल डेस्क » अंजली कुमारी


    नई दिल्ली, 19 नवंबर 2025 :- सुबह के 6 बज रहे हैं। दिल्ली की सड़कों पर निकले 65 साल के रामस्वरूप जी छाती पर हाथ रखकर रुक-रुक कर साँस ले रहे हैं। पास ही 8 साल की गुड़िया मास्क लगाए माँ के हाथ को कसकर पकड़े स्कूल जाने से डर रही है। आज फिर दिल्ली और एनसीआर के लाखों लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं – “हम कब तक ज़हर वाली हवा में साँस लेते रहेंगे?”



    एम्स दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर ने प्रेस को बताया,

    “दिल्ली-NCR में मौजूदा स्थिति अब कोई साधारण प्रदूषण नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है। AQI 400-450 का मतलब है कि हर साँस के साथ हम ज़हर पी रहे हैं। बच्चों के फेफड़े स्थायी रूप से खराब हो रहे हैं, बुजुर्गों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ गया है।”


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    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आँकड़े और भी डराने वाले हैं। बुधवार सुबह 4:45 बजे तक देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 8 उत्तर भारत के हैं:


    ग्रेटर नोएडा – AQI 452

    नोएडा – AQI 448

    गाज़ियाबाद – AQI 441

    हापुड़ – AQI 438

    दिल्ली (औसत) – AQI 410+

    फरीदाबाद – AQI 428

    मेरठ – AQI 425

    गुरुग्राम – AQI 419


    डॉक्टरों के अनुसार, पिछले दस दिनों में एम्स और सफदरजंग अस्पताल में अस्थमा अटैक के केस 40-50% तक बढ़ गए हैं। नेत्र विभाग में आँखों में जलन के मरीजों की लंबी कतारें हैं।


    बार-बार वादे, हर साल वही हाल

    सरकार बदल गई, मुख्यमंत्री बदल गए, लेकिन दिल्ली की हवा का दम घोंटना नहीं बदला।

    पराली जलाने पर रोक, निर्माण कार्य पर बैन, ऑड-ईवन, GRAP-4 लागू करने के ऐलान हर साल होते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत वही है।



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    दिल्ली के फेफड़ों पर हमला करने वाले मुख्य कारण आज भी ज़िंदा हैं:


    अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी

    सड़कों पर ट्रैफिक जाम का आलम

    पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की आग

    फैक्ट्रियों से निकलता ज़हरीला धुआँ


    आम आदमी की पुकार

    रोहिणी की रहने वाली गृहिणी रेनू शर्मा कहती हैं, “मेरे 5 साल के बेटे को सुबह उठते ही खांसी शुरू हो जाती है। डॉक्टर बोल रहे हैं – फेफड़े कमज़ोर हो रहे हैं। सरकार बताए, हमारी आने वाली नस्लें इसी ज़हर में साँस लेंगी?”

    एम्स के डॉक्टर की चेतावनी साफ़ है – “अगर अभी भी स्थायी कदम नहीं उठाए गए, तो अगले दस साल में दिल्ली के हर तीसरे बच्चे को अस्थमा हो जाएगा।”

    दिल्ली आज दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। यह सिर्फ आँकड़ों की लड़ाई नहीं, लाखों ज़िंदगियों की लड़ाई है।

    सवाल सिर्फ़ एक है – पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित होने के बाद भी सरकार कब जागेगी?


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