गुरु नानक जयंती 2025: प्रथम सिख गुरु का पावन जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा, 5 नवंबर को मनाया जा रहा है। भाई लालो और मलिक भागो की प्रेरक कहानी जानें।
We News 24 :डिजिटल डेस्क » नई दिल्ली/ननकाना साहिब | प्रकाशित: 5 नवंबर, 2025, सुबह 9:30 बजे (IST)
आज, 5 नवंबर, 2025 को गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती है। सिख धर्म के प्रथम गुरु का जन्म 1469 में तलवंडी गाँव (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उनके सत्य, परिश्रम, समानता और सेवा के संदेश पर आधारित है। गुरु नानक ने सिखाया कि ईश्वर एक है और सभी मनुष्य उसकी संतान हैं, इसलिए उनके साथ प्रेम और न्याय का व्यवहार करना अनिवार्य है। इस अवसर पर उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए, भाई लालो और मलिक भागो की प्रसिद्ध कहानी उनके जीवन दर्शन की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। आइए इस प्रेरक कथा को विस्तार से जानें।
भाई लालो और मलिक भागो की कहानी: ईमानदारी बनाम बेईमानी
गुरु नानक देव जी अपने साथी भाई मरदाना के साथ यात्रा करते हुए सैयदपुर (अब पाकिस्तान में) पहुँचे। वहाँ भाई लालो नाम का एक गरीब बढ़ई रहता था, जो मेहनती, ईमानदार और सादा जीवन जीता था। लकड़ी तराशकर अपनी जीविका चलाने वाले लालो ने गुरु नानक को अपने घर आमंत्रित किया और उन्हें सादा भोजन परोसा। गुरु नानक ने बड़े प्रेम से भोजन ग्रहण किया, क्योंकि उसमें कड़ी मेहनत और ईमानदारी की सुगंध थी।
उसी कस्बे में मलिक भागो नाम का एक धनी ज़मींदार रहता था, जिसने बेईमानी और शोषण से धन कमाया था। अपने पिता के श्राद्ध (दिवस-दान अनुष्ठान) के लिए, उसने एक भव्य भोज का आयोजन किया और गुरु नानक को आमंत्रित किया। गुरु जी ने पहले तो यह कहते हुए मना कर दिया कि वे लालो का भोजन स्वीकार करेंगे। लेकिन मलिक के आग्रह पर, वे भाई लालो के साथ उसके घर गए। स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए, और सभी ने सोचा कि गुरु जी इस धनी व्यक्ति की प्रशंसा करेंगे।
लेकिन गुरु नानक ने एक अप्रत्याशित कदम उठाया। उन्होंने एक हाथ में भाई लालो की सादी रोटी और दूसरे हाथ में मलिक भागो का बर्तन लिया और उन्हें आपस में दबाया। चमत्कारिक रूप से, लालो की रोटी से दूध और मलिक के बर्तन से खून बहने लगा। वहाँ मौजूद सभी लोग दंग रह गए। गुरु जी ने समझाया, "लालो की रोटी कड़ी मेहनत और ईमानदारी की कमाई से बनी है, इसलिए उसमें दूध जैसी शुद्धता है। मलिक, तुम्हारा धन गरीबों के खून-पसीने से बना है, इसलिए खून बह रहा है। बेईमानी का धन कभी शांति नहीं लाता।"
यह सुनकर मलिक भागो को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने गुरु जी से क्षमा मांगी और ईमानदारी के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और मेहनत से कमाई गई रोटी अमृत के समान होती है, जबकि शोषण से कमाया गया धन पाप का बोझ होता है।
गुरु नानक का संदेश: सेवा और समानता
गुरु नानक ने अपने 70 साल के जीवन में चार उदासी (यात्राओं) के दौरान भारत, तिब्बत, अरब, फारस और श्रीलंका में अपना संदेश फैलाया। उनकी शिक्षाएँ—"कीरत करो, वंड छको, नाम जपो" (कड़ी मेहनत करो, दूसरों की सेवा करो, ईश्वर का नाम जपो)—आज भी प्रासंगिक हैं। ननकाना साहिब स्थित गुरुद्वारा जन्मस्थान साहिब में आज अखंड पाठ और लंगर का आयोजन किया जा रहा है।
आज का उत्सव: गुरुद्वारों में भक्ति
भारत और विदेशों के गुरुद्वारों में प्रभात फेरी, कीर्तन और सामुदायिक रसोई (लंगर) का आयोजन किया जा रहा है। दिल्ली स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब में सुबह 6 बजे लंगर शुरू हुआ, जिसमें 10,000 से ज़्यादा लोग शामिल हुए। यह पर्व हमें एकता और मानवता का पाठ पढ़ाता है। क्या आप भी किसी गुरुद्वारे में जाएँगे?
(यह रिपोर्ट सिख इतिहास और अन्य धार्मिक स्रोतों पर आधारित है।)
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