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    मोदी सरकार का बड़ा फैसला: PMO और राजभवन का नाम बदला अब इस नाम से जाना जायेगा

    मोदी सरकार का बड़ा फैसला: PMO और राजभवन का नाम बदला अब इस नाम से जाना जायेगा


    We News 24 :डिजिटल डेस्क » दीपक कुमार


    नई दिल्ली: मोदी सरकार ने फिर से एक बड़ा ऐलान कर दिया है, जो देश की सियासत में खूब सुर्खियां बटोर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलकर 'सेवातीर्थ' कर दिया है। साथ ही, पूरे देश के राजभवनों को अब 'लोकभवन' कहा जाएगा। ये बदलाव एकदम अचानक नहीं हैं – बल्कि मोदी सरकार की उस सोच का हिस्सा हैं, जो 'पावर' से 'सर्विस' की तरफ बढ़ना चाहती है।


    मैंने जब ये खबर सुनी, तो सोचा कि ये सिर्फ नाम का खेल नहीं है, बल्कि एक मैसेज है। PMO ने खुद कहा है कि ये बदलाव प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक हैं। मतलब, अब सरकारी दफ्तरों में वो पुरानी शाही अंदाज की जगह आम आदमी की सेवा का भाव आएगा। पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे नाम बदले हैं, जो ब्रिटिश राज की याद दिलाते थे। जैसे, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट को अब 'कर्तव्य भवन' कहा जाता है। ये सब सुनकर लगता है कि सरकार पुराने नामों से दूर होकर 'भारतीयता' को मजबूत करना चाहती है।




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    अब बात राजभवन की। क्यों बदला गया इसका नाम? गृह मंत्रालय ने पिछले साल गवर्नर्स की एक कॉन्फ्रेंस में हुई बातचीत का जिक्र किया है। वहां चर्चा हुई कि 'राजभवन' नाम ब्रिटिश काल की सोच को दर्शाता है – जहां राजा जैसा महल और शाही ठाठ था। अब वो दौर गया। इसलिए, गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर के दफ्तरों को 'लोकभवन' और 'लोक निवास' नाम दिए जा रहे हैं। मतलब, ये जगहें अब जनता के लिए हैं, न कि किसी राजा के लिए। अभी तक कम से कम 8 राज्यों ने ये नाम अपनाना शुरू कर दिया है, जैसे उत्तर प्रदेश और गुजरात।


    मोदी सरकार ने इससे पहले भी कई नाम बदले हैं, जो लोगों को याद हैं। सबसे मशहूर है राजपथ का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' करना। ये वो रोड है जहां गणतंत्र दिवस की परेड होती है। और प्रधानमंत्री मोदी का ऑफिशियल घर? 2016 तक इसे '7 रेसकोर्स रोड' कहते थे – एक अंग्रेजी नाम। अब वो 'लोक कल्याण मार्ग' है। सोचिए, पहले रेसकोर्स जैसा शाही नाम, अब लोक कल्याण – जनता की भलाई का रास्ता। ये बदलाव 2014 से चल रही मोदी सरकार की 'भारतीयकरण' की मुहिम का हिस्सा लगते हैं।


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    लोगों की राय क्या है? सोशल मीडिया पर तो खूब बहस छिड़ी है। कोई कह रहा है, "अच्छा कदम, पुरानी गुलामी की निशानियां मिट रही हैं।" तो कोई मजाक उड़ा रहा है, "नाम बदलने से क्या होगा, काम पहले करो!" विपक्षी नेता भी चुप नहीं बैठे – कांग्रेस ने कहा कि ये सिर्फ दिखावा है, असली मुद्दों पर ध्यान नहीं। लेकिन सरकार का कहना साफ है – ये बदलाव जनता को केंद्र में रखने के लिए हैं।


    अगर आप दिल्ली में हैं, तो अगली बार PMO जाते वक्त 'सेवातीर्थ' कहकर ही पूछिएगा। ये नाम बदलाव छोटे लगते हैं, लेकिन इनमें एक बड़ा मैसेज छिपा है – सेवा, कर्तव्य और लोक कल्याण। क्या आपको लगता है ये बदलाव सही हैं? कमेंट्स में बताइए, हमारी टीम पढ़ेगी।

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