CJI सूर्यकांत ने लगाई लताड़!: मंदिर का चढ़ावा भगवान का है, कोऑपरेटिव बैंक बचाने के लिए नहीं
We News 24 : डिजिटल डेस्क »वी न्यूज 24 | नई दिल्ली | 5 दिसंबर 2025
नई दिल्ली: मंदिर में जो पैसे चढ़ते हैं, वो तो श्रद्धा का प्रतीक हैं ना? पूजा-पाठ, भंडारे, गरीबों की मदद – यही तो काम आना चाहिए। लेकिन कुछ लोग तो मंदिर के फंड को अपना पर्स समझ बैठे हैं, सहकारी बैंकों को उबारने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर फुल स्टॉप लगा दिया। बोले, "ये पैसा भगवान का है, इसे बचाओ, सुरक्षित रखो और सिर्फ मंदिर के हित में लगाओ। बैंक की कमाई या जेब भरने का जरिया नहीं बना सकते!"
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मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जोयमल्या बागची की बेंच ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए स्पेशल लीव पिटिशन खारिज कर दी। मामला केरल के थिरुनेली टेम्पल देवासवॉम का है, जहां मंदिर ने अपना फिक्स्ड डिपॉजिट सहकारी बैंकों से निकाल लिया था। बैंकों ने रोना रोया कि वो तो डूब जाएंगे, लेकिन CJI ने साफ कह दिया, "तुम्हारी क्रेडिबिलिटी खुद बनाओ। कस्टमर्स नहीं आ रहे तो वो तुम्हारी प्रॉब्लम है। मंदिर का पैसा तो अभी मैच्योर हो गया, निकाल लो और नेशनलाइज्ड बैंक में डालो – वहां ज्यादा ब्याज मिलेगा।"
CJI सूर्यकांत ने तंज कसते हुए कहा, "मंदिर का धन पब्लिक ट्रस्ट है। इसे किसी भी तरह दुरुपयोग नहीं हो सकता। क्या तुम मंदिर के पैसे से बैंक बचाना चाहते हो?" बेंच ने ये भी जोड़ा कि भक्तों का चढ़ावा "सेव, प्रोटेक्ट और टेम्पल के इंटरेस्ट" के लिए ही है। राजनीतिक फंडा या निजी रोटी का जरिया नहीं।
केरल हाईकोर्ट ने दो महीने में डिपॉजिट लौटाने का ऑर्डर दिया था, जो सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। अब बैंकों को मजबूरी में पैसे चुकाने पड़ेंगे। एक्सपर्ट्स कह रहे हैं, ये फैसला पूरे देश के मंदिरों के लिए गाइडलाइन बनेगा। कई जगह तो मंदिर फंड को प्राइवेट यूज में झोंक दिया जाता है – अब वो बंद होगा।
लगता है, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर याद दिला दिया कि धर्म का पैसा धर्म के लिए ही, बाकी सब बकवास!
रिपोर्ट: प्रिया शर्मा, लीगल संवाददाता, वी न्यूज 24, नई दिल्ली
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