Himachal News:- दूसरा जोशीमठ न बन जाय हिमाचल प्रदेश का शिमला,17 हजार जगह पर भूस्खलन का खतरा
नई दिल्ली :- अब हिमाचल प्रदेश में भी जोशीमठ जैसा खतरा मडरा रहा है . ये सवाल इसीलिए उठ रहा है, क्योंकि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल प्रदेश में 17 हजार जगह ऐसी हैं, जहां लैंडस्लाइड का खतरा मंडरा रहा है और इसमें से अकेले1,357 जगह तो शिमला में ही मौजूद है. लगतार हो रही बारिश से मिट्टीफूलने लगी है, जिसके चलते सड़क और मकान धंसने का खतरा मंडरा रहा है .
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हिमाचल सरकार ने भी जमीन धंसने वाले क्षेत्रों की पहचान करके वहां पर आपदा प्रबंधन क्षमता और चेतावनी देने की व्यवस्था को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही वहां से लोगों को बाहर निकालने का काम किया है, लेकिन अभी भी ऐसे बहुत से इलाके हैं, जहां खतरा टला नहीं है .
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शिव मंदिर भी लैंडस्लाइड की चपेट में आया
हाल ही में शिमला के कृष्णानगर इलाके में भारी लैंडस्लाइड हुआ . यहां पर एक पेड़ एक बिल्डिंग पर गिर गया. उसके बाद इमारत ढह गई. इसी तरह समर हिल इलाके में भी सोमवार को शिव मंदिर भी लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया . यहां अभी भी रेस्क्यू कार्य जारी है. कई शव निकाले जा चुके हैं, जबकि अभी भी शवों की तलाश जारी है. लैंडस्लाइड के बाद जो पहाड़ आम लोगों पर टूटा है, उसने न जाने कितने परिवारों पर सांसें रोक देने वाला मलबा गिरा दिया, इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता.
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शिमला में नई बिल्डिंग बनाना खुद विनाश को न्योता देना
शिमला के मुख्य इलाके सर्कुलर रोड के कई इलाके, दो सिंकिंग जोन में रिज, ग्रैंड होटल, लक्कड़ बाजार, सेंट्रल स्कूल, ऑकलैंड नर्सरी स्कूल, धोबीघाट, कृष्णानगर, कोमली बैंक और होटल क्लार्क्स के आसपास के इलाके शामिल हैं, जहां पर कोई नई बिल्डिंग बनाना खुद विनाश को न्योता देना है. खुद प्रशासन इन जगहों को खतरनाक इलाकों में घोषित कर चुका है.
शिमला में 25 हजार लोगों के रहने की जगह, रह रहे ढाई लाख
25,000 की आबादी के लिए बने शिमला शहर में अब 2.3 लाख लोगों के रहने का अनुमान है. इमारतों को बनाने के लिए 70 डिग्री तक की ढलानों पर अनुमति दी गई है, लेकिन लोग तरह-तरह के कंस्ट्रक्शन कर खुद की मौत को दावत दे रहे हैं.
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