नेपाल काठमांडू में विदेसी फंड से बन रहा है निचिरेन शोशु धर्मांतरण मंदिर
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / काठमांडू संवाददाता
काठमांडू :- नेपाल के काठमांडू और भक्तपुर क्षेत्रों में निचिरेन शोशू संगठन द्वारा विदेशी धन का उपयोग कर एक भव्य मंदिर के निर्माण की खबरें गंभीर चिंता का विषय हैं। यह आरोप है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा, बल्कि इसे नेपाल और उसके पड़ोसी देशों में धर्मांतरण अभियानों के लिए एक ठोस आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
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निचिरेन शोशू का विदेशी फंडिंग और मंदिर निर्माण: प्रमुख बिंदु
भव्य मंदिर का निर्माण:
- भक्तपुर क्षेत्र में अरबों की लागत से एक विशाल मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
- मंदिर का उपयोग केवल पूजा के लिए नहीं, बल्कि धर्मांतरण अभियानों के संचालन के लिए आधारभूत ढांचे के रूप में किया जा सकता है।
विदेशी फंडिंग का उपयोग:
- आरोप है कि इस परियोजना के लिए भारी मात्रा में विदेशी धन प्राप्त किया गया है।
- यह फंडिंग न केवल मंदिर निर्माण के लिए है, बल्कि कथित तौर पर नेपाल में गरीब और कमजोर समुदायों को धर्मांतरण के लिए लक्षित करने के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है।
नेपाल को "धर्मांतरण हब" बनाना:
- नेपाल के भौगोलिक और धार्मिक दृष्टिकोण से रणनीतिक स्थिति के कारण इसे धर्मांतरण का केंद्र बनाने की योजना है।
- नेपाल की खुली सीमाओं और धार्मिक बहुलता का फायदा उठाकर, पड़ोसी देशों (विशेषकर भारत) में भी धर्मांतरण अभियानों को फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
मंदिर निर्माण का उद्देश्य:
- हिंदू और बौद्ध समुदायों को आकर्षित करने के लिए इसे आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा का केंद्र दिखाया जा रहा है।
- यह आरोप है कि इस मंदिर का इस्तेमाल धार्मिक प्रचार, सेमिनार, और धर्मांतरण को सुगम बनाने के लिए किया जाएगा।
संवैधानिक और सामाजिक चुनौती:
- नेपाल के संविधान और कानून धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाते हैं, लेकिन इन नियमों को दरकिनार कर धर्मांतरण की गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
- स्थानीय प्रशासन और सरकारी निगरानी की कमी के कारण, संगठन अपनी गतिविधियों को जारी रखने में सफल हो रहा है।
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चिंताएं और चुनौतियां
धार्मिक भावनाओं पर चोट:
- निचिरेन शोशू का प्रचार हिंदू और बौद्ध समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध है, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।
अवैध गतिविधियां:
- विदेशी धन का उपयोग धर्मांतरण के लिए करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर स्थानीय संस्कृति को कमजोर करता है।
सामाजिक ताने-बाने पर खतरा:
- इस तरह के धर्मांतरण प्रयासों से विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक असहमति और विभाजन बढ़ सकता है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में असर:
- भारत जैसे पड़ोसी देशों में भी इन गतिविधियों का प्रभाव फैल सकता है, क्योंकि नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध गहरे हैं।
संभावित समाधान और कदम
कानूनी सख्ती:
- नेपाल सरकार को विदेशी फंडिंग और धर्मांतरण गतिविधियों की निगरानी के लिए एक सशक्त तंत्र बनाना चाहिए।
- मंदिर निर्माण और अन्य गतिविधियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विदेशी फंडिंग का ऑडिट किया जाना चाहिए।
स्थानीय जागरूकता:
- नेपाल के लोगों को धर्मांतरण के संभावित खतरों और विदेशी संगठनों की रणनीतियों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
- सामुदायिक नेतृत्व और धार्मिक संगठनों को सक्रिय रूप से शामिल करना आवश्यक है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
- नेपाल को उन देशों और संगठनों से संपर्क करना चाहिए जो इन गतिविधियों को वित्तीय मदद दे रहे हैं, ताकि फंडिंग पर रोक लगाई जा सके।
सांस्कृतिक एकता:
- हिंदू और बौद्ध समुदायों के बीच एकता और संवाद को प्रोत्साहित करना, ताकि ऐसी गतिविधियों का प्रभाव कम किया जा सके।
पड़ोसी देशों के साथ समन्वय:
- भारत जैसे पड़ोसी देशों को भी इन गतिविधियों पर नजर रखने और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए नेपाल के साथ सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
यह स्थिति केवल धार्मिक स्वतंत्रता का नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सांस्कृतिक पहचान का भी मुद्दा है। नेपाल और उसके पड़ोसी देशों को इस चुनौती का सामना करने के लिए मिलकर काम करना होगा।
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