सीतामढ़ी: श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव में आस्था और उत्सव का अद्भुत संगम
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / पवन साह
सीतामढ़ी:- जगत जननी माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी में श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव के अवसर पर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उमंग का दृश्य देखने को मिला। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम सीतामढ़ी और मिथिला क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को उजागर करता है। जगत जननी माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी ऐतिहासिक नगरी आस्था की लौ से जगमग होती दिखी। सोहर, बधाईयां और मंगलगीतों से गूंजती रही। महिला और पुरूष भक्ति गीतों की धून पर नाचते-गाते और भक्ति में डूबे नजर आए तो युवा पीढ़ी आतिशबाजी कर जश्न का इजहार करती रहीं।
ये भी पढ़े-नेपाल काठमांडू में विदेसी फंड से बन रहा है निचिरेन शोशु धर्मांतरण मंदिर
मुख्य आकर्षण और कार्यक्रम की झलकियां:
1. अवध से आई श्रीराम की बारात का भव्य स्वागत
- श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ संतों और अनुयायियों की बारात ने अयोध्या से सीतामढ़ी तक लगभग 400 किमी की दूरी तय की।
- सीतामढ़ी में प्रवेश करते ही बारात का पुष्पवर्षा, गुलाल, मंगल आरती और पारंपरिक गीतों के साथ स्वागत किया गया।
- बारात का स्वागत कारगिल चौक, वीर कुंवर सिंह चौक, और पुनौरा धाम जैसे स्थानों पर हुआ।
हमारे twitter Page को Like करे
हमारे WhatsApp Chenal को Join करे
हमारे Facebook Page को Likeकरे
2. सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन
- महिलाएं पारंपरिक सोहर, बधाई, और मंगलगीत गाकर आयोजन में चार चांद लगा रही थीं।
- गीतों और नृत्य की धुन पर लोग नाचते-गाते, और भक्ति में डूबे नजर आए।
- कार्यक्रम में मिथिला पाग और पारंपरिक वस्त्र पहनाकर बारातियों का सम्मान किया गया।
3. दीपोत्सव का आयोजन
- शहरवासियों ने दीप जलाकर और आतिशबाजी करके बारात का स्वागत किया।
- पुनौरा धाम और जानकी स्थान मंदिर को भव्य रोशनी से सजाया गया।
- उर्विजा कुंड और लखनदेई नदी के तट पर दीप जलाकर उत्सव का आनंद लिया गया।
ये भी पढ़े-राजधानी दिल्ली फिर धमाकों से दहल उठी, क्राइम ब्रांच के पास हुआ धमाका, हर तरफ धुआं ही धुआं
4. धार्मिक और सामाजिक समर्पण
- अयोध्या से आए संतों और स्थानीय महंतों ने श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव में धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।
- आयोजन में उपस्थित साधु-संतों ने पवित्रता और आस्था का संदेश दिया।
5. सुरक्षा और व्यवस्था:
- डीएम रिची पाण्डेय और एसपी मनोज कुमार तिवारी की देखरेख में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए।
- यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए वन-वे ट्रैफिक लागू किया गया।
6. सामाजिक और धार्मिक समन्वय का प्रतीक:
- स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों, और सामाजिक संगठनों ने मिलकर बारात का भव्य स्वागत किया।
- आयोजन ने मिथिला और अवध की साझी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित किया।
जनकपुर में उत्सव का विस्तार
- अयोध्या से शुरू हुई बारात, सीतामढ़ी के बाद, जनकपुर (नेपाल) पहुंचेगी।
- 1 दिसंबर को होने वाले विवाहोत्सव में नेपाल के राजदरबार और भारत के गणमान्य अतिथियों को आमंत्रित किया गया है।
महत्व और संदेश
श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह मिथिला और अवध की सांस्कृतिक एकता, प्रेम, और सद्भावना का प्रतीक है। यह आयोजन नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष:
इस भव्य आयोजन ने सीतामढ़ी को धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र में ला खड़ा किया है। इस उत्सव ने न केवल शहरवासियों को एकजुट किया बल्कि पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्सव का माहौल बनाया।
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद